Udaipur News: राजस्थान में मेवाड़ स्थित 400 साल पुराने उदयपुर के महालक्ष्मी मंदिर की महिमा जितनी कही जाएं कम है. खास बात ये है कि ये मंदिर जगदीश मंदिर के समकक्ष है, मंदिर में स्थापित मां लक्ष्मी की मूर्ति दुनिया की सभी मां लक्ष्मी की मूर्तियों से बिल्कुल अलग है. श्रीमाली समाज की कुल देवी इस मंदिर में कमल पर नहीं बल्कि हाथी पर विराजित हैं.
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Udaipur News: राजस्थान में मेवाड़ स्थित 400 साल पुराने उदयपुर के महालक्ष्मी मंदिर की महिमा जितनी कही जाएं कम है. खास बात ये है कि ये मंदिर जगदीश मंदिर के समकक्ष है, मंदिर में स्थापित मां लक्ष्मी की मूर्ति दुनिया की सभी मां लक्ष्मी की मूर्तियों से बिल्कुल अलग है. श्रीमाली समाज की कुल देवी इस मंदिर में कमल पर नहीं बल्कि हाथी पर विराजित हैं.
स्थानीय लोगों के अनुसार महाराणा जगत सिंह द्वितीय के समय सबसे प्राचीन जगदीश मंदिर का निर्माण यहां पर हुआ था. लेकिन जब रानी ने मंदिर को देखा तो राजा से कहा कि यहां जगदीश विराजित है, तो वहां लक्ष्मी क्यों नहीं ?
रानी के कहने पर जगदीश मंदिर से कुछ ही दूर पर महालक्ष्मी मंदिर को बनवाया गया. जिसमें मंदिर में महालक्ष्मी की 31 इंच की सफेद पत्थर की सुंदर प्रतिमा को विराजित किया गया. मंदिर में शुभ अवसरों पर उदयपुर का राजघराना भी दर्शन के लिए पहुंचता है. ये भी पढ़े :- मां लक्ष्मी को अतिप्रिय हैं ये 5 राशियां हमेशा बनी रहती है कृपा, क्या आप भी हैं शामिल ?
ये मंदिर 4200 स्क्वायर फिट में बनवाया गया है. जहां हर साल 5 दिन तक दीपावली पर विशेष कार्यक्रम होते हैं. आपको बता दें कि उदयपुर संभाग में महालक्ष्मीजी के कुछ और भी मंदिर हैं. लेकिन इन मंदिरों का निर्माण सौ से डेढ़ सौ वर्ष के भीतर हुआ बताया जाता है.
इन मंदिरों में प्रमुख रूप से चित्तौडगढ़़ किले के नीलकंठ महादेव मंदिर के पास मंदिर, सलोदा, खमनोर के पास मजा गांव, देलवाड़ा के पास दाड़मी गांव, चित्तौडगढ़़ के बिलिया गांव और बांसवाड़ा के छींच क्षेत्र के महालक्ष्मी मंदिर शामिल हैं.