Rajasthan Politics : चुनावी मैदान में तस्वीर साफ हो गई है. पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन के आखिरी दिन सभी सीटों पर प्रत्याशियों ने नॉमिनेशन फॉर्म दाखिल किए. इसके साथ ही पार्टियों के दावे भी तेज हो गए हैं. लेकिन इन सबके बीच चुनाव लड़ने से इनकार करने के मामले भी दिख रहे हैं.
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Jaipur : चुनावी मैदान में तस्वीर साफ हो गई है. पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन के आखिरी दिन सभी सीटों पर प्रत्याशियों ने नॉमिनेशन फॉर्म दाखिल किए. इसके साथ ही पार्टियों के दावे भी तेज हो गए हैं. लेकिन इन सबके बीच चुनाव लड़ने से इनकार करने के मामले भी दिख रहे हैं.
आखिर हिम्मत क्यों जवाब दे रही है? आखिर टिकिट मिलने के बाद नेता पीछे क्यों हट रहे हैं? यह सवाल राजस्थान के राजनीतिक हलकों में गूंज रहा है. दरअसल जिस तरह पहले तो जयपुर शहर से कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील शर्मा का टिकिट बदला गया. और दूसरी तरफ राजसमन्द से कांग्रेस के प्रत्याशी सुदर्शन रावत खुद अपनी उम्मीदवारी को वापस लेते हुए किसी अन्य को टिकिट देने की अपील पार्टी नेताओं से कर रहे हैं. कांग्रेस तो इस पर अपनी तरफ से फैसला करेगी ही. लेकिन उस फैसले से पहले सवाल यह है? कि आखिर नेता चुनाव लड़ने से इनकार क्यों कर रहे हैं?
कहां से चली इंकार की बयार
देश के पूर्वी हिस्से बंगाल और बिहार से चली चुनाव लड़ने से इनकार की बयार पश्चिमी हिस्से तक पहुंच गई है. दो मार्च को बीजेपी की पहली लिस्ट में भोजपुरी कलाकार पवन सिंह का नाम घोषित किया गया. पहले पवन ने बीजेपी नेतृत्व का आभार जताया. लेकिन दो दिन बाद ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया.चुनाव लड़ने से इनकार करने का यह रवैया हवा पर सवाल होकर राजस्थान तक पहुंच गया है. राजसमन्द सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में नाम घोषित होने के बाद अब सुदर्शन रावत भी चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे हैं. इस सिलसिले में सुदर्शन रावत ने एक पत्र भी पीसीसी चीफ गोविन्द डोटासरा को लिखा है.
इससे पहले जयपुर शहर में भी कांग्रेस को टिकिट बदलना पड़ा. दरअसल सुनील शर्मा को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद कांग्रेस के ही कुछ नेताओं ने उनके जयपुर डायलॉग के मंच से जुड़ाव पर सवाल उठाये.इसके बाद खुद सुनील शर्मा ने उनका टिकिट बदलने का प्रस्ताव पार्टी को दिया था. लेकिन उनके पत्र से पहले ही पार्टी ने रिपोर्ट मंगाई और टिकिट बदलकर प्रताप सिंह खाचरियावास को दे दिया. इस बदलाव से ब्राह्मण समाज ने भी नाराज़गी जताई थी. साथ ही सुनील शर्मा ने भी उन पर सवाल उठाने वाले शशि थरूर समेत दूसरे लोगों पर भी काउन्टर अटैक करते हुए थरूर से टिकिट लौटाने की मांग की थी.
नेता की छवि होती है मजबूत
दरअसल, राजनीति में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह चुनाव लड़े. राज्य सभा से जिन नेताओं को संसद के उच्च सदन में भेजे जाता है. वे भी मन में तो यही चाहते हैं कि सक्रिय राजनीति में जनता के चुनाव के जरिये वे किसी सदन तक पहुंचे. ऐसा इसलिए भी, क्योकिं इससे नेता की छवि मजबूत होती है. और उसका इकबाल बुलन्द होता है. राजनीति में आए लोग इसलिए भी चुनाव लड़ना चाहते हैं. क्योंकि इससे वे नेता के रूप में पार्टी और क्षेत्र में स्थापित होते हैं.
इन सबके बीच. जिस तरह बीजेपी में जयपुर का टिकिट बदलने के बाद सांसद रामचरण बोहरा और दूसरे दावेदारों को भी अपने साथ लेकर बीजेपी प्रत्याशी मंजू शर्मा नामांकन भरने पहुंची. वह पार्टी की एकजुटता दिखा रहा था. लेकिन सुदर्शन रावत का इनकार, उनका अनमनापन और पार्टी के ही एक बड़े नेता पर उठाये गए सवाल . इस बात की तरफ़ इशारा कर रहे हैं कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा.