तीन भाई-बहनों ने बिना इंटरनेट एक ही किताब से की पढ़ाई, फिर संघर्षों के बीच ऐसे बने अफसर
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तीन भाई-बहनों ने बिना इंटरनेट एक ही किताब से की पढ़ाई, फिर संघर्षों के बीच ऐसे बने अफसर

Success Story : जम्मू-कश्मीर के तीन भाई बहनों ने सबसे मुश्किल परीक्षा में सफलता हासिल की. पिता मजदूर थे, तीनों एक ही किताब से पढ़ते थे, ना कोचिंग की ना इंटरनेट से पढ़ाई की और जम्मू कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा (JKCSE) में सफलता हासिल की.

तीन भाई-बहनों ने बिना इंटरनेट एक ही किताब से की पढ़ाई, फिर संघर्षों के बीच ऐसे बने अफसर

Success Story : अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो.. तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो... कुछ इसी तरह संघर्ष की आग में तपकर जम्मू-कश्मीर के तीन भाई बहनों ने सबसे मुश्किल परीक्षा में सफलता हासिल की. पिता मजदूर थे, तीनों एक ही किताब से पढ़ते थे, ना कोचिंग की ना इंटरनेट से पढ़ाई की और फिर सफलता ऐसी हासिल की कि दुनिया के लिए एक मिसाल कायम हो गई. 

जम्मू कश्मीर के सुदूर डोडा जिले के भलेसा के रहने वाले तीनों भाई बहन हुमा अंजुम वानी, उसकी बहन इफरा अंजुम वानी और भाई सुहैल अहमद वानी ने जम्मू कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा (JKCSE) में सफलता हासिल की है. इफरा अंजुम वानी और उनके छोटे भाई सुहैल अहमद वानी ने अपने पहले प्रयास इस परीक्षा को पास की तो वहीं हुमा अंजुम वानी ने दूसरे प्रयास में इस परिक्षा को पास किया है.

साल 2019 में ही सुहेल ने गवर्नमेंट एमएएम कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की थी, जबकि हुमा और इफरा ने 2020 में इग्नू से ओपन के माध्यम से राजनीति विज्ञान में एमए (MA) किया है. तीनों भाई-बहनों ने सिर्फ एक साल की मेहनत में यह सफलता हासिल की. तीनों ने साल 2021 में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया था और साल 2022 की परीक्षा में ही सफलता हासिल कर ली. 

हुमा अंजुम वानी के पिता मुनीर अहमद वानी श्रमिक ठेकेदार के रूप में काम करते हैं. वहीं इनकी मां एक गृहणी हैं. इससे पहले साल 2014 तक, मुनीर एक निजी कंपनी में मैकेनिक के रूप में भी काम कर चुके हैं. मुनीर बताते हैं कि उनके बच्चों को एक ही कमरा आपस में साझा करना पड़ता था क्योंकि सर्दियों में घर में 10-12 और गर्मियों में 6-8 लोग हुआ करते थे.

परीक्षा पास करने के बाद जहां सुहैल पुलिस सेवा में शामिल होना चाहते हैं. तो वहीं दोनों बहनें प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती हैं. दोनों बहनें समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों और महिलाओं के लिए काम करना चाहती हैं. इफरा ने कहना है कि यह परीक्षा परिणाम उनके जीवन में एक यू-टर्न है, एक ही दिन में उनका जीवन बदल गया है.

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