Ashok Gehlot on Electoral Bonds: इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से SBI को दी गई मोहलत शुक्रवार को खत्म हो गई. जिसके बाद बैंक ने बॉन्ड्स का सारा डाटा जारी कर दिया है. लेकिन उसके बावजूद पूर्व सीएम गहलोत ने BJP पर इसे लेकर निशाना साधा है.
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Ashok Gehlot on Electoral Bonds: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया था . जिसके बाद से इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर अब सियासत गरमा गई है. इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर प्रदेश के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा है कि, इलेक्टोरल बॉन्ड देश का सबसे बड़ा घोटाला है, BJP द्वारा मचाई गई लूट देश के सामने आई है. ED भाजपा का एक्सटोर्सन डिपार्टमेंट बनकर रह गई' जिन कंपनियों पर केन्द्रीय एजेंसियों ने छापे मारे है , उन्होंने ही भाजपा को इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा दिया है. इसीलिए उन पर चल रही कार्रवाई रुक गईं.
पूर्व सीएम गहलोत ने यह बात अपने अधिकारिक सोशल मीडिया एक्स पर कही है. उन्होंने आगे कहा है कि भाजपा ने सट्टेबाजी, जुआ आदि का काम करने वाली कंपनियों तक से चंदा लिया है और यही भाजपा के चरित्र का सत्यापन है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से कह रही थी कि इलेक्टोरल बॉण्ड देश का सबसे बड़ा घोटाला है। उन्होंने कहा ‘‘अब यह देश के सामने आ गया है कि भाजपा देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी है जिसने भ्रष्टाचार का सरकारीकरण कर दिया है। ऐसा पहली बार देखा गया है कि जो कंपनियां घाटे में चल रही हैं वह भी करोड़ों रुपये का चंदा भाजपा को दे रही हैं।’’
इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा सार्वजनिक होने के बाद भारतीय जनता पार्टी द्वारा मचाई गई लूट देश के सामने आ गई है। इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी से तो ऐसा लगता है कि ED भाजपा का एक्सटोर्सन डिपार्टमेंट बनकर रह गई है। जिन कंपनियों पर केन्द्रीय एजेंसियों ने छापे मारे, उन्होंने ही भाजपा को…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) March 15, 2024
बता दें कि बता दें कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक याचिका दायर की थी. इसमें 11 मार्च को पारित आदेश में संशोधन की मांग की गई है. आवेदन में 11 मार्च के आदेश के ऑपरेटिव हिस्से में कुछ स्पष्टीकरण या संशोधन की मांग की गई है. हालांकि क्या संसोधन है, ये अभी पता नहीं चला है. आवेदन में 12 अप्रैल 2019 और 02 नवंबर 2023 के आदेशों के अनुसार चुनाव आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत डॉक्यूमेंट्स, डाटा, सूचना को सीलबंद लिफाफे या बक्से में जारी करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है.
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