जवाहर कला केंद्र में 'बाप-रे-बाप' नाटक ने दर्शकों को खूब हंसाया
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जवाहर कला केंद्र में 'बाप-रे-बाप' नाटक ने दर्शकों को खूब हंसाया

जेकेके की पाक्षिक नाट्य योजना के तहत हुए नाटक के सभी पात्रों ने दर्शकों को खूब हंसाया. दिनेश प्रधान के निर्देशन में कलाकारों ने अभिनय का बखूबी प्रदर्शन किया.

जवाहर कला केंद्र में 'बाप-रे-बाप' नाटक ने दर्शकों को खूब हंसाया

Jaipur: जवाहर कला केंद्र में 'बाप-रे-बाप' नाटक का मंचन हुआ. जेकेके की पाक्षिक नाट्य योजना के तहत हुए नाटक के सभी पात्रों ने दर्शकों को खूब हंसाया. दिनेश प्रधान के निर्देशन में कलाकारों ने अभिनय का प्रदर्शन किया. प्रसिद्ध व्यंग्यकार केपी सक्सेना ने यह नाटक लिखा है. यह एक हास्यास्पद व्यंग्य है, जो आज के परिवारों में बुजुर्गों के प्रति संवेदनहीनता और को दिखाता है. व्यक्तिवादी मानसिकता को प्रदर्शित करने में भी कहानी ने कोई कमी नहीं छोड़ी. पिता के खो जाने से परेशान विकास उन्हें घर लाने के जतन करता है. 

मीनू जिसे ससुर के खोने का कम और तानों का ज्यादा डर है. खाने में मगन रहती हैं. वहीं, नूरबख्श नामक नौकर की बातें विकास के घावों पर नमक का काम करती हैं. इन सबके बीच बेहतर डायलॉग डिलीवरी, अभिनय और व्यंग्य के साथ दर्शकों को मिलता है हंसने का मौका. मीनू पार्टी में अपने ससुर की एडवांस शोक सभा तक कर देती हैं. पिता को लाने वाले को 50 हजार रु. के इनाम की घोषणा विकास की मुसीबत बढ़ा देती है. इस बीच लालची चेहरों से नकाब भी हट जाता है. अंत में असली पिता के लौटने पर सामने आता है भुलक्कड़ बहू का कारनामा जिसे जानकारी देकर ही ससुर घर से निकले थे. नौकर की बिना सिर पैर वाली बात कि पिता जी भाग गए, विकास के लिए मकड़जाल बुन देती है.

Reporter- Anoop Sharma

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