जालोर चिकित्सा विभाग द्वारा दिए गए आकड़ों पर नजर डाले तो सरकारी अस्पताल में प्रसव के दौरान सिजरन के केस प्राइवेट अस्पताल की तुलना में कम आए हैं.
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Jalore: कुछ दिन पूर्व सांसद की अध्यक्षता में आयोजित दिशा की बैठक में जालोर चिकित्सा विभाग द्वारा दिए गए आकड़ों पर नजर डाले तो सरकारी अस्पताल में प्रसव के दौरान सिजरन के केस प्राइवेट अस्पताल की तुलना में कम आए हैं. जालोर जिले में अस्पतालों की कमी के कारण यहां के मरीजों को अक्सर पड़ोसी राज्य या अन्य स्थानों पर जाना पड़ता था, इस स्थिति को देखते हुए जिले के प्रतिभाशाली चिकित्सकों ने मिलकर चिकित्सा सेवाएं सुदृढ करने में अपनी अच्छी भूमिका निभाई. बड़े-बड़े निजी हॉस्पिटल शुरू किए.
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खासकर भीनमाल और सांचौर में तो अस्पतालों का हब तैयार हो गया है, लेकिन इनमें भी विडंबना यह है कि इन निजी हॉस्पिटल्स की ओर से सेवा के नाम पर मनमानी अधिक की जा रही है. आज हम यहां संस्थागत प्रसव की स्थिति बताने जा रहे हैं, जिसमें स्पष्ट हो जाएगा कि निजी अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों में कितना अंतर है. बड़े ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है कि भीनमाल ब्लॉक में निजी अस्पतालों में प्रसव कराने वाली हर आठवीं महिला का पेट चीरफाड़ किया जाता है.
वहीं सांचौर में तो हर छठी महिला का प्रसव के लिए सिजेरियन कर दिया जाता है, जबकि सरकारी संस्थाओं में यह आंकड़ा बिल्कुल अलग है. भीनमाल सरकारी सीएचसी में 21 महिलाओं में से एक महिला का ऑपरेशन किया जाता है. सामान्य प्रसव कराने में जालोर मातृ और शिशु स्वास्थ्य केंद्र ( एमसीएच) सबसे बेहतर साबित हो रहा है. अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक जिले की यही स्थिति है.
जिले में 68 फीसदी से अधिक प्रसव निजी अस्पतालों में बीते वित्तीय वर्ष की बात की जाए तो जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर 44 हजार 498 महिलाओं के प्रसव हुए, इनमें से 68 फीसदी से अधिक अर्थात 30 हजार 518 प्रसव निजी अस्पतालों में हुए, जबकि सरकारी संस्थाओं में केवल 13 हजार 980 प्रसव ही हुए है.
भीनमाल सबसे भारी
जिले में भीनमाल के अस्पतालों में सबसे ज्यादा प्रसव कराए जाते हैं. बीते वर्ष भीनमाल ब्लॉक में 14 हजार 411 महिलाओं के प्रसव हुए, जिसमें केवल 3 हजार 532 ही सरकारी अस्पताल में हुए, जबकि 10 हजार 879 प्रसव निजी अस्पतालों में हुए, जिनमें से 1358 महिलाओं का ऑपरेशन कर प्रसव किया गया, जबकि सरकारी हॉस्पिटल में केवल 165 का ही सिजेरियन हुआ.
इसी प्रकार सांचौर ब्लॉक के अस्पतालों में 12 हजार 14 प्रसव हुए, जिसमें से 10 हजार 846 प्रसव निजी अस्पतालों में कराई गई, इनमें से 1583 का प्रसव ऑपरेशन से किया गया, जबकि सांचौर के सरकारी संस्था में एक भी सिजेरियन प्रसव नहीं हुआ. हालांकि कई बार परिस्थिति की गम्भीरता को देखते हुए सिजेरियन ही बेहतर रहता है, लेकिन अधिकांश मामलों में ऐसी परिस्थिति नहीं होती.
जालोर एमसीएच सबसे भरोसेमंद
महिलाओं के प्रसव के लिए जालोर एमसीएच सबसे भरोसेमंद साबित हो रहा है. जालोर एमसीएच में बीते वर्ष 1507 महिलाओं का प्रसव कराया गया, जिनमें से केवल 14 महिलाओं का ही ऑपरेशन से प्रसव किया गया.
सीधे आंकड़ों में यूं समझिए
सीधे तौर पर देखा जाए तो वर्षभर में निजी अस्पतालों में 30 हजार 518 महिलाओं के प्रसव हुए, जिनमें से 3 हजार 298 का सिजेरियन करना पड़ा. जबकि सरकारी संस्थाओं में 13 हजार 980 प्रसव में केवल 179 सिजेरियन ही करने पड़े. अंतर साफ तौर पर समझा जा सकता है कि सिजेरियन से प्रसव कराने के पीछे निजी अस्पतालों की मंशा क्या हो सकती है.
महिलाओं को झेलनी पड़ती है कई मुश्किलें
सिजेरियन से प्रसव करने के बाद महिलाओं को कई मुश्किलों से गुजरना पड़ता है, कई बार टांके दर्द करते है तो कई महिलाओं के लिए दुबारा मां बनने की मुश्किलें भी खड़ी हो जाती है, जहां तक सम्भव हो महिला के उत्तम स्वास्थ्य के लिए सामान्य प्रसव ही बेहतर रहता है, लेकिन निजी अस्पतालों में सिजेरियन पर अधिक जोर दिया जा रहा है, जो न केवल उस परिवार के लिए आर्थिक रूप से बल्कि उक्त महिला के स्वास्थ्य के लिए भी भारी रहता है.
Reporter: Dungar Singh