जयपुर स्मार्ट सिटी का सच, 7 साल में 790 करोड़ रुपये बहाया, दौरा करने गए सांसद रामचरण बोहरा को दिखा गंदगी का अंबार
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1517070

जयपुर स्मार्ट सिटी का सच, 7 साल में 790 करोड़ रुपये बहाया, दौरा करने गए सांसद रामचरण बोहरा को दिखा गंदगी का अंबार

जयपुर स्मार्ट सिटी जहां 1 हजार करोड़ रूपए के 133 प्रोजेक्ट से स्मार्ट सिटी बनाने का काम सात सालों से चल रहा हैं लेकिन आपको शहर स्मार्ट तो नहीं दिखेगा लेकिन जगह-जगह गंदगी का ढेर, स्मार्ट रोड की दुर्दशा, दीवारों पर चिढाते हुए बधाई देते हुए होर्डिंग्स-बैनर्स जरूर दिख जाएंगे. 

जयपुर स्मार्ट सिटी का सच, 7 साल में 790 करोड़ रुपये बहाया, दौरा करने गए सांसद रामचरण बोहरा को दिखा गंदगी का अंबार

Jaipur News: केंद्र स्मार्ट सिटी मिशन समेटने की ओर है और नए कामों पर रोक लग चुकी है. कहने के लिए जयपुर के सााथ स्मार्ट सिटी का नाम जुड़ गया हैं लेकिन बनेगा कब पता नहीं. पैसा तो स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर बहाया जा रहा है लेकिन स्मार्टनेस देखने के लिए आंखे जगह तलाश रही हैं.जयपुराइट्स को शहर के स्मार्ट सिटी में चयन होने के बाद भी उन्हें सुकून के दो पल बिताने के लिए जगह नहीं मिल पाई है. मकसद यही था कि शहर के हैरिटेज को सुदृढ़ रखते हुए उसे स्मार्ट बनाया जाए.सड़कें चौड़ी हों, व्यवस्थित पार्किंग हो, ड्रेनेज हाइक्लास होने के साथ ही शहर का फसाड़ भी खूबसूरत नजर आए. मगर सात साल बीत जाने के बाद भी शहर का 'हाल—बेहाल' है.

शहर स्मार्ट नहीं गंदगी का ढे़र दिखेगा

जयपुर स्मार्ट सिटी जहां 1 हजार करोड़ रूपए के 133 प्रोजेक्ट से स्मार्ट सिटी बनाने का काम सात सालों से चल रहा हैं लेकिन आपको शहर स्मार्ट तो नहीं दिखेगा लेकिन जगह-जगह गंदगी का ढेर, चारदीवारी पर फसाड की उतरती परतें, स्मार्ट रोड की दुर्दशा, दीवारों पर चिढाते हुए बधाई देते हुए होर्डिंग्स-बैनर्स जरूर दिख जाएंगे. इस योजना का मकसद यही था कि शहर को किस तरह स्मार्ट बनाया जाए. काम की धीमी रफ्तार शहर को स्मार्ट तो नहीं बना पाई, मगर शहरवासियों के लिए मुसीबतों का पहाड़ जरूर खड़ा कर दिया.अधूरे कामों की वजह से आज भी लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है. हालत यह है? कि 790 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी ना तो शहर की सूरत बदली और ना ही शहर स्मार्ट हो पाया है.

जयपुर में पिछले 7 साल से स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे प्रोजेक्ट्स की ग्राउण्ड स्थिति देखने आज जयपुर सांसद रामचरण बोहरा चारदीवारी के दौरे पर गए. चारदीवारी में एंट्री करने से पहले ही उन्हें गंदगी और कई खामियां दिखी. जिससे सांसद अधिकारियों पर नाराज नजर आए. उन्होंने अजमेरी गेट के एंट्री पॉइंट पर खराब पड़े फाउंटेन और वहां पड़ी गंदगी को देखकर नगर निगम हेरिटेज और स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों से पूछा आखिर ये सब क्या है? अगर एंट्री ही इतनी खराब है? तो अंदर जाने वाले पर्यटक के मन में स्मार्ट सिटी को लेकर कैसी धारणा बनेगी ये आप बता दीजिए.

उन्होंने अधिकारियों को 15 दिन का समय देते हुए व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए और कहा कि वे दोबारा फिर दौरा करेंगे. अजमेरी गेट पर वसुंधरा सरकार के समय ब्यूटिफिकेशन का काम किया गया था और पूर्व मुख्यमंत्री ने ही इसका लोकार्पण किया था लेकिन अब यहां लगे फाउंटेन बंद पड़े हैं और यहां गंदगी के ढेर लग गए. नगर निगम की तरफ से झाडू लगाने का काम भी नहीं किया जा रहा. अजमेरी गेट से एंट्री के बाद जब किशनपोल बाजार में सांसद पहुंचे तो वहां बनाई स्मार्ट रोड की स्थिति खराब दिखी. साइकिल और रिक्शा चालकों के लिए बनाए ट्रेक पर सामान्य गाड़ियों की पार्किंग नजर आई.

लोगों के चलने के लिए बनाए कोबल स्टॉन के पाथ-वे भी जगह-जगह टूटे नजर आए और और उन पर अतिक्रमण मिला.रोड से कनेक्ट अनदरूनी गलियों में कुछ जगह ओपन कचरा डिपो देखकर भी सांसदों ने नगर निगम अधिकारियों को फटकार लगाई. बोहरा ने कहा की काम की गुणवत्ता, सफाई व्यवस्था, जगह-जगह अतिक्रमण की रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेजेंगे.स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे कार्यो के निरीक्षण के लिए मैने मेयर नगर निगम हैरिटेज और स्थानीय विधायकों को भी बुलाया था लेकिन कोई नहीं आया.अफसर दवाब में काम कर रहे हैं.जिसके कारण स्मार्टसिटी के ये हालात हो रहे हैं.

पैसा बहाया लेकिन अब तक कुछ नहीं बदला

-फसाड वर्क पर 44.94 करोड़ खर्च हुए लेकिन आज भी इमारतों की सूरत पहले जैसी ही
-गलियों की सफाई पर 6.72 करोड़ रुपए खर्च हुए। आज भी गलियां कचरे से अटी
-7 करोड़ स्मार्ट टॉयलेट पर खर्च हुए। रख-रखाव सही नहीं होने से इनका उपयोग अब तक नजर नहीं आ रहा
-अंडरग्राउंड केबलिंग पर 34 करोड़ खर्च, यूनेस्को की टीम ने निरीक्षण के दौरान इस सिस्टम पर सवाल खड़े किए
-धरातल पर नहीं 'दौड़' पाया पब्लिक बायसाइकिल शेयरिंग प्रोजेक्ट

30 करोड़ से जयपुरिया, चौगान, अनाज मंडी में पार्किंग, पर समस्या यथावत
50 करोड़ से किशन पोल-चांदपोल में स्मार्ट रोड तैयार की
85 करोड़ से रामनिवास बाग में अंडरग्राउंड पार्किंग बनवा रहे,
व्यापारियों को बाजार पार्किंग फ्री कराने के लिए तैयार नहीं कर पाए, इसलिए यह 1500 गाड़ियों का केवल गैराज बनेगा

चारदीवारी में शुरू किए प्रोजेक्ट का हाल

परिवहन-पार्किंग केवल गैराज बने, स्मार्ट रोड से खुद ही बैकफुट पर, बसें आई नहीं
स्मार्ट बाजार-9 बाजार बनने थे स्मार्ट, दो बाजार भी नहीं बन पाए
स्मार्ट सिटी के शामिल होने के बाद किशनपोल बाजार को सबसे पहले स्मार्ट बाजार बनाने का काम शुरू हुआ
लेकिन आज भी लोगों को स्मार्ट सुविधाएं नहीं मिल रहीं, ग्रीन कॉरिडेार में पार्किंग बन गई,वाईफाई ने नाम पर सिर्फ छलावा
हेरिटेज-बाजार-बरामदों और गलियों के काम पूरे नहीं कर पाए। विधायकों के कहने पर गाइड लाइन से अलग राजभवन, विधानसभा, मंदिर-मस्जिद पर खर्च
मेडिकल-300 बैड का गणगौरी अस्पताल में काम, एसएमएस अस्पताल में आईपीडी टावर प्रोजेक्ट

