टीना डाबी की वजह से खिल गया इस शख्स का चेहरा, बार-बार बोल रहा थैंक्यू, कहा- जिंदगी भर बोलूंगा
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टीना डाबी की वजह से खिल गया इस शख्स का चेहरा, बार-बार बोल रहा थैंक्यू, कहा- जिंदगी भर बोलूंगा

जैसलमेर कलेक्टर टीना डाबी ने वर्ष 2012 में पाकिस्तान के अमरकोट से जैसलमेर आए पाक विस्थापित कोझराज सिंह पुत्र मेहताब सिंह को नागरिकता प्रमाण पत्र देकर उन्हें भारतीय नागरिकता का हक दे दिया है. 

टीना डाबी की वजह से खिल गया इस शख्स का चेहरा, बार-बार बोल रहा थैंक्यू, कहा- जिंदगी भर बोलूंगा

Jaisalmer News: भारत की नागरिकता पाने की उम्मीद पाले हिंदू-पाक विस्थापित कोझराज सिंह के इंतजार की राह अब खत्म हो गई है. जैसलमेर जिला कलेक्टर टीना डाबी ने वर्ष 2012 में पाकिस्तान के अमरकोट से जैसलमेर आए पाक विस्थापित कोझराज सिंह पुत्र मेहताब सिंह को नागरिकता प्रमाण पत्र देकर उन्हें भारतीय नागरिकता का हक दे दिया है. वहीं, नागरिकता प्रमाण पत्र पाकर पाक विस्थापित डॉक्टर सिंह का चेहरा खिल उठा, जिसके लिए उन्होंने कलेक्टर टीना डाबी सहित राज्य व केंद्र सरकार का आभार जताया है. 

कोझराज सिंह ने बताया कि आज उन्हें भारतीय होने का जो यह प्रमाण पत्र मिला है, यह किसी पुनर्जन्म के सर्टिफिकेट से कम नहीं है. मैं इसे पा खुद को गोरवांवित महसूस कर रहा हूं. इसके लिए वे कलेक्टर टीना डाबी का बहुत ही आभार जताते है. 

10 साल से भारतीय होने का कर रहे इंतजार
बता दें कि सिंह पाकिस्तान से 2012 में जैसलमेर आए थे और बीते 10 वर्षों से वह भारतीय नागरिकता का इंतजार कर रहे थे. वहीं, वर्ष 2019 से लंबित नागरिकता आवेदन को लेकर कलेक्टर टीना डाबी के प्रयासों से उन्हें आखिरकार भारतीय होने का सर्टिफिकेट मिल चुका है. सिंह जैसलमेर के एक निजी चिकित्सालय में बच्चों के डॉक्टर के पद पर कार्यरत हैं. वहीं, जहां ये तीन भाई जैसलमेर आ चुके हैं. एक भाई और माता-पिता अभी भी पाकिस्तान में है और वे चाहते हैं कि वह भी जल्द ही हिंदुस्तान की धरती पर आ जाएं. 

विवाह के लिए भारत की नागरिकता प्राप्त
निजी चिकित्सा सेवा से जुड़े डॉ. सोढ़ा एक संपन्न परिवार से हैं और इनके परिवार की विरासत पाकिस्तान में भी वैभवशाली है. सिंह के पिता मेहताबसिंह पाकिस्तान में राजकीय सेवा में कार्यरत हैं. वहीं, माता व एक छोटा भाई पाकिस्तान में ही है. वहीं, तीन भाई जैसलमेर में रहते हैं और साधन संपन्न है. पाकिस्तान में अपने समाज की लड़कियों की कमी के चलते सोढ़ा शादी के लिए जैसलमेर आए हैं. 

नागरिकता प्रमाणपत्र है जीवन-दान
डॉक्टर सिंह बताते हैं कि वे एक दशक से इसी चिंता में रहते थे कि आखिर उन्हें नागरिकता कब मिलेगी? लेकिन अब नागरिकता मिलने के बाद वो तनाव मुक्त हो गए हैं. वे पहले जैसलमेर जिले से बाहर नहीं जा सकते थे, लेकिन अब वह एक भारतीय होकर पूरा देश घूम सकते हैं. वहीं, अपनी प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं, जाति, मूल, आधार-प्रमाण पत्र बना सकते हैं. 

राजकीय सेवाओ में आवेदन कर सकते है, यहां तक कि पहले वह अपने नाम से कोई मोटर वाहन तक नहीं खरीद सकते थे, लेकिन अब खरीद सकते हैं. बच्चों का एडमिशन अच्छे विद्यालय में करवा सकते हैं. इसी के साथ सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओं में भी एक भारतीय होकर अपनी भागीदारी निभा सकते हैं. इस प्रकार यह केवल एक कागज का टुकड़ा नहीं उनके लिए जीवनदान है और इस जीवनदान के लिए वे कलेक्टर टीना डाबी के बहुत ज्यादा शुक्रगुजार हैं. 

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