Bhinmal : बीएलओ संघ का कहना है कि विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था बाधित हो रही हैं. सभी शिक्षक आधार फीडिंग कार्य के लिए डोर टू डोर जा रहे हैं.
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Bhinmal : राजस्थान के जालोर ज़िले के भीनमाल में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाने के विरोध में बीएलओ संघ ने एसडीएम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इसके बाद उपखंड अधिकारी जवाहरराम चौधरी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों ने कहा कि कई बार न्यायालय द्वारा शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाने के लिए कहा गया है फिर भी राज्य सरकार ने उन्हें बीएलओ और सुपरवाइजर के पद पर लगा दिया.
ज्ञापन में बताया कि वैसे तो अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी बीएलओ पद पर लगाया जा सकता है, लेकिन सिर्फ सरकारी शिक्षकों को ही बीएलओ बनाया जाता है. किसी भी चुनावी प्रक्रिया के तहत सबसे ज्यादा बीएलओ का कार्य होता है, उसी दौरान शिक्षक का कार्य भी करना होता है. ज्ञापन में बताया कि जल्द ही शिक्षकों को बीएलओ कार्य से मुक्त किया जाए, ताकि छात्रों का अध्ययन बाधित ना हो.
शिक्षकों की मांग है कि बीएलओ कार्य से मुक्त रखा जाए. इस दौरान मोहन लाल पंवार, भाखर सारण,विजयसिंह,रामचंद्र जीनगर, भानाराम, शंकर लाल,किशनाराम सारण, किशोर कुमार, डाया लाल, दुर्गसिंह राठौड़ सहित शिक्षक उपस्थित रहे.
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शिक्षकों के साथ हो रहा भेदभाव
वर्तमान में मतदान केंद्रों पर बूथ लेवल अधिकारियों में 95% से अधिक शिक्षकों को लगाया जाता है. जिससे विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चल पाती है. वही, राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वित भी बाधित हो रही है. भारत निर्वाचन आयोग की बीएलओ हैंडबुक में अनेक कर्मचारियों जैसे पटवारी, कृषि पर्यवेक्षक, आंगनवाडी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, बिजली व डाक विभाग के कर्मचारी, ग्राम विकास अधिकारी आदि कर्मचारियों को बनाए जाने का प्रावधान है. फिर भी शिक्षकों को ही बनाया जाता है.जो कि गलत है. शिक्षकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है जो बर्दाश्त नहीं होगा. अन्य विभागों के कर्मचारियों का सीधा जनता से जुड़ाव होता है, इसलिए अन्य कार्मिकों से किसी को भी बीएलओ कार्य के लिए नियुक्त किया जा सकता है
समय रहते नहीं माने तो होगा आंदोलन
बीएलओ संघ का कहना है कि विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था बाधित हो रही हैं. सभी शिक्षक आधार फीडिंग कार्य के लिए डोर टू डोर जा रहे हैं. जबकि अन्य विभाग के कर्मचारियों को बीएलओ बनाकर शिक्षकों को मुक्त किया जा सकता है. लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही हैं. अगर समय रहते बीएलओ की मांग नहीं मानी गई, तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन के लिए तैयार रहें. उन्होंने बताया कि शिक्षकों को बीएलओ का कार्य देने से शिक्षण व्यवस्था के साथ साथ विद्यालयी समस्त गतिविधियां भी बाधित हो रही हैं. सरकार को समय रहते बीएलओ की मांग पर विचार करना चाहिए.
रिपोर्टर- डूंगर सिंह
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