खान मजदूरों के बच्चे खानियों में काम ना करें इसलिए गाढ़ी कमाई से बनाई अत्याधुनिक लैब उसके परिणाम आने लगे सामने. कुछ ऐसे कदम होते हैं, जो दिखते छोटे हैं, लेकिन उनके परिणाम बहुत बड़े होते हैं. क्योंकि आख़ीरकार वे कदम ही बदलाव के वाहक विचारों के सृजन की पौधशाला बनते हैं.
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Shergarh: खान मजदूरों के बच्चे खानियों में काम ना करें इसलिए गाढ़ी कमाई से बनाई अत्याधुनिक लैब उसके परिणाम आने लगे सामने. कुछ ऐसे कदम होते हैं, जो दिखते छोटे हैं, लेकिन उनके परिणाम बहुत बड़े होते हैं. क्योंकि आख़ीरकार वे कदम ही बदलाव के वाहक विचारों के सृजन की पौधशाला बनते हैं. कुछ ऐसे ही छोटे कदमों से शुरू हुई एक यात्रा की कहानी है शेरगढ़ के जाटी भांडु ग्राम पंचायत के गूंदियाल नाडी गांव की.
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2013 में यहां के उस समय के स्कूल रा.उ.प्रा.वि गूंदियाल नाडी में एक छोटी से पहल शुरू हुई कि गांव के अभिभावक स्कूल में हर अमावस्या को स्कूल में मीटिंग कर शिक्षा के बारे में सोचेंगे और उसकी बेहतरी के लिए कुछ उपाय करेंगे. ये विचार आया ऐसे गांव में जिसमें उस समय 2013 तक कोई ग्रेजुएट नहीं हुआ था. कृषि और खान मजदूरी के अलावा जहां कोई और रास्ता नहीं था जीवन यापन का. उनके बच्चे भी इस अभाव से मुक्ति कैसे पाएं इसके समाधान लिए उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रयास करने शुरू कर दिए.
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों के ही करीब में वहां के अभिभावकों को अध्यापकों की कमी की समस्या का सामना करना पड़ा स्कूल में शिक्षकों की कमी को कैसे पूरा किया जाए जब इस समस्या का समाधान कई महीनों तक नहीं मिला तभी एसएमसी की मीटिंग में यह मुद्दा उठा कि कंप्यूटर शिक्षा के माध्यम से बच्चों को सभी विषयों के अध्यापक ऑनलाइन उपलब्ध हो सकते हैं और साथ ही जो कार्यरत शिक्षक हैं वह भी अपनी शिक्षण शैली में गुणात्मक परिवर्तन ला सकते हैं. इसी विचार से विद्यालय में एक कंप्यूटर लैब का सपना वहां के अभिभावक जोकि खान मजदूर और खेतिहर मजदूर थे. उन्होंने देखा एक ऐसी कंप्यूटर लैब जो अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त हो और उसमें एक ऐसा प्रोजेक्टर भी हो जिसमें सभी कक्षा के छात्र अलग-अलग समय पर अपनी विभिन्न विषयों की कक्षाएं शिक्षकों के मार्गदर्शन में ले सके.
इसी दौरान वहां पर कार्यरत अध्यापकों ने गांव वालों को यह प्रस्ताव दिया कि महंगे प्रोजेक्ट को शुरू करने में बहुत सारी पूंजी की जरूरत पड़ेगी और इसके लिए स्कूल के ग्रामीण अभिभावकों और अन्य ग्रामीणों ने हर महीने अमावस्या पर बैठक के दौरान विद्यालय में कंप्यूटर लैब के लिए अपनी गाढ़ी कमाई के पैसों से पाई पाई जोड़ का शुरू किया और उसे एसएमसी कमेटी के पास जमा करवाना शुरू किया. एक तरीके से यह अब ग्रामीण जनों का एक मिशन बन गया कि हमारे बच्चों के लिए एक कंप्यूटर लैब गांव के सरकारी स्कूल में होनी ही चाहिए. इस अभियान में गांव की खान मजदूरों और खेतिहर मजदूरों की लगन को देखते हुए स्कूल के शिक्षक भी इस अभियान में शामिल हो गए और उन्होंने भी अपना योगदान दिया और अन्य भामाशाह को भी इस पहल से जोड़ा जिसमें प्रमुख नाम जसवंत सिंह इंदा है, जिन्होंने कंप्यूटर लैब के लिए एक कम्प्यूटर व प्रोजेक्टर गांव वालों के सपने को पूरा करने के लिए दिया.
