राजस्थान की इस लड़की ने नंगे पैर दौड़कर जीता था मेडल, रह चुकी है एथलेटिक्स नेशनल प्लेयर
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राजस्थान की इस लड़की ने नंगे पैर दौड़कर जीता था मेडल, रह चुकी है एथलेटिक्स नेशनल प्लेयर

Rajasthani Girl: राजस्थान की यह छोरी आज पाली में एक PTI  टीचर पद पर काम कर रही है, जो कभी सुबह 4 बजे उठकर गायों का दूध निकालकर डेयरी पर देने जाती थी. इसके लिए अपने सपनों को पूरा करना आसान नहीं था. जानें कौन है यह राजस्थानी की बिंदास छोरी. 

राजस्थान की इस लड़की ने नंगे पैर दौड़कर जीता था मेडल, रह चुकी है एथलेटिक्स नेशनल प्लेयर

Rajasthani Girl: राजस्थान वही राज्य है, जहां लड़की को पैदा होते ही मौत के घाट उतारा दिया जाता था, लेकिन आज इसी राज्य की लड़कियां प्रदेश के साथ-साथ अपना भी नाम रोशन कर रही हैं. हम आपको एक ऐसी लड़की की सफलता की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके पास जूते खरीदने के भी पैसे नहीं थे, लेकिन उसने नंगे पांव दौड़कर मेडल जीता. 

यह कहानी राजस्थान के पाली में बतौर PTI टीचर काम कर रही किरण सारण की है. किरण सारण एथलेटिक्स में नेशनल प्लेयर रह चुकी हैं.  किरण सारण ने बताया कि जब वह सातंवी क्लास में थी तो वह स्कूल में रेस प्रतियोगिता प्रथम आई और इसके बाद वह घर से 7 किलोमीटर दूर स्कूल ग्राउंड में प्रैक्टिस करने के लिए जाने लगी. इसको लेकर घर को कुछ लोगों ने टोकना शुरू किया और मां से कहने लगे कि लड़की को अकेली क्यों भेजती हो, इसके साथ कुछ गलत हो गया तो कहीं मुहं नहीं दिखा पाओगी. इसको घर पर रखो और इसे घर का काम सिखाओ. कौन सा है दौड़कर पीटी उषा बनेगी. लेकिन इन सब बातों पर मां ने ध्यान नहीं दिया. वहीं, शादी से पहले मां ने और उसके बाद ससुराल वालों ने सपना पूरा करने के लिए सपोर्ट किया. 

किरण सारण आज पाली में एक PTI  टीचर पद पर काम कर रही हैं और इससे पहले उन्होंने 2018 में लास्ट नेशनल टूर्नामेंट बैंगलुरु में खेला था. इसके बाद सरकारी स्कूल में कोच का पद मिला, जिसमें पहली पोस्टिंग पाली जिले में हुई और उन्होंने यहां से 20 स्टेट लेवल खिलाड़ी तैयार किए.  

ये 20 खिलाड़ी साल 2021 में 8-9 सितंबर को श्रीगंगानगर में स्टेट चैंपियनशिप में शामिल हुए. इनमें से खिलाड़ी सुनील जाट ने 100 मीटर दौड़ और रंजीन बाला ने 200 मीटर दौड़ लगाकर गोल्ड मेडल जीता. इसको लेकर महिला दिवस पर किरण सारण को सम्मानित किया गया था. 

लालटेन की रोशनी में की पढ़ाई 
किरण सारण के लिए अपने सपनों को पूरा करना आसान नहीं था, इसके लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया. घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि स्टेट लेवल प्रतियोगिता में बन जूते पहने ही दौड़ लगाई. किरण सारण ने कहा कि वह चुरू जिले के छोटे से गांव जयसंगसर की रहने वाली हैं और उनके गांव के खेत में दो झोपड़े बने हुए थे, उनमें ही पूरा परिवार माता-पिता और वे 5 भाई-बहन रहा करते थे. उन्होंने कहा कि वह दूसरे नंबर है और उनसे बड़ी एक बहन हैं. किरण सारण ने घर में लाइट नहीं होने की वजह से चिमनी और लालटेन की रोशनी में पढ़ाई की. 

