Jalore: जालोर की धरा पर करीब 44 वर्ष बाद महारूद्र यज्ञ का आयोजन, लोगों में दिखा उत्साह
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Jalore: जालोर की धरा पर करीब 44 वर्ष बाद महारूद्र यज्ञ का आयोजन, लोगों में दिखा उत्साह

Jalore News: जालोर के सिरे मंदिर धाम और जलंधरनाथ की तपोभूमि पर करीब 44 वर्ष बाद ऐतिहासिक महारूद्र यज्ञ का आयोजन होने जा रहा है. 1 दिसम्बर को गुजरात मंडल, सांचोर और आबूराज सिरोही मंडल, जालोर मंडल, बाड़मेर मंडल के साधु संत कार्यक्रम में शिरकत करेंगे, साथ ही 2 दिसम्बर को नाथ सम्प्रदाय के महंत, मठाधीश, कुटियाधारी और खटदर्शन योगेश्वर कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे.

सिरे मंदिर धाम और जलंधरनाथ की तपोभूमि पर महारूद्र यज्ञ

Jalore News: जालोर के सिरे मंदिर धाम और जलंधरनाथ की तपोभूमि पर महारूद्र यज्ञ और ब्रह्मलीन पीर शांतिनाथ महाराज के तृतीय भण्डारा का 30 नवम्बर से 5 दिसम्बर आयोजन. छह दिवसीय आयोजन में प्रथम तीन दिवस साधु संतो का आगमन रहेगा और अंतिम 3 दिनो में भक्तजन कार्यक्रम में हिस्सा लेगें. आपको बता दें कि पीर गंगानाथ महाराज के सानिध्य में महारूद्र यज्ञ और पीर शांतिनाथ महाराज के भण्डारा का आगाज 30 नवम्बर को भैरूनाथ अखाड़े से भव्य शोभायात्रा के साथ होगा. शोभायात्रा प्रातः 8 बजे भैरूनाथ अखाड़े से रवाना होकर सिरे मंदिर तलहटी पहुंचगी. शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, नौबत नगाड़े, गैर, लूर नृत्य, झाांकिया, हरियाणा के रामू मारवाडी की शिव झांकी, महाराष्ट्र के पुणे के रूद्र गर्जना ढोल, बैंड बाजों के साथ कलश धारण किए बालिकाओं के बीच पीर गंगानाथ महाराज सहित अन्य साधु संतो का आशीर्वाद भक्तों को मिलेगा.

वहीं यज्ञ और भण्डारा के प्रथम तीन दिन 30 नवम्बर से 2 दिसम्बर तक देशभर के कोने-कोने से साधु संतो का जमावड़ा रहेगा. 1 दिसम्बर को गुजरात मंडल, सांचोर और आबूराज सिरोही मंडल, जालोर मंडल, बाड़मेर मंडल के साधु संत कार्यक्रम में शिरकत करेंगे, साथ ही 2 दिसम्बर को नाथ सम्प्रदाय के महंत, मठाधीश, कुटियाधारी और खटदर्शन योगेश्वरो का पदार्पण होगा. तीन दिन तक जालोर की धरा पर देशभर के कई साधु संत शिरकत करने से लोगों को उनके दर्शन करने का मौका मिलेगा. वहीं महारूद्र यज्ञ का आयोजन छह दिन तक किया जा रहा है. 

जालोर की धरा पर करीब 44 वर्ष बाद महारूद्र यज्ञ 

जालोर की धरा पर करीब 44 वर्ष बाद ऐतिहासिक महारूद्र यज्ञ का आयोजन होने जा रहा है. यज्ञ का साक्षी बनने के लिए हर कोई उत्साहित नजर आ रहा है. ब्रह्मलीन पीर शांतिनाथ महाराज ने 10 अप्रैल 1978 से 17 अप्रैल 1978 तक आठ दिवसीय महारूद्र यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ कार्यक्रम के दौरान सिरे मंदिर स्थित रत्नेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्वार कर पुर्न प्रतिष्ठा व स्वर्ण कलश दण्ड, ध्वजाधिरोहण किया. पीर शांतिनाथ महाराज द्वारा आज से करीब 44 वर्ष पूर्व करवाये गए. यज्ञ के बाद उनके शिष्य पीर गंगानाथ महाराज द्वारा उनका अनुसरण करते हुए जनकल्याण की भावना से महारूद्र यज्ञ का आयोजन करवाया जा रहा है.

महारूद्र यज्ञ में यजमान देंगे आहुतियां

महारूद्र यज्ञ आचार्य पंडित प्यारेलाल शर्मा के निर्देशन में काशी और जालोर के प्रख्यात विद्वान पंडितो की उपस्थिति में सम्पन्न होगा. यज्ञ के प्रथम दिन 30 नवम्बर को प्रातः 8 बजे से गणेश गौरी मातृका पूजन के साथ मंडप प्रवेश कर देवी-देवताओं का पूजन के बाद आचार्य, ब्रह्मा ऋत्विज वरण, अग्नि स्थापन, गृह शांति महारूद्र यज्ञ प्रारम्भ होगा. जो कि 3 दिसंबर तक चलेगा फिर 4 दिसम्बर को प्रातः 8 बजे पंचाग पूजन, महारूद्र आवर्तन के साथ दुर्गा हवन, स्थापित देवी देवताओ के लिए आहुतियां दी जायेगी. 

बता दें कि 5 दिसम्बर को प्रातः8 बजे से पंचाग पूजन, उत्तर पूजन, बलिदान, पूर्णाहुति, मंडपांग देवता विसर्जन और महाप्रसादी के साथ यज्ञ कार्यक्रम का समापन होगा. वहीं कार्यक्रम के दौरान प्रतिदिन सायंकालीन 6 बजे महाआरती का आयोजन किया जा रहा है. आयोजन समिति के व्यवस्थापक पारसमल परमार ने बताया कि महारूद्र यज्ञ का आयोजन करने से सृष्टि पर आई विपदा समाप्त हो जाती है. वही यज्ञ से मानव जीवन व पशु पक्षियों को विभिन्न बीमारी के विनाश से बचाने के लिए, लोक कल्याण की भावना से महारूद्र का आयोजन किया जाता है. यज्ञ के आयोजन से स्वास्थ्यवर्धन, पर्यावरण को शुद्व करने, मनुष्य के आरोग्यता, विद्या, कीर्ति, पराक्रम, धन-धान्य एवं समस्त एश्वर्य की उपलब्धि होती है. महारूद्र यज्ञ में दो लाख उन्नीस हजार एक सौ इक्तीस आहुतियां होती है.

Reporter - Dungar Singh

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