World Cancer Day: डॉ ज्योति जोशी की कैंसर पर जीत, मरीज़ों के लिए बनी प्रेरणा, पढ़िए इनकी कहानी
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World Cancer Day: डॉ ज्योति जोशी की कैंसर पर जीत, मरीज़ों के लिए बनी प्रेरणा, पढ़िए इनकी कहानी

World Cancer Day: आज विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) है. कैंसर एक ऐसी बिमारी है, जिसका नाम सुनते ही आप सिहर उठते हैं. कैंसर एक ऐसी बिमारी जिससे ठीक होना आसान नहीं है. तमाम मेडिकल सुविधाओं के विकसित होने के बावजूद आज भी कैंसर एक ऐसी बिमारी है जिससे लाखों लोग सालाना अपनी ज़िंदगी खो देते हैं लेकिन बहुत से ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी मज़बूत इच्छा शक्ति के दम पर इस रोक पर विजय पाई है. 

डॉ ज्योति जोशी की कैंसर पर जीत

Jaipur: आज विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) है. कैंसर एक ऐसी बिमारी है, जिसका नाम सुनते ही आप सिहर उठते हैं. कैंसर एक ऐसी बिमारी जिससे ठीक होना आसान नहीं है. तमाम मेडिकल सुविधाओं के विकसित होने के बावजूद आज भी कैंसर एक ऐसी बिमारी है जिससे लाखों लोग सालाना अपनी ज़िंदगी खो देते हैं लेकिन बहुत से ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी मज़बूत इच्छा शक्ति के दम पर इस रोक पर विजय पाई है. 

ऐसी शख़्सियत है जयपुर (Jaipur News) में शिक्षा विभाग में कोर्डिनेटर और वरिष्ठ उद्घोषक डॉ ज्योति जोशी जिन्होंने कैंसर से न केवल अपनों को खोया बल्कि ख़ुद भी कैंसर ग्रस्त हो गई लेकिन तमाम विपरीत परिस्थितियों बीमारी के बावजूद समय पर उपचार और स्ट्रॉन्ग विल पावर (strong will power) के ज़रिए उन्होंने कैंसर (Cancer) पर विजय हासिल कर एक बड़ा संदेश दिया है. आज विश्व कैंसर दिवस पर उन्होंने एक ख़ास संदेश दिया है जिससे कैंसर से जूझ रहे लोगों को ठीक होने में मदद मिलेगी. 

आप सब ने भी अपने जीवन में अपने किसी ने किसी ऐसे शख्स को खोया होगा जिनका नाम सुनते ही आंखें भर आती हो. हां सब के साथ यही होता है और मेरी तो नियति ही बन गई है. हमारे आपके जीवन में कैंसर सरवाइवर कई हैं. मैं भी उन्हीं में से एक हूं. निराशा और उदासी भरे पलों में उम्मीद की अलख जगाते हैं. ऐसे लोग मुझे मिले मैं उनके दीर्घायु होने की कामना करती हूं और उन्हीं से जो सीखा उसे बांटने की कोशिश हैं. 

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कैंसर भयाक्रांत कर देने वाला शब्द. निराशा, भय, कुंठा, बहुत छोटे हैं ये शब्द. व्यक्त करने के लिए जब किसी को पता चलता है कि उसे कैंसर हो गया है. कहना तो बहुत कुछ चाहती हूं. पर कितने ही चेहरे सामने घूम जाते हैं और फिर सारे शब्द गड्डमड्ड होने लगते है. इकलौता भाई, रिश्तेदार हैं, कई परिचित हैं, क़रीबी दोस्त है. इन सबको मैं एक-एक कर असमय खो चुकी हूँ. इन सबकी असहनीय पीड़ा और दुःख को बेहद नज़दीक से देखा और महसूस किया है. वो दौर अत्यंत कठिन होता है जब आपको पता है कि अब समय हाथ से फिसलने लगा है और ज़िन्दगी अपनी बेवफ़ाई का सबूत कभी भी दे सकती है. इन अहसासों से कई-कई बार गुजरी हूं. आप सबने भी अपने जीवन में किसी-न-किसी ऐसे शख्स को जरुर खोया होगा जिसका नाम सुनते ही आँखें भर आती होंगी, हाँ, सबके साथ यही होता है.

लेकिन मुझे लगता है कि दरअसल हम बीमारी के नाम से कहीं ज्यादा मृत्यु भय के शिकार हैं. अपनों को खो देने या उनसे दूर हो जाने का डर हमें भीतर तक सालता रहता हैं. कैंसर बदनाम ज्यादा है, मौत तो बहाने ढूंढती है. मृत्यु एक शाश्वत सत्य है, जो घटित होते ही स्मृतियों की अनवरत आवाजाही के मध्यांतर में दुःख के तमाम बीज रोप देती है. यहां सैकड़ों तस्वीरें पनपती और चहकती हैं और किसी चलचित्र की तरह हमें उन्हें मौन, स्थिर बैठकर जीना होता है. जब तक व्यक्ति हमारे बीच होता है तब तक वह भीड़ का हिस्सा बना रहता है. चले जाने के बाद ही हमें उसकी अहमियत पता चलती है और वह विशिष्ट हो जाता है. दुनिया बहुत विशाल है और थोड़े कम, थोड़े ज़्यादा रिश्तों की भरमार हम सबके पास है. कुछ लोग परिचित भर हैं, कुछ दिल के क़रीब.

ऐसे ही कुछ रिश्ते में मेजर जनरल डॉक्टर सुभाष चंद्र पारीक, डॉक्टर अजय बाफ़ना, डॉक्टर निधि डॉक्टर ललित मोहन शर्मापाटनी, डॉक्टर अंजलि शर्मा, जिन्होंने मुझे जीने की वजह दी. इनके लिए शुक्रिया शब्द बेहद कम है जो लोग कैंसर से जूझ रहे हैं उनके लिए बस इतना ही कि इससे डरिए मत समय पर उपचार अगर हो और अपनों का साथ हो तो कैंसर से लड़ा जा सकता है, ठीक हुआ जा सकता है. आपकी सबसे बड़ी ताक़त आपका परिवार आपके अपने हैं. उन पर भरोसा रखें. कैंसर से डरने की बजाय ठीक होने के लिए इच्छा शक्ति पैदा करें. सोसाइटी में उन लोगों से मिले जो कैंसर की बीमारी से ठीक हुए हो वो आपके लिए प्रेरणा बनेंगे अंत में इतना ही कहना चाहती हूँ कि कोई भी बीमारी कभी भी किसी भी जीवन से बड़ी नहीं हो सकती आपके अंदर प्रत्येक बीमारी से लड़ने की ताक़त ईश्वर ने दी है ज़रूरत केवल उसे समझने की और उसे लागू करने की है.

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कैंसर बदनाम ज़्यादा है मौत तो बहाने ढूँढ़ती है - डॉ ज्योति जोशी
विश्व कैंसर दिवस पर आज उन लोगों के लिए एक ख़ास संदेश जो कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं, ज्योति जोशी ख़ुद कैंसर सर्वाइकल है अपनों को खो चुकी है लेकिन उसके बावजूद सोसाइटी में कैंसर के मरीज़ों के लिए प्रेरणा बन कर काम कर रही है.

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