जयपुर नगर निगम ग्रेटर में 5 बार निकला टेंडर, डोर टू डोर सफाई के लिए नहीं हो सका फर्म का चयन
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जयपुर नगर निगम ग्रेटर में 5 बार निकला टेंडर, डोर टू डोर सफाई के लिए नहीं हो सका फर्म का चयन

जयपुर: नगर निगम ग्रेटर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण-टेंडर प्रकिया में हुई देरी, मुरलीपुरा-मालवीय नगर जोन के बाद जगतपुरा-मानसरोवर जोन में तैयारी, जगतपुरा और मानसरोवर जोन के लिए निगम प्रशासन पांच बार टेंडर कर चुका है.

 जयपुर नगर निगम ग्रेटर में 5 बार निकला टेंडर, डोर टू डोर सफाई के लिए नहीं हो सका फर्म का चयन

जयपुर: राज्य सरकार से टेंडर प्रकिया के समय में शिथिलिता मिली तो मुरलीपुरा और मालवीय नगर जोन के बाद जगतपुरा और मानसरोवर जोन में नया ठेका होने से डोर टू डोर कचरा संग्रहण काम पटरी पर आ सकेगा. नगर निगम ग्रेटर प्रशासन ने नया ठेका करने की तैयारी कर ली है लेकिन टेंडर प्रकिया देरी से होने के कारण राज्य सरकार को शिथिलन के लिए निगम प्रशासन ने भिजवाया हैं. दरअसल 50 दिन में पूरी टेंडर प्रकिया करनी होती है लेकिन दोनों जोन 50 दिन से ज्यादा समय लगने से मामला अटक गया हैं.

यदि टेंडर प्रकिया के समय में शिथिलन मिलती है तो वी केयर एनवीरो फर्म ही जगतपुरा और मानसरोवर जोन के कुल 42 वार्डों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण का काम करेगी. ये ही कंपनी पहले मुरलीपुरा और मालवीय नगर जोन में कचरा संग्रहण का काम कर रही हैं. नगर निगम प्रशासन ने पहले इसी फर्म को मुरलीपुरा और मालवीय नगर जोन में 111 रूपए प्रतिघर के हिसाब से काम दिया था लेकिन इस बार नेगोसिएशन के बाद इसी फर्म की टेंडर में 109 रुपए दर आई है.

गौरतलब है कि सांगानेर, झोटवाड़ा, विद्याधर नगर, जगतपुरा और मानसरोवर जोन के लिए निगम प्रशासन पांच बार टेंडर कर चुका है. पांचवीं बार सभी जोन के लिए फर्म मिली हैं. लेकिन तीन जोन में रेट ज्यादा होने की वजह से मामला ठंडे बस्ते में हैं. जगतपुरा और मानसरोवर जोन में कम दरें आई हैं. इसलिए निगम यहां ठेका देने की तैयारी कर रहा है. ