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Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने राजस्थान में बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. 20 साल से अटके हुए पूर्वी राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट को मूर्त रूप दे दिया गया. इससे ना सिर्फ पूर्वी राजस्थान की बड़ी आबादी की प्यास बुझेगी बल्कि मध्य प्रदेश को भी इस प्रोजेक्ट का फायदा मिलेगा. इस प्रोजेक्ट का पहला ख्वाब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने देखा था, जिसे धरातल पर लाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2016 में पहल की थी. जिसे अब जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पूरा किया. अब इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिल गया है. ऐसे में अब इस प्रोजेक्ट का 90 फ़ीसदी खर्चा मोदी सरकार उठाएगी.
दरअसल विधानसभा चुनाव में ERCP का मुद्दा जमकर उछाला गया, पिछली गहलोत सरकार ने भी इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए कई कोशिशें की, लेकिन पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से सहमति ना बनने के चलते यह मामला अटका रहा, लेकिन अब राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों ही राज्यों में भाजपा की डबल इंजन सरकार आते ही ERCP पर भी मुहर लग गई है.
केंद्र के इस दांव से राजस्थान के 13 जिलों में पड़ने वाली 83 विधानसभा और 9 लोकसभा सीटों पर असर पड़ेगा. जिसमें जयपुर, जयपुर ग्रामीण, अजमेर, कोटा, दौसा, भरतपुर, धौलपुर- करौली, टोंक-सवाई माधोपुर और बांरा-झालावाड़ लोकसभा सीट पर निश्चित तौर पर सियासी हवा बदलेगा. जहां लोकसभा चुनाव में भाजपा इसे पूरी तरह भूनाने की कोशिश करेगी, तो वहीं इस प्रोजेक्ट पर सहमति बनने के बाद कांग्रेस की बैचेनी बढ़ना तय है.
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले जमकर ERCP का मुद्दा उठाया था और उसके जरिए अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत घेरने की कोशिश की थी. वहीं बार-बार अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनका वादा भी याद दिलाया था. अब भाजपा से 'मोदी की गारंटी पूरी' होने के तौर पर पेश कर रही है और इससे 13 जिलों की 9 लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने की पूरी कोशिश रहेगी, जिससे इसका फायदा लोकसभा चुनाव में उठाया जा सके.