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जयपुर: स्मार्ट सिटी मिशन को 7 साल पूरे होने के बाद भी काम रफ्तार नही पकड़ पा रहा है. शहर को स्मार्ट बनाने के लिए 800 करोड रुपए खर्च होने के बाद भी जयपुर शहर की सूरत नहीं बदल रही है. जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा और स्मार्ट सिटीज मिशन डायरेक्टर कुणाल कुमार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का विजिट किया. निरीक्षण के दौरान एक ही बात निकल कर आई जब तक एक्सपर्ट और संबंधित एजेंसियां साथ नहीं बैठेंगे तब तक कोई भी प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतर सकता है.
स्मार्ट सिटी मिशन का काम समेटने की तारीख नजदीक है. अब मिशन के डायरेक्टर शहर को स्मार्टनेस बनाने के लिए एरिया मैनेजमेंट प्लान, ट्रैफिक प्लानर और एक्सपर्ट्स की राय लेने का मशवरा दे रहे है. यदि अभी भी एक्सपर्ट्स को जोड़ा जाता है. बचे हुए प्रोजेक्ट्स में स्मार्टनेस देखने को मिल सकती है. जयपुर एसपीवी पर एक्सपर्ट्स हायर कर सकते हैं. इसको लेकर फ्रीडम दी हुई है और जयपुर में आकर लोग काम करने से मना भी नहीं करेंगे. ये कहना है स्मार्ट सिटीज मिशन डायरेक्टर कुणाल कुमार का.
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जयपुर स्मार्ट सिटी रैंकिंग में 17वें पायदान
जयपुर में सांसद रामचरण बोहरा के साथ स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट का दौरा करने पहुंचे. मिशन डायरेक्टर ने यहां एरिया मैनेजमेंट प्लान की कमी बताते हुए कहा कि जब तक एक्सपर्ट और संबंधित एजेंसियां साथ नहीं बैठेंगे, तब तक है कोई भी प्रोजेक्ट बेहतर नहीं बनेगा. दरअसल, राजधानी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 1000 करोड़ रुपए से 133 प्रोजेक्ट तैयार होने थे, लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद और करीब 800 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी शहर की तस्वीर नहीं बदली है. यही वजह है कि जयपुर स्मार्ट सिटी रैंकिंग में 17वें पायदान पर जा पहुंचा है, जबकि राजस्थान का ही उदयपुर 5वें और कोटा 11वें नंबर पर काबिज होते हुए राजधानी से आगे हैं.
जयपुर जैसी जगह में अच्छे एक्सपर्ट्स की जरूरत
स्मार्ट सिटी मिशन की मियाद जून 2023 में खत्म हो जाएगी. ऐसे में अगले साढ़े 5 महीने में करीब 51 प्रोजेक्ट्स पूरा करने की चुनौती होगी. इस बीच शहर सांसद रामचरण बोहरा स्मार्ट सिटीज निदेशक कुणाल कुमार के साथ गणगौरी अस्पताल एक्सटेंशन, चौगान स्टेडियम और यहां बनी पार्किंग प्रोजेक्ट का जायजा लेने पहुंचे, जिसमें प्रॉपर एरिया मैनेजमेंट प्लान की कमी नजर आई. इस संबंध में कुणाल कुमार ने कहा कि 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी मिशन को लांच किया. जिसका मकसद ही यही है कि शहरों की व्यवस्था और व्यवस्था को चलाने का जो सिस्टम है उसमें सुधार हो सके.
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यहां गणगौरी अस्पताल के एक्सटेंशन, चौगान स्टेडियम और यहां की पार्किंग प्रोजेक्ट को देखा ये काम अभी प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि जयपुर जैसी जगह में अच्छे एक्सपर्ट्स की जरूरत है. यहां ट्रैफिक प्लान, एरिया मैनेजमेंट प्लान बने. ताकि लोगों को सुविधा हो. यहां पार्किंग की व्यवस्था, आवागमन, साफ सफाई बेहतर करने के लिए नियोजन की आवश्यकता है. यहां मार्केट, हॉस्पिटल, स्पोर्ट्स सभी एक ही एरिया में विकसित हो रहा है. तो ऐसे में एरिया मैनेजमेंट प्लान बनाना पड़ता है. जिसे ट्रैफिक एक्सपर्ट्स, ट्रैफिक प्लानर, ट्रैफिक पुलिस, स्मार्ट सिटी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, जिला कलेक्टर सभी को मिलकर बनाना होगा. जब तक ये मिलकर साथ नहीं बैठेंगे, तब तक ये प्लान अच्छा नहीं बनेगा
2015 से स्मार्ट सिटी का चल रहा काम
जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा ने कहा कि 2015 से जयपुर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम चल रहा है. लेकिन आपसी कोर्डिनेशन और बैठकों के अभाव में समस्याएं आ रही है. पहले ये मिशन महज 5 साल के लिए प्रोजेक्ट किया गया था, लेकिन आज स्मार्ट सिटी मिशन को 7 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी जयपुर वहीं है, जहां पहले दिन था. गणगौरी अस्पताल का एक्सटेंशन प्रोजेक्ट देखा जिसमें आने-जाने की सुविधा, पार्किंग और सबसे महत्वपूर्ण टाइम बाउंड मैनर में प्रोजेक्ट पूरा होना चाहिए.
बोहरा ने कहा कि स्मार्ट सिटी में सामंजस्य की कमी है. इसी वजह से ये देरी से चल रहा है. 3 साल पहले जो निर्देश दिए गए थे. ना तो उन्हें फॉलो किया गया और हाल ही में जो दौरा किया ना उन्हें फॉलो किया जा रहा. उन्होंने कुणाल कुमार के हवाले से कहा कि यदि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम पूरे नहीं होते हैं. तो संभावना है कि एक या दो क्वार्टर मिशन को एक्सटेंड किया जा सकता है. बहरहाल, यदि शुरुआत में 7 साल से इस मिशन पर गंभीरता से अफसर काम करते तो पिंकसिटी में भी स्मार्टनेस देखने को मिलती. लेकिन जब मिशन अंतिम पड़ाव पर है तो अफसरों को एरिया मैनेजमेंट प्लान, ट्रैफिक प्लानर और एक्सपर्ट्स की याद आ रही है.