किरण सारण ने बताया कि उनके पास तीन-चार गाय थी. इसके चलते वह सुबह 4 बजे उठकर गायों का दूध निकालकर डेयरी पर देने जाती थी. किरण के पिता ग्वार के व्यापारी थे, लेकिन एक बार नुकसान होने के बाद वह गांव छोड़कर अहमदाबाद में नौकरी करने चले गए थे. उसके बाद उनकी मां ने  मनरेगा में मजदूरी की और घर का  खर्चा उठाया. 

स्टेट लेवल प्रतियोगिता में दौड़ी नंगे पैर
किरण सारण ने बताया कि उन्होंने 7th क्लास से दौड़ना शुरू किया और इसके बाद वह रोज स्कूल ग्राउंड में प्रैक्टिस करने जाती थी. यहां उनकी बड़ी बहन भी साथ जाती थी.  
इसको लेकर गांववाले और घरवाले मां को शिकायत करने लगे कि लड़कियों को बाहर मत भेजो, कुछ हो गया तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी. इन्हें घर का काम सिखाओ, लेकिन मां ने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया और मेरा साथ दिया. किरण सारण ने कहा कि स्टेट लेवल प्रतियोगिता में जूते खरीदने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए वह और उनकी बड़ी बहन नंगे पैर दौड़ी. 

किरण के ससुर ने करवाई BPEd की पढ़ाई 
किरण सारण ने कहा कि साल 2013 में सीकर के रहने वाले वीरेंद्र कुमार से उनका विवाह हुआ और 2015 में उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम अतुल है. किरण ने सोचा कि शादी के बाद करियर खत्म हो जाएगा, लेकिन पति और ससुराल के लोगों ने उनको सपना पुरा करने के लिए सपोर्ट किया. वहीं, शिक्षा विभाग से रिटायर ससुर गजराज सिंह ने बहू किरण को  BPEd करवाई और साल 2019 में उनकी सरकारी नौकरी लग गई. 

किरण सारण ने साल 2006 में भीलवाड़ा में स्टेट लेवल टूर्नामेंट में  2 हजार मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीता और साल 2007 में जयपुर में स्टेट टूर्नामेंट में खेलते हुए रेस वॉकिंग में सिल्वर मेडल जीता. वहीं, उन्होंने 2007-2008 में पहला नेशनल मुंबई में खेलते हुए रेस वॉकिंग में भाग लिया, जिसमे वह पांचवे स्थान पर रही. उन्होंने साल 2018 में लास्ट नेशनल टूर्नामेंट बैंगलुरु में खेला, जिसमें वह अपने दो साल के बेटे को साथ लेकर गई. 

5 भाई-बहन हैं नेशनल प्लयेर
किरण सारण की बड़ी बहन एथलेटिक्स में नेशनल प्लेयर है और फिलहाल वह सीकर में सरकारी स्कूल में ग्रेड थर्ड टीचर है. वहीं, उनका छोटा भाई जयप्रकाश नागपुर से बीपीएड कर रहा है और वह एक एथलेटिक्स नेशनल खिलाड़ी है. इससे छोटी बहन ललिता आगरा से बीपीएड कर रही है और वह स्टेट लेवर की बॉक्सर है. सबसे छोटा भाई जगदीश बीएड कर रहा है और वह भी एथलेटिक्स नेशनल प्लयेर है.

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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किरण सारण सोशल मीडिया पर है एक्टिव 
बता दें कि PTI टीचर किरण सारण सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और अक्सर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने वाले वीडियो पोस्ट करती हैं.  इंस्टाग्राम पर किरण सारण के डेढ़ लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.  

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