गांव की तत्कालीन महिला सरपंच श्रीमती धापू देवी बेरड़ ने भी विद्यालय के एक कक्षा कक्ष को अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब हेतु मरम्मत करवाया और गांव के लोगों ने अपने ऐसे लड़के जो आगे पढ़ नहीं पाए और मजदूरी के लिए लकड़ी का काम सीख गए. उन्होंने विद्यालय कि एसएमसी के द्वारा लाए गए सामान से कंप्यूटर का फर्नीचर बिना कोई मजदूरी लिए तैयार कर दिया और गांव के खान मजदूरों के द्वारा इकट्ठे किए गए पैसे के द्वारा 20 कंप्यूटर खरीद कर लाए गए, जिसका परिणाम यह हुआ कि विद्यालय में एक अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब बन कर तैयार हो गई जो अगस्त 2017 में सुचारू रूप से चलने लगी.
इसी बीच दुर्भाग्यवश विद्यालय में हुए एक शॉर्ट सर्किट की वजह से विद्यालय की कंप्यूटर लैब में आग लग गई, लेकिन गांव के मजदूर लोगों ने केवल हवा में ही सपने नहीं देखे थे बल्कि उनके अंदर उस सपने को यथार्थ में लाने की एक जिद थी इसी वजह से उन्होंने उस कंप्यूटर लैब को वापस तैयार कराने की ठानी और इस बार गांव के मजदूरों की लगन को देखते हुए एक बार फिर तत्कालीन महिला सरपंच धापू देवी ने उस कंप्यूटर लैब को पुनः तैयार करवाया. उसके पश्चात उस कंप्यूटर लैब का विद्यालय में एक सुचारू रूप से उपयोग किया जाने लगा, जिससे विद्यालय और आसपास के परिवेश में कई सकारात्मक बदलाव हुए.
अध्यापकों की कमी से जूझ रहे विद्यालय को कंप्यूटर लैब से एक रचनात्मक सहारा मिला कंप्यूटर लैब के द्वारा बच्चों को यूट्यूब पर स्थित विभिन्न विषय विशेषज्ञों के द्वारा अपने विषयों को समझने का मौका मिला और धीरे-धीरे उन्होंने अपनी अवधारणात्मक कमजोरियों को दूर किया. अध्यापकों ने विषयों के नवीनतम अवधारणाओं से बच्चों को परिचित करवाया इससे बच्चों की शिक्षा में गुणात्मक वृद्धि हुई और विद्यालय के बच्चों की शैक्षिक स्तर में सुधार हुआ.
कंप्यूटर लैब के माध्यम से बच्चों को नवोदय परीक्षा के लिए भी तैयार किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप विद्यालय के कक्षा 5 के छात्र हरीश का इन्हीं प्रयोगों के चलते नवोदय विद्यालय में चयन हो गया.
बच्चों को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जा रही विभिन्न छात्रवृत्ति परीक्षाओं के लिए भी तैयारी करवाई गई जिससे विद्यालय की कक्षा 9 की छात्रा बाला देवी का नेशनल मेरिट कम मींस छात्रवृत्ति में चयन हुआ.
अध्यापक पुखराज के पहल पर विद्यालय में कंप्यूटर लैब के माध्यम से हैंडराईटिंग इंप्रूवमेंट क्लास जोकि हरियाणा के सिवाच सर के द्वारा ऑनलाइन यूट्यूब वीडियो पर आयोजित की जाती है उनके ऑनलाइन क्लास के माध्यम से बच्चों को नियमित हैंडराइटिंग इंप्रूवमेंट का अभ्यास करवाया जाने लगा, जिससे बच्चों की हैंडराइटिंग में अकल्पनीय सुधार हुआ और जब बच्चों के द्वारा लिखे गए हस्त लेखों को सिवाच सर के पास भेजा गया तो वह बहुत खुश हुए और वे हरियाणा से आकर गूंदियाल स्कूल के बच्चों से मिले और यहां पर एक बड़ा सेमिनार आयोजित किया. बच्चों के गुणात्मक शिक्षा में व्यापक बदलाव आए और उनका शैक्षिक स्तर बहुत ही बदल गया. इस वजह से बच्चों ने यहां से आठवीं करने के बाद कक्षा 10 और 12 में बहुत अच्छे मार्क्स हासिल किये. इस वजह से उनके अभिभावक उनके उच्च शिक्षा के बारे में गंभीरता से सोचने लगे और इसी वजह से इस विद्यालय से पढ़े हुए कई बच्चे कोटा में नीट परीक्षा की तैयारी करने के लिए गए हुए हैं। यहां से पढ़ा हुआ छात्र वीरम चौधरी ने कक्षा 12 में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए और अब वह कोटा में NEET की तैयारी कर रहा है. बालिकाओं की शिक्षा में गुणात्मक वृद्धि हुई और यहां से पड़ी हुई बालिकाएं जब बड़ी कक्षाओं में अकादमिक प्रदर्शन अच्छा कर पाई तो उनके अभिभावकों ने उन्हें पढ़ने के लिए शहर में भेजने का साहस किया.
खान श्रमिक तिलाराम की पुत्री सुआ देवी खान श्रमिक भंवरा राम की पुत्री मैना देवी आज उच्च शिक्षा के लिए जोधपुर शहर में पढ़ रही है. कंप्यूटर लैब से विकसित हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण की वजह से कक्षा 6 के विद्यार्थी रमेश कुमार का इंस्पायर अवार्ड मानक योजना 2021 में चयन हुआ. खान श्रमिकों के बेटे सोहन राम ,नेमाराम, टोमाराम आज इसी वजह से उच्च शिक्षा के लिए जोधपुर में पढ़ पा रहे हैं और अपने भविष्य के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. विद्यालय में किए जा रहे प्रयासों की वजह से अभिभावकों का इतना आत्मविश्वास बढ़ा कि उन्होंने इस विद्यालय को उच्च प्राथमिक से आगे क्रमोन्नत करवाने के लिए अपने पूरे प्रयास लगा दिए और उसका परिणाम यह निकला कि यह विद्यालय 2021 में माध्यमिक औऱ 2022 में उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत हो गया.
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका शशि शर्मा ने बताया कि विद्यालय के द्वारा कंप्यूटर लैब के माध्यम से व्यापक बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है और इसका प्रयोग सिर्फ पढ़ने और पढ़ाने में ही नहीं बल्कि गांव के अनपढ़ माता-पिता को एसएमसी मीटिंग के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों को दिखाकर बालिका शिक्षा, महिला साक्षरता, बाल विवाह ,पर्दा प्रथा ,उच्च शिक्षा आदि मुद्दों पर समझ विकसित करवाने का प्रयास किया जाता है ताकि कंप्यूटर लैब केवल शैक्षिक बदलाव का ही नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव का भी एक माध्यम बने.
विद्यालय में ही चल रही आंगनवाड़ी की संचालिका भानी देवी ने बताया कि हर बृहस्पतिवार को जब यहां महिलाएं अपने स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण संबंधी कार्य के लिए आती हैं तो उन्हें कंप्यूटर लैब में बैठक का महिलाओं को आने वाली स्वास्थ्य दिक्कतें पोषण और उससे संबंधित समस्याओं के समाधान और निवारण के लिए उचित प्रयासों के बारे में जागरूक किया जाता है जैसे महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता ना केवल स्वयं के प्रति बल्कि अपने परिवार और बच्चों के प्रति भी बड़ी है. महिलाएं अपना केवल अपने स्वास्थ्य बल्कि अपने अपने बच्चों खासकर अपनी लड़कियों की शिक्षा वह स्वास्थ्य के लिए जागरूक हुई है.
एसएमसी मीटिंग के दौरान हमेशा अभिभावकों का भी कंप्यूटर लैब में एक साथ रखा जाता है, जिसमें न केवल उनकी कंप्यूटर साक्षर साक्षरता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है बल्कि राजस्थान सरकार के द्वारा कृषि, खनन, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में संचालित की जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में उन्हें जागरूक किया जाता है और श्रमिकों के उत्थान के लिए भी सरकार क्या प्रयास कर रही है उसके बारे में बताया जाता है ताकि गांव के किसान व मजदूर उन सभी योजनाओं का भरपूर फायदा उठा सके. राजस्थान सरकार ने चिरंजीवी योजना को लागू किया तो उस योजना को इस कंप्यूटर लैब के माध्यम से गांव के हर घर गांव ढाणी ढाणी तक पहुंचाया गया और उससे होने वाले स्वास्थ्य संबंधी लाभों को लोगों को बारीकी से अध्यापकों के द्वारा समझाया गया. ग्रामीण जनों को पर्यावरण संरक्षण और विश्व में आ रहे पर्यावरण बदलावों के प्रति भी कंप्यूटर लैब के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है और उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत तौर पर प्रयास करने के लिए प्रेरित किया गया जिसके परिणाम स्वरुप विद्यालय के पास स्थित ओरण में ग्रामीण लोगों ने 200 पौधों को बूंद बूंद सिंचाई पद्धति से जोड़कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक रचनात्मक पहल की.
विद्यालय में चल रहे इतने व्यापक कार्यों और उनकी गुणात्मक ता से प्रभावित होकर पास आप ही के गांव के निवासी और भारतीय सेना में कर्नल पद पर तैनात श्री बलदेव जी सारण ने इस विद्यालय का दौरा किया और यहां के ग्रामीण जनों को विद्यालय में कंप्यूटर लैब जैसी क्रांतिकारी कदम को सफल करने के लिए साधुवाद दिया और महिलाओं को भी बालिका शिक्षा व अपने बच्चों के लिये और जागरूक प्रयास करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने आश्वासन दिया कि भारतीय सेना के द्वारा एनसीसी में जो ऑनलाइन डॉक्युमेंट्रीज और वीडियो प्रोग्राम बच्चों को बताए जाते हैं वही प्रोग्राम इस विद्यालय को भी कंप्यूटर लैब के माध्यम से बच्चों को बताने के लिए उपलब्ध करवाए जाएंगे.
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