राम मंदिरः 2 नवंबर 1990 की वो सुबह.. जब कोठारी बंधुओं पर चलाई गई गोली
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राम मंदिरः 2 नवंबर 1990 की वो सुबह.. जब कोठारी बंधुओं पर चलाई गई गोली

Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार अब खत्म होने वाला है. लंबी लड़ाई के बाद जब राम मंदिर पर फैसला आया तो सबसे ज्यादा खुशी कारसेवकों को हुई थी. भगवान श्री राम के लिए कारसेवकों ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया.

राम मंदिरः 2 नवंबर 1990 की वो सुबह.. जब कोठारी बंधुओं पर चलाई गई गोली

Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार अब खत्म होने वाला है. लंबी लड़ाई के बाद जब राम मंदिर पर फैसला आया तो सबसे ज्यादा खुशी कारसेवकों को हुई थी. भगवान श्री राम के लिए कारसेवकों ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया. राम मंदिर की लड़ाई में 2 नवंबर 1990 का दिन काले अध्याय की तरह है. इस दिन कारसेवकों पर फायरिंग की गई थी. इसी फायरिंग में कोठारी भाइयों की दर्दनाक मौत हुई थी. ओम श्री भारती इस भयावह मंजर की जीती-जागती गवाह हैं. जब उन्हें रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का न्योता मिला तो उनके पुराने जख्म ताजा हो गए.

कारसेवकों पर हुई फायरिंग

उन्होंने बताया कि 2 नवंबर 1990 को उनके घर पर कोठारी बंधुओं समेत 125 कारसेवक रुके थे. ओम भारती 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर हुई फायरिंग की प्रत्यक्षदर्शी हैं. वे बताता हैं कि विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल, कोठारी बंधु समेत 125 कारसेवक फायरिंग से बचने के लिए उनके घर में छिपे थे. कारसेवकों ने कसम खाई थी कि पुलिस रोकेगी तो वहीं बैठ जाएंगे. प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा भी किया है कि कारसेवकों पर गोली चलाते वक्त खुद पुलिस वाले भी रो रहे थे.

मुलायम सिंह यादव ने दिया फायरिंग का आदेश

कारसेवकों का गुनाह बस यह था कि उन्होंने तत्कालीन विवादित ढांचे पर जय श्री राम का परचम लहराया था. जिसके बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया था. सीएम का आदेश मिलने पर मजबूरन पुलिस वालों को गोलियां चलानी पड़ी थी. इस फायरिंग में कई कारसेवकों ने जान गंवाई थी. जिनमें कोठारी बंधू भी शामिल थे.

अयोध्या की शहीद गली

2 नवंबर 1990 की खौफनाक घटना की चश्मदीद ओम श्री भारती वो दिन याद कर आज भी रोने लगती हैं. यह घटना हनुमानगढ़ी से महज चंद कदम की दूरी पर ठाकुर विजय राघव मंदिर में हुई थी. कोठारी भाइयों की गोली लगने से मौत हुई और अयोध्या नगरी की एक सड़क शहीद गली में तब्दील हो गई. इस गली में तब कारसेवकों के शव गिरे पड़े थे.

आज भी सिहर जाती हैं ओम  श्री भारती

पूरी कहानी बताते हुए ओम  श्री भारती आज भी सिहर जाती हैं. उनकी आंखें डबडबा जाती हैं. उन्होंने बताया कि उनके पति मंदिर के महंत थे और उस वक्त कारसेवा के लिए रामभक्तों की सेवा कर रहे थे. ओम श्री भारती को भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिला है. गोलीकांड के बाद से आजतक उन्होंने राम लला के दर्शन नहीं किए. उन्होंने ये प्रण लिया था कि जब तक मंदिर नहीं बनेगा दर्शन नहीं करेंगी. ओम श्री भारती 33 साल बाद अब रामलला के दर्शन करने जायेंगी.

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