Deedwana: RSS पूर्व सैनिक संघ परिचय वर्ग कार्यक्रम हुआ आयोजित, सैनिक वीरता को किया नमन
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Deedwana: RSS पूर्व सैनिक संघ परिचय वर्ग कार्यक्रम हुआ आयोजित, सैनिक वीरता को किया नमन

डीडवाना में पंडित बच्छराज व्यास विद्या मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए  पूर्व सैनिक संघ परिचय वर्ग आयोजित किया गया. कार्यक्रम में रि. मेजर जनरल नरपत सिंह राजपुरोहित  मुख्य अथिति रहे.

Deedwana: RSS पूर्व सैनिक संघ परिचय वर्ग कार्यक्रम हुआ आयोजित, सैनिक वीरता को किया नमन

Deedwana, Nagaur News: डीडवाना में पंडित बच्छराज व्यास विद्या मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए  पूर्व सैनिक संघ परिचय वर्ग आयोजित किया गया. कार्यक्रम में रि. मेजर जनरल नरपत सिंह राजपुरोहित  मुख्य अथिति रहे. वहीं जिला संघ चालक रामा अवतार सराफ कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रान्त प्रचारक योगेंद्र कुमार रहें. कार्यक्रम की शुरूआत भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रजवलित करके किया.

कार्यक्रम में संघ के प्रचारक योगेंद्र कुमार ने पूर्व सेनिको को संबोधित करते हुए कहा कि परिस्थिति जैसी भी हो, भारतीय सैनिक वीरता के साथ लड़ता है. पूर्व सैनिकों को प्रबोधन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनका प्रबोधन हो चुका है. वह देश की धरोवर है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले 97सालों से संपूर्ण देश मे संस्कृति, संस्कार, सामाजिक समरसता राष्ट्र भक्ति, पर्यावरण, सहित अन्य विषयों पर कार्य कर रहा है. 

 भारत के प्रत्येक क्षेत्र में आज संघ के स्वयंसेवक अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहें है. पूर्व सैनिकों को अपने अपने स्थानीय क्षेत्र में किसी न किसी समाजिक कार्य में जुटने की आवश्यकता है यह संघ की प्रेरणा है. पूर्व सैनिक सेवा परिषद सगठन से जुड़ कर आप भी समाज परिवर्तन में अपनी भूमिका निभाएं.

उन्‍होंने कहा कि संघ की प्रार्थना की अंतिम चार पंक्तियां हमारा परिचय देती हैं. धर्म का अर्थ जोड़ने वाला, जो बिखरने नहीं देता. 1857 में पहला संघर्ष हुआ. असफल रहे पर चिंगारी दबी नहीं. हम किसी के शत्रु नहीं. डा हेडगेवार ने कहा था कि आक्रांताओं के विजय उत्सव की मिठाई नहीं खाऊंगा

उन्‍होंने कहा कि संघ के संस्थापक डा हेडगेवार ने तीसरी कक्षा में कहा था कि आक्रांताओं के विजय उत्सव की मिठाई नहीं खाऊंग. यह है देश भक्ति का संस्कार. अंग्रेज इंस्पेक्टर के आने पर वंदे मातरम

स्कूल बंद हुए लेकिन चार माह बाद भी कुछ नहीं मिला. यह थी उनकी संगठन क्षमता. डाक्टरी पढ़ी और विवाह न करने का निर्णय लिया.राजद्रोह का मामला हुआ तो बचाव किया. यह सोच कर कि एक और भाषण होगा,हुआ.

उन्‍होंने कहा, मैं अंग्रेज सत्ता को नहीं मानता. मेरा अधिकार है स्वतंत्र रहना. एक साल का दंड मिला. हम पर हमला करने पहले शक आए, कुषाण आए. फिर बाकी फिर इस्लाम आया फिर अंग्रेज लोग. उन्‍होंने कहा कि हजारों मील दूर से आए, इतनी बार आए क्यों क्योंकि हम हर बार अपनी ही ज़मीन पर हारते रहे.अपने दोष दूर करने होंगे. हम अपने आप में बंटे हैं, भाषा, प्रांत, खान- पान पर एक राष्ट्र के रूप में खड़े नहीं होते. सभी को एक होकर राष्ट्र के लिए अग्रिम पंक्ति मे खड़ा होना पड़ेगा.
बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था, किसी के बल से नहीं हारे, अपनी कमजोरी से हारे.

यूनिटी के लिए यूनिफार्मिटी आवश्यक भाषाएं अलग हैं, भाव एक ही है. हम नदी को मां प्रकृति को भी मैया कहते हैं. हमारे यहां स्वभाव है जितना लूंगा, उससे अधिक दूंगा. यह संस्कृति के संस्कार हैं. दूसरों का धन मिट्टी का ढेला. दूसरों के साथ वही करो, जो दूसरों से तुम चाहते हो. एकता की विविधता है जीवन सत्य के अनुसंधान के लिए है, उपभोग के लिए नहीं. कार्यक्रम मे आज पास के सेकड़ो पूर्व सैनिक उपस्थित रहें.

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