Shani Ke Upay : वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि देव को क्रूर माना जाता हैं. इसीलिये सभी शनि देव से डरते हैं. अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में बैठे शनिदेव वक्री होकर अब कई जातकों की परीक्षा लेने आ रहे हैं. लेकिन चूंकि शनि एक न्यायप्रिय ग्रह है, ऐसे में अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाएं तो शनिदेव के प्रकोप से बचा जा सकता है.
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Shani Ke Upay : वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि देव को क्रूर माना जाता हैं. इसीलिये सभी शनि देव से डरते हैं. अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में बैठे शनिदेव वक्री होकर अब कई जातकों की परीक्षा लेने आ रहे हैं. लेकिन चूंकि शनि एक न्यायप्रिय ग्रह है, ऐसे में अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाएं तो शनिदेव के प्रकोप से बचा जा सकता है.
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शनि देव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है. जिस घर में माता पिता और वृद्ध जनों का सम्मान होता है उस घर से शनि देव बहुतप्रसन्न होते है और जिस घर में वृद्ध का अपमान होता है उस घर से खुशहाली दूर भागती है. जैसे-जैसे व्यक्ति वृद्ध होता है उसे भूख कम लगने लगती है. नींद कम आती है वो काम वासना से विमुख हो जाता है. उसमें लोक कल्याण की भावना जागृत हो जाती है. ये सभी गुण देवताओं के हैं. कहने का तात्पर्य है की वृद्ध अवस्था में व्यक्ति देवत्व प्राप्त करता है. इसलिए शनि कृपा प्राप्त करने के लिए वृद्ध जनों की सेवा सर्वोपरि है.
शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय
शनि मंदिर से शनि रक्षा कवच या काला धागा हाथ में बांधने के लिए अवश्य लें.
शनि अमावस्या, शनि जयंती या शनिवार को बन पड़े तो शनि मंदिर में नंगे पैर जाएं.
शनिवार और मंगलवार को क्रोध ना करें. धैर्य बनाए रखें.
शुभ काम से पहले पूर्व कार्य बाधा निवारण के लिए प्रार्थना करके हनुमान और शनि देव के नाम का नारियल फोड़े.
शनि मृत्युंजय स्त्रोत दशरथ कृत शनि स्त्रोत का 40 दिन तक नियमित पाठ करें.
शनि अमावस्या को अपने वजन का दशांश सरसों के तेल का अभिषेक करना चाहिए.