2024 Lok Sabha elections: बाद योगी आदित्यनाथ सरकार में पंचायती राज मंत्री रहे चौधरी ने सूबे का पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. भूपेंद्र सिंह चौधरी पिछड़ी जातियों में प्रभावी जाट समुदाय से आते हैं. उन्हें पिछले वर्ष अगस्त के महीने में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था.
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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को बड़ा झटका देने का प्लान बना लिया है. ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ बीजेपी की लोकसभा चुनाव में गठबंधन की भी संभावना बढ़ गई है. यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने इस बात के साफ संकेत दिए हैं कि जल्द ही पिछले चुनावों में अखिलेश यादव के दोस्त रहे ओम प्रकाश राजभर भाजपा गठबंधन में शामिल होंगे.
भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि संगठन में बहुत जल्द आंशिक बदलाव किए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा, 'राजभर जी हमारे साथ रहे हैं और मुझे विश्वास है कि अगर वो हमारी विचारधारा से सहमत हैं तो निश्चित रूप से पार्टी उन्हें साथ काम करने का अवसर देगी.' बीजेपी के पुराने साथी रहे राजभर ने यूपी का पिछला विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के साथ गठबंधन में लड़ा था और उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिलने की वजह से उन्होंने गठबंधन का साथ छोड़ दिया था.
अखिलेश यादव का साथ छोड़ने के बाद से ही वो भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ नरम होते चले गए और अब उनके बीजेपी गठबंधन में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है. राजभर ने हाल ही में यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात की थी, जिसके बाद कयासों का दौर शुरू हो गया था और अब कुछ ही दिनों में इस पर विराम लग जाएगा.
'कुछ लोग सरकार और संगठन दोनों जगह'
प्रदेश कमेटी गठित न होने के सवाल पर यूपी बीजेपी अध्यक्ष चौधरी ने कहा, 'मुझे पार्टी ने अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का मौका दिया. संगठन के कुछ लोग सरकार में मंत्री बने हैं इस वजह से मैंने संगठन में आंशिक पुनर्गठन के लिए पार्टी नेतृत्व से निवेदन किया था और अब मुझे इसके लिए इजाजत मिल गई है. जल्द ही कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे. ये छोटे बदलाव होंगे.'
बीजेपी के संगठन को लेकर उन्होंने कहा कि इस वर्ष देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव होना है. इसके मद्देनजर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया था. इसी तर्ज पर राज्य, जिले और मंडल स्तर पर भी पदाधिकारियों के कार्यकाल को 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
अध्यक्ष बनने के बाद चौधरी ने छोड़ दिया था मंत्री पद
बाद योगी आदित्यनाथ सरकार में पंचायती राज मंत्री रहे चौधरी ने सूबे का पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. भूपेंद्र सिंह चौधरी पिछड़ी जातियों में प्रभावी जाट समुदाय से आते हैं. उन्हें पिछले वर्ष अगस्त के महीने में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था.
राजभर पर क्या बोले चौधरी?
राजभर के 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन में शामिल होने की संभावना पर चौधरी ने कहा, 'बीजेपी का रूख पूरी तरह साफ है, हम उन सभी लोगों का स्वागत करते हैं, जो हमारे विचार से सहमत होते हैं. अगर वो हमारे साथ काम करना चाहते हैं तो हमें कोई दिक्कत नहीं है. राजभर जी पहले भी हमारे साथ रहे हैं अगर वो हमारी विचारधारा से सहमत होते हैं तो पार्टी उन्हें जरूर साथ काम करने का अवसर देगी.'
राजभर ने बीजेपी छोड़ सपा से मिलाया था हाथ
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और यूपी में 4 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद योगी सरकार में उन्हें मंत्री पद भी दिया गया. लेकिन दो सालों में ही उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और सरकार से अलग हो गए. इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने अखिलेश यादव से हाथ मिला लिया और विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर जीत दर्ज की.
कैसे टूटी अखिलेश से दोस्ती?
विधानसभा चुनाव के बाद हुए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान राजभर ने बीजेपी उम्मीदवार के समर्थन में वोटिंग की और इस वजह से सपा प्रमुख से उनकी दूरी बढ़ गई. इसके बाद वो लगातार मुखर होकर सपा का विरोध करते रहे. इस वजह से उनकी अखिलेश के साथ हुई सियासी दोस्ती भी टूट गई. वर्तमान में वो सपा के सबसे बड़ें आलोचकों में शुमार हैं.
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