Basant Panchami 2024 : बसंत पंचमी पर डीडवाना में भगवान जानकीनाथ और माता लक्ष्मी का विवाह हुआ. जिसमें पूरा शहर शामिल हुआ, साथ ही भगवान की बारात शहर में निकाली गई, बाराती बैंड बाजे की धुन पर जमकर नाचे और विवाह की सभी खुशियों में शामिल हुए.
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Basant Panchami 2024 : माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी. कहा जाता है कि इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है.
इस दिन ही मां सरस्वती की उत्पति भी हुई थी. भारतीय संस्कृति में बसंत पंचमी का दिन प्रेम और प्यार का विशेष अवसर भी होता है. इस दिन युगल जोड़े एक दूसरे के साथ जीवन भर प्रेम की अटूट कसमें खाते हैं और इसी दिन शादी भी करते हैं.
लेकिन आज हम आपको डीडवाना में हुए भगवान जानकीनाथ और माता लक्ष्मी के विवाह के बारे में बताते हैं, जिसमें ना केवल पूरा शहर शामिल हुआ, बल्कि भगवान की बारात शहर में निकली, बाराती बैंड बाजे की धुन पर जमकर नाचे और विवाह की सभी खुशियों में शामिल हुए. क्या था यह पूरा आयोजन और हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में क्या है भगवान के इस विवाह उत्सव का महत्व और मान्यता, पढ़ें पूरी खबर
गूंजती शहनाइयां, ढ़ोल और बैंड बाजे की धुन पर झुमते बाराती, दूल्हे के रूप में गजराज पर विराजित भगवान जानकीनाथ और नाचती गाती महिलाएं, उपहार के रूप में लाई गई जोड़े और सोने चांदी के आभूषण, यह नजारा किसी आम शादी का नहीं, बल्कि डीडवाना में हुए भगवान जानकीनाथ और माता लक्ष्मी के विवाह का है, जो आज डीडवाना में संपन्न हुआ.
आपको बता दें कि डीडवाना का नागौरिया मठ 591 वर्ष पुराना है. इस मठ की देश भर में अनेक शाखाएं मंदिरों के रूप में मौजूद है. यह मठ दक्षिण भारत के तोताद्री पीठ से संबंध रखता है. इस मंदिर में वर्तमान में ब्रह्मोत्सव जारी है, जिसके तहत 7 दिनों तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम होते हैं. ब्रह्मोत्सव में भगवान जानकीनाथ का अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद भगवान अलग अलग वाहनों पर विराजित होकर मंदिर परिसर का भ्रमण करते हैं और भक्तों को दिव्य दर्शन देते हैं.
इसी ब्रह्मोत्सव के उपलक्ष में आज बसंत पंचमी के अवसर पर बसंत कल्याण उत्सव मनाया गया. नागौरिया पीठाधीश स्वामी विष्णु प्रपन्नाचार्य महाराज के सानिध्य में हुए इस विशेष आयोजन को देखने के लिए शहर के लोग उमड़ पड़े. इस दौरान भगवान जानकीनाथ दूल्हा बने, उसके बाद उन्हें गज वाहन पर विराजित किया गया.
तत्पश्चात उनकी बारात शहर भ्रमण पर निकली तो लोगों ने उनका जगह-जगह स्वागत सत्कार किया. बारात जब नागोरिया मंदिर पहुंची तो भगवान ने तोरण द्वार पर दस्तक दी, तब उनकी सास के रूप में एक महिला ने भगवान जानकीनाथ का स्वागत किया.
इसके बाद दुल्हन को उपहार भेंट किए गए, वही दूल्हा- दुल्हन को विवाह मंडप में बैठाया गया, जहां वैदिक मंत्रोच्चार और विधिविधान के साथ भगवान जानकीनाथ और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ. इस दौरान यजमान के रूप में कई दंपतियों ने हवन यज्ञ में भाग लिया.
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इस अवसर पर स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज ने भक्तों को आर्शीवचन देते हुए कहा कि भगवान की हर लीला में समाज के लिए सार्थक संदेश होता है. आज बसंत कल्याण उत्सव के माध्यम से भगवान के विवाह का मंचन किया गया है, ताकि लोग भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से परिचित हो साथ ही इसके मूल भाव को भी समझे.
उन्होंने कहा कि इस लीला को देखने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सहिष्णुता, सामंजस्य और त्याग का संचार होता है. इससे पारिवारिक जीवन में सामंजस्य बना रहता है. वैवाहिक दम्पतियों को भगवान की प्रणय कलह लीला से सीख लेते हुए अपने वैवाहिक जीवन को अगाध प्रेम के साथ सुखमय एवं आनन्दमय बनाने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन इसके लिए सच्ची श्रद्धा एवं विश्वास का होना जरूरी है, जो भक्त समर्पण भाव से भगवान की लीला का अनुभव करता है उस पर भगवान अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखते हैं.