बिना बाघ का मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, 7 में से 1 बाघिन बची वो भी मुकंदरा से दूर
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बिना बाघ का मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, 7 में से 1 बाघिन बची वो भी मुकंदरा से दूर

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में सबसे पहले 3 अप्रैल 2018 में पहला बाघ टी-91 रामगढ़ से लाकर छोड़ा गया था. 

बिना बाघ का मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, 7 में से 1 बाघिन बची वो भी मुकंदरा से दूर

Ramganj Mandi: जहां एक तरफ राजस्थान प्रदेश के टाइगर रिजर्व बाघों से बाग-बाग है. वहीं हाड़ाैती की नई पहचान बने चुके मुकुंदरा टाइगर रिजर्व अभी भी बाघों से आबाद नहीं हो सका है. रिजर्व बनने के 10 साल बाद भी यहां टाइगर नहीं बस पाए. जिसके कारण वन्यजीव प्रेमियों में रोष व्यक्त हैं. पहले रिजर्व घोषित हाेने के बाद चार बाघ-बाघिन व तीन शावक रिजर्व में थे. परन्तु वर्तमान में अब केवल एक बाघिन बची है. वह भी पूरे रिजर्व में अकेली होने के कारण बीमार सी रहती है और उसे जहां छोड़ रखा है वो क्षेत्र भी बाघों के लिये सही नहीं बताया गया.

जिसके कारण क्षेत्र के लोगों को लग रहा है कि सरकार अब खुद नही चाहती कि मुकंदरा आबाद हो. वही वन्यजीव प्रेमियों का कहना है ढाई साल से मुकुंदरा में बाग लाने का कार्य कागजों में चल रहा है. अधिकारियों की लापरवाही के कारण मुकुंदरा में एक के बाद एक टाइगर की मौत हो रही है. ऐसे में यहां पर पर्यटन विकास की बाट जोह रहे लोगों में निराशा है. वहीं सांगोद विधायक भरत सिंह ने भी कही बार केंद्र व राज्य सरकार को मुकंदरा आबाद करने के लिये कई पत्र लिखे हैं. फिर आज तक कोई संतुष्ट जवाब नही मिला है.

मुकंदरा को ऐसे किया आबाद, फिर धीरे धीरे उजड़ता गया बाघों का कुनबा

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में सबसे पहले 3 अप्रैल 2018 में पहला बाघ टी-91 रामगढ़ से लाकर छोड़ा गया था. जिसे एमटी-1 नाम दिया गया. यह वन्यजीव प्रेमियों के साथ क्षेत्रवासियों के लिए एतिहासिक पल था. फिर 18 दिसम्बर 2018 को रणथंभोर से बाघिन टी-106 सुल्ताना मुकुंदरा लाई गई. जिसे मुकुंदरा में एमटी-2 के नाम से जाना गया. 9 फरवरी 2019 को रणथंभोर से निकला बाघ टी-98 जंगल के रास्ते खुद मुकुंदरा पहुंचा.

इसे एमटी-3 नाम दिया गया. बाद में 12 अप्रैल 2019 को रणथंभोर से बाघिन लाइटनिंग टी-83 को लाकर यहां बसाया गया. इसको यहां एमटी-4 के नाम से जाना गया. इसके बाद मुकुंदरा रिजर्व में पहली खुशी तब मिली जब 2 जून 2020 को बाघिन एमटी-2 को 2 शावकों के साथ देखा गया. दूसरी बघिन ने भी शावक दिया. यानी कि रिजर्व में कुल दो जोड़ों के साथ तीन शावक हो गए थे, लेकिन योजना को तब धक्का लगा जब 23 जुलाई 20 को टाइगर रिजर्व में बाघ एमटी-1 मृत मिला. जिसके बाद 3 अगस्त को बाघिन एमटी-2 भी जंगल में मृत अवस्था में मिली.

इसके एक शावक का आज तक पता नहीं लग पाया है. 18 अगस्त को शेष एक शावक की इलाज के दौरान मौत हो गई. वहीं, एक टाइगर और 1 शावक अभी तक लापता चल रहा है. ऐसे में रिजर्व में केवल एक ही बाघिन बची है जो मुकंदरा के ऐसी जगह छोड़ रखी है जो बाघों के लिए सही नही है.

मुकंदरा आबाद करो नहीं तो होगा उग्र आंदोलन

मुकुंदरा संघर्ष सीमित के अध्यक्ष कुंदन चीता ने कहा कि सरकार मुकुंदरा को जल्द आबाद करें नहीं तो बाघ बसाने की मांग को लेकर दरा से ही देश का सबसे बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा. सरकार समय रहते यहां बाघों को बसाए ताकी सालों से चली आ रही मांग पूरी हो सके और मुकुंदरा आबाद हो सके. वही मुकंदरा संघर्ष समिति ने मुकंदरा आबाद करने के लिये गाँवो में चौपाल तक लगाना शुरू कर दिया है. वही मुकंदरा अधिकारियों का कहना हैं कि जल्द मुकंदरा आबाद करने के कार्यस किये जा रहे है.

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