शहरों को स्मार्ट सुविधाओं से लैस करने का केन्द्र सरकार का ख्वाब हकीकत नहीं बन पा रहा है.स्मार्ट सिटी के लिए जो कंसेप्ट तय किए, उन पर अफसरों की मनमानी और नेताओं की राजनीति हावी होती गई.नतीजा निर्धारित कंसेप्ट प्रभावी तरीके से पूरा नहीं हो पाया है.जबकि जून 2023 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की मियाद खत्म हो जाएगी.ऐसे में अगले छह माह में 51 परियोजना पूरी करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा. अधूरा काम होने पर केन्द्र सरकार द्वारा फंडिंग रोकने की तलवार भी लटकी हुई है. स्मार्ट सिटी की परिकल्पना और हकीकत का आकलन किया तो सामने आया कि नेता-जनप्रतिनिधियों को खुश करने के चक्कर में ऐसे हालात बने हैं.

जयपुर स्मार्ट सिटी में लगातार प्लानिंग, डीपीआर में बदलाव और नेताओं के हस्तक्षेप के कारण यह हालात बने हैं. राजधानी जयपुर में चारदीवारी एरिया में साल 2015 से स्मार्ट सिटी मिशन के तहत प्रोजेक्ट्स का काम शुरू किया गया. अलग-अलग फेज में जयपुर शहर के लिए 133 प्रोजेक्ट सेंशन हुए, जो अनुमानित 1 हजार करोड़ रुपए के है. इनमें से 790 करोड के 82 काम पूरे होने का दावा अधिकारी कर रहे है. किशनपोल बाजार का जीणोद्धार, रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट, स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट का जीर्णोद्धार, स्मार्ट टॉयलेट्सऔर बाइसाईकिल शेयरिंग प्राजेक्ट का काम पूरा हो चुका है. हालांकि स्मार्ट टॉयलेट की स्थिति तो और भी खराब है.जलेब चौक में इनको रखे हुए दो साल हो गए, लेकिन अब तक चालू नहीं हो पाई हैं.जिनको चालू किया गया, वे रखरखाव के अभाव में विश्व विरासत पर धब्बा लगा रही हैं.

लोगों को इसके बाहर ही लोगों को पेशाब करते हुए देखा जा सकता है.सबसे प्रमुख स्मार्ट रोड बनाने, फसाड़ (परकोटा, बाजारों और गेटों की टूट-फूट ठीक करना), चारदीवारी में बिजली की लाइनों को अण्डग्राउण्ड करना, 24 घंटे वॉटर सप्लाई, हैरिटेज बिल्डिंगों के रेनोवेशन, एंट्री गेटों पर ब्यूटीफिकेशन समेत कई काम भी है.

वहीं चौगान स्टेडियम में पार्किंग, 6 मंदिरों का जीर्णोद्धार, 8 स्कूलों का रेनोवेशन आदि प्रोजेक्ट्स की इस स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल किए गए. इन सभी कामों को पूरा करने की डेड लाइन जून 2023 है. अभी गणगौरी हॉस्पिटल को 300 बैड्स का करने, किशनपोल बाजार में गर्ल्स स्कूल का रेनोवेशन करने समेत अन्य काम बाकी है. मेयर मुनेश गुर्जर ने कहा की स्मार्ट सिटी बना रहे है तो सबसे पहले नालो को भी ढकना जरूरी हैं. यदि नाले ही खुले रहेंगे तो फिर किस बात की स्मार्ट सिटी.

ये भी पढ़ें- चार दिन अशोक गहलोत के गढ़ स्टडी टूर के लिए आ रहे राहुल गांधी, जाने क्या है पूरा मामला

बहरहाल,स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए बढ़ाई गई दो साल की अवधि को पूरा होने में अब सिर्फ छह माह ही बचे हैं लेकिन कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम होना बाकी है. प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों और इंजीनियरों के सामने टॉस्क चुनौती के रूप में हैं हालांकि जिम्मेदार अफसरों का कहना है कि पूरी कोशिश होगी कि स्मार्ट सिटी परियोजना के सभी प्रोजेक्ट पूरे कर लिए जाएं लेकिन एक्सपर्ट का मानना हैं इतने समय में यह कर पाना संभव दिखाई नहीं दे रहा.

Trending news