Navratri 2024: राजस्थान का वो मंदिर, जहां शराब की बोतल के बिना अधूरी है माता रानी की पूजा
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Navratri 2024: राजस्थान का वो मंदिर, जहां शराब की बोतल के बिना अधूरी है माता रानी की पूजा

Navratri 2024: राजस्थान में एक ऐसी मां दुर्गा का मंदिर है, जहां सदियों से मां दुर्गा को शराब का भोग लगाते हैं. जिसे देशभर में सुरापान करने वाली दुणजा मां के नाम से जाना और पूजा जाता है. 

Navratri 2024

Navratri 2024: देशभर में आज से नवरात्रि पर्व शुरू हो गया है. घर-घर मां दुर्गा की घट स्थापना करके पूजा अर्चना की जा रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान में एक ऐसी मां दुर्गा का मंदिर है, जहां सदियों से मां दुर्गा को शराब का भोग लगाते हैं. जिसे देशभर में सुरापान करने वाली दुणजा मां के नाम से जाना और पूजा जाता है. 

आपकों जानकर हैरत होगी कि यहां पर खाकी से लेकर खादी तक के वीआईपी अपने प्रमोशन, ट्रांसफर, चुनावी टिकट के लिए मनोकामनाएं मांगते हैं. इतना हीं नहीं पिछले कुछ सालों से तो बेरोजगार युवा भी सरकारी नौकरी और नौकरी में प्रमोशन के लिए यहां अर्जी लगाते हैं. कई युवाओं को तो सरकारी नौकरी मिलने के बाद यहां पूजा-अर्चना करते तक देखा गया है. 

दुणजा माता मंदिर में मन्नत पूरी होने पर सुरापान कराने की हैं. मान्यता है कि माता के दरबार में लोग काम की अर्जी लगाते हैं.  दूणजा माता मंदिर तालाब किनारे स्थित है. नवरात्रि में नौ दिन तक राजस्थान के अनेक जिले से और राजस्थान के बाहर से भी बड़ी संख्या में भक्त मनोकामना लेकर यहां आते हैं. 

यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर माता को सुरापान करवाते हैं. शराब की बोतल माता के मुंह से लगाते ही खाली होने लगती हैं. शेष मदिरा भक्तों के लिए छोड़ देती है. 

दूणजा माता की लोगों में ख़ासी मान्यता है, जिस किसी भक्त ने श्रद्धा और विश्वास से माता के दरबार में अपने काम की अर्जी लगाई, माता उसे पाती देती है. जिसे पाती मिल गई, समझो उसका काम बन गया. पाती एक फूल की पंखुड़ी होती है, जो माता जी के सामने बैठ कर मांगी जाती है. अपने काम की पाती मांगने वाला भक्त माता जी के सामने भोपा के माध्यम से एक कागज रख देता है और जैसे ही पाती मांगने की अरदास कर लेता है. 

यदि उस भक्त का काम होने वाला होता है तो माता जी की पौशाक में जड़े फूलों में से एक पंखुड़ी गिर कर उस कागज में गिर जाती है. मान्यता है कि माता जी ने पाती दे दी तो समझो काम पक्का फिर भक्त वहां मन में बोलता है कि 'हे मां मुंझे सफलता मिलते ही मैं तुझे अपनी और से पोशाक धारण करवाउंगा या सुरापान करवाउंगा या सवामणि का प्रसाद चढ़ाऊंगा' जो भक्त बोलता है वह माता को प्रसन्न करने के लिए वैसा ही करता है. 

गहरी खाई खुदवाने पर भी नहीं लगा शराब का सुराग
पुजारी ने बताया कि माताजी द्वारा भक्तों का सुरापान करने के रहस्य को जानने के लिए सालों पहले तत्कालीन राजा ने मंदिर के नीचे चारों ओर गहरी खाई खुदवाई थी लेकिन कहीं भी माताजी द्वारा किए गए मदिरापान का सुराग नहीं लगा. आखिर कर थक हार कर राजा भी माताजी की इस अलौकिक शक्ति और चमत्कार का कायल हो गए थे. 

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