44 सालों से रावण का किरदार कर रहे शिवभगवान शर्मा, भगवान राम को मानते हैं आराध्य
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44 सालों से रावण का किरदार कर रहे शिवभगवान शर्मा, भगवान राम को मानते हैं आराध्य

बगड़ के नवनीत ने बताया की यहां रामलीला के आयोजन का जिम्मा कोई एक संस्था नहीं बल्कि पूरा गांव मिलकर संभाल रहा है. नौकरीपेशा लोग इसमें अभिनय करते हैं.

44 सालों से रावण का किरदार कर रहे शिवभगवान शर्मा, भगवान राम को मानते हैं आराध्य

Jhunjhunu: असत्य पर सत्य की विजय का पर्व विजयदशमी आज हर्षाेल्लास के साथ देशभर में मनाया जा रहा है. झुंझुनूं के बगड़ कस्बे की रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले शिव भगवान शर्मा जो भगवान श्रीराम को अपना आराध्य मानते है. मगर बगड़ की रामलीला में वह बीते 44 साल से रावण का किरदार निभा रहे हैं. रावण के किरदार को निभाते निभाते बगड़ की जनता उन्हें रावण के नाम से ही जानने लगी है.

रावण का किरदार निभाने के पीछे उनकी लगन ऐसी कि वह करीब 600 किलोमीटर रोजाना अप डाउन करके बगड़ की रामलीला में अपना किरदार निभाया करते थे. शिव भगवान शर्मा ने बताया कि इस रावण के किरदार को निभाने के चलते छुट्टिया नहीं मिलने के कारण वे अपना किरदार निभाने बगड़ आ गए थे जिसके कारण उन्हें एक बार एपीओ भी किया गया था.

बीकानेर में उनकी ड्यूटी थी और रावण का किरदार निभाने की लगन ऐसी थी कि वह बगड़ से सुबह 5.30 बजे बीकानेर के लिए रवाना होते और फिर बीकानेर से दोपहर को बस से रवाना होकर शाम को 6.00 बजे बगड़ पहुंचते और फिर इस रावण के किरदार को निभाते. रामलीला के इतिहास के पिछले 48 सालों में से 44 साल से रावण का किरदार एक ही व्यक्ति निभाता आ रहा है. गांव के शिवभगवान शर्मा 44 वर्षों से रावण का किरदार निभा रहे हैं. उनकी दहाड़ सुनकर ही लोग रोमांचित हो उठते हैं. उनका अभिनय देखने के लिए बगड़ ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों से भी लोग जुटते हैं.

कस्बे के अध्यापक, वकील, दुकानदार से लेकर चिकित्सक तक राम की लीला में कलाकार बनकर अभिनय करते हैं. खास बात यह है भी है कि 48 वर्ष पहले शुरू हुई इस रामलीला में 44 साल से एक ही कलाकार शिवभगवान शर्मा रावण बनकर दहाड़ रहे हैं. राम को आदर्श मानने वाले शिवभगवान शर्मा के किरदार की क्षेत्र में अलग ही पहचान है.

बगड़ के नवनीत ने बताया की यहां रामलीला के आयोजन का जिम्मा कोई एक संस्था नहीं बल्कि पूरा गांव मिलकर संभाल रहा है. नौकरीपेशा लोग इसमें अभिनय करते हैं. यहां रामलीला में एक भी पेशेवर कलाकार नहीं बुलाया जाता है. सभी नौकरी पैसा वाले लोग अभिनय करते हैं. बगड़ की रामलीला संस्था के पास खुद की जगह और पक्का स्टेज है. इसका श्रेय जाता है दलीप पीरामल को, जिन्होंने पीरामल शताब्दी वर्ष पर अपने दादा पीरामल की स्मृति में रंगमंच (स्टेज) का निर्माण करवाया. जमीन के लिए कस्बे कई लोगों का सहयोग रहा.

Reporter-Sandeep Kedia

 

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