Carl-Gustaf M4 India: बंकरों को मिट्टी का ढेर बना देता है, तबाही का दूसरा नाम... अब भारत में बनेगा यह हथियार
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Carl-Gustaf M4 India: बंकरों को मिट्टी का ढेर बना देता है, तबाही का दूसरा नाम... अब भारत में बनेगा यह हथियार

Carl-Gustaf M4 Weapons India: स्‍वीडन की डिफेंस कंपनी Saab पहली विदेशी हथियार कंपनी है जिसे भारत ने 100% FDI का क्लीयरेंस दिया है. Saab हरियाणा के झज्‍जर में मशहूर Carl-Gustaf M4 वेपन सिस्‍टम बनाने जा रही है.

Carl-Gustaf M4 India: बंकरों को मिट्टी का ढेर बना देता है, तबाही का दूसरा नाम... अब भारत में बनेगा यह हथियार

Saab Manufacturing In India: स्‍वीडिश डिफेंस फर्म Saab की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हरियाणा के झज्जर में बन रही है. 3.6 एकड़ के कॉम्‍प्‍लेक्‍स का निर्माण शुरू हो गया है. यहीं पर Saab अपने मशहूर कार्ल-गुस्ताफ एम4 वेपन सिस्‍टम बनाएगी. Saab पहली विदेशी हथियार कंपनी है जिसे भारत ने 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की मंजूरी दी है. Saab की झज्जर यूनिट स्‍वीडन से बाहर Carl-Gustaf M4 की पहली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट होगी. Saab ने इसके लिए Saab FFVO India Pvt Ltd नाम से नई कंपनी बनाई है. अगले साल से यहां Carl-Gustaf M4 वेपन सिस्‍टम बनना शुरू हो जाएगा. Saab की इस फैक्ट्री में करीब 100 लोग काम करेंगे.

भारतीय सेना पहले से इस हथियार का यूज करती है. Carl-Gustaf M4 का यूज दुश्मन के बंकरों और कंट्रोल सेंटर्स को मलबे का ढेर बनाने के लिए होता है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, कंधे पर रखकर दागे जा सकने वाले इस वेपन सिस्टम की मांग तेजी से बढ़ी है.

Carl-Gustaf M4 वेपन सिस्‍टम क्‍या है

Carl-Gustaf वेपन सिस्टम का डेवलपमेंट दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ. M4 इसकी चौथी पीढ़ी है. इसकी टैगलाइन 'वन वेपन, एनी टास्‍क' है. सात किलो से कम वजन वाले इस पोर्टेबल रॉकेट सिस्टम की लंबाई एक मीटर से भी कम है. यह इमारतों और ढांचों से भरे इलाकों में कारगर है. यह सैनिकों के लिए आगे का रास्ता आसान बनाती है. इससे दुश्मन के टैंकों और इन्फैंट्री वाहनों को नेस्तनाबूद किया जा सकता है. 

Carl-Gustaf M4 में लगने वाला सारा गोला-बारूद 84mm कैलिबर का होता  है. इसे खासतौर पर हथियारबंद यूनिट्स से निपटने, इमारतों में छिपे दुश्मनों से लड़ने और रास्ता साफ करने के लिए बनाया गया है. इस वेपन सिस्‍टम में 10 तरह के अलग-अलग हथियार यूज किए जा सकते हैं. कार्ल-गुस्‍ताफ एम4 की रेंज 400 मीटर से 2 किलोमीटर तक हो सकती है. 

भारतीय सेना 1976 से Carl-Gustaf M4 का यूज करती आ रही है. जम्‍मू और कश्‍मीर से लेकर नॉर्थ ईस्ट और पंजाब तक में Carl-Gustaf M4 असरदार साबित हुई है. यूक्रेन में युद्ध और गाजा पर इजरायल के हमले ने Carl-Gustaf M4 की उपयोगिता साबित की. यूक्रेन ने इसे 'रूसी टैंकों का कातिल' करार दिया है. उसका दावा है कि उसने Carl-Gustaf M4 से रूसी T-90 टैंकों को ढेर कर दिया.

स्वीडिश कंपनी के इस वेपन सिस्‍टम को भारत के अलावा अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील, बांग्‍लादेश, ग्रीस, कुवैत, नेपाल, यूके, अमेरिका जाम्बिया जैसे देश यूज करते हैं

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