Rajasthan News : सचिन पायलट ने अशोक गहलोत गुट पर एक बार फिर से बयान दिया. पायलट ने कहा कि अनुशासनहीनता मामले में इतनी देरी क्यों हो रही है ये समझ नहीं आ रहा. राजस्थान चुनावों से पहले पार्टी को ये तय करना होगा कि हमें किस दिशा में आगे बढ़ना है. Sachin Pilot ने मीडिया से बात करते हुए Ashok gehlot के करीबी नेताओं के मामले में पूछे गए सवाल के जवाब में ये बात कही.
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Rajasthan Politics : सचिन पायलट ने राजस्थान में 25 सितंबर को हुए घटनाक्रम का मुद्दा फिर से उठाया है. पायलट ने कहा कि सोनिया गांधी की अवहेलना करने वालों पर कार्रवाई करने में अभूतपूर्व देरी हो रही है. अगर आलाकमान के फैसलों के समानांतर इस तरह से वैकल्पिक सरकारों के चलन को कम करना है तो आलाकमान को राजस्थान मामले में जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए. हालांकि अशोक गहलोत के करीबी शांति धारीवाल, धर्मेंद्र राठौड़ और महेश जोशी के मामले में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होने कहा कि फैसला कब होगा. ये बेहतर जवाब नेतृत्व ही दे सकता है.
पायलट ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की अनुशासनात्मक समिति ही ये बेहतर तरीके से बता सकती है कि आखिर अभी तक इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं हुई है.
राजस्थान से जुड़े इस मामले में पायलट ने ये भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की ओर से हाईकोर्ट में जो हलफनामा दिया गया है. उसके मुताबिक इस्तीफे स्वैच्छा से नहीं दिए गए थे. इसलिए उसे स्वीकार नहीं किया गया. तो फिर सवाल उठता है कि आखिर किसके दबाव में इस्तीफे दिए गए थे. क्या कोई दबाव दिया गया, लालच दिया या धमकी दी गई.
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सचिन पायलट ने कहा कि इस साल के आखिर में चुनाव है. हम चुनावों के करीब जा रहा है. राजस्थान का बजट भी पेश हो चुका है. ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व को जल्दी से पार्टी के बारे में ये फैसला लेना होगा कि हम आगे किस तरह बढ़ रहे है. बीजेपी पार्टी और पीएम मोदी खुद आक्रामक प्रचार शुरु कर चुके है. ऐसे में कांग्रेस को भी मजबूती से फील्ड में उतरने की जरुरत है. कार्यकर्ताओं को एक्टिव करने की जरुरत है.
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राजस्थान हो या कहीं और, पार्टी की ओर से तय लाइन और फैसला सबके लिए महत्वपूर्ण है. चाहे वो बड़ा आदमी हो या छोटा आदमी. सचिन पायलट ने कहा कि पार्टी अनुशासन सबसे ऊपर है. फिर चाहे छोटा नेता हो या बड़ा नेता. यही बात हमारे प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी कह रहे है. उस समय सीएलपी की बैठक सोनिया गांधी ने बुलाई थी. राजस्थान कांग्रेस के सभी विधायकों को उसमें शामिल होना था. ऐसे में समानांतर बैठक करने से साफ है कि अनुशासनहीनता हुई. आदेशों की पालना नहीं की गई.