अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई राजस्थान विधानसभा, भारी मन से विधायकों ने ली विदाई
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अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई राजस्थान विधानसभा, भारी मन से विधायकों ने ली विदाई

विधानसभा की कार्यवाही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई. 15 वीं विधानसभा की इस बैठक के साथ ही सदन के सदस्यों ने एक दूसरे से विदा भी ले ली. नेताओं के मन में अजीब सी स्थिति थी. कुछ भारी मन से निकले. कुछ के मन में चुनाव की चिंता थी.

अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई राजस्थान विधानसभा, भारी मन से विधायकों ने ली विदाई

Rajasthan Politics : विधानसभा की कार्यवाही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई. 15 वीं विधानसभा की इस बैठक के साथ ही सदन के सदस्यों ने एक दूसरे से विदा भी ले ली. नेताओं के मन में अजीब सी स्थिति थी. कुछ भारी मन से निकले. कुछ के मन में चुनाव की चिंता थी. तो कुछ फिर से लौटकर इस सदन में आने की जुगत अभी से दिमाग में बिठाने लगे थे. अब सदन की अगली बैठक चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार के कार्यकाल में ही होगी. लेकिन इस बार के अनुभवों से कुछ विधायक भी खुश नहीं दिखे.

आमतौर पर ऐसा कम ही होता है. लेकिन 15 वीं विधानसभा के हिस्से यही आना था. सत्र और विधानसभा के आखिरी दिन सदन में हंगामा हुआ और ऐसा हुआ कि सरकार ने भी 23 मिनट में ही पांच विधेयक पारित करा लिए. कानून बनाने के लिए सदन में आने वाले विधायकों ने कानून के मसौदे पर चर्चा ही नहीं की. मदन दिलावर को सत्र के लिए निलम्बित किये जाने के बाद से उद्वेलित विपक्ष ने बुधवार को सुबह से ही हंगामा किया. हालांकि स्पीकर सीपी जोशी ने अपने अनुभव से प्रश्नकाल पूरा चलाया. लेकिन प्रश्नकाल के बाद से लगातार विपक्ष का हंगामा जारी रहा. हालत यह रही कि दो बार तो सदन स्थगित भी करना पड़ा.

विपक्ष एक बार गर्म हुआ तो सदन के अनिश्चितकाल के लिए खत्म होने के एलान के बाद ही शांत हुआ. तीखी नोंक झौंक,तनातनी के बीच राजस्थान विधानसभा की परंपराएं तार-तार हो रही थीं. सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद विधायक निकले तो अलग-अलग मुद्राएं दिख रही थी. कोई विक्ट्री सिंबल बना रहा था,तो कोई मुस्कुरा रहा था. ये मुस्कान सत्ता पक्ष और विपक्ष की साथ होती तो नज़ारा कुछ और होता. लेकिन इस बार तस्वीर कुछ जुदा-जुदा थी.

 

राजस्थान की राजनीति में ऐसा शायद ही पहले कभी हुआ हो, जब एक दूसरे से विदा ले रहे विधायक बिना तार्किक संवाद के सदन को छोड़ बाहर आये हों. न कहीं भावुकता नजर आईं और न कहीं नेताओं में गलबहियां. माहौल ऐसा था जैसे मेल मिलाप और भाईचारे का शिष्टाचार सियासी लोगों ने भुला दिया हो. फिर भी माननीय विक्ट्री के सिंबल के सहारे खुद को फिर विधानसभा की सीढियां चढ़ने का संकल्प दोहरा रहे थे.

राजनीति के बिगड़े बोल कई बार माहौल बिगाड़ते देखे जाते हैं. हालांकि बुधवार को सदन में जो कुछ हुआ वह पिछले दिनों सदन में हंगामे और उसके बाद बीजेपी के मदन दिलावर को सदन से निलम्बित किये जाने की परिणिति थी. फिर भी सदन में भले ही नेताओं का अच्छा संवाद नहीं हुआ है. लेकिन इन नेताओं का आमना-सामना चुनावी मैदान में कुछ जगह होता दिखेगा. बहरहाल सदन की वर्तमान तस्वीर में दिखने वाले चेहरों में से कौन इस सदन में अगली बार लौटेगा और कौन नहीं. यह तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन कई नेता आखिरी सत्र के आखिरी दिन की कार्यवाही और विदा होने के तरीके से मायूस दिखे. बहरहाल अब फिर से सदन में आने के लिए नेता जुटेंगे.. लेकिन उससे पहले इनको चुनावी मैदान में अपना कौशल दिखाना होगा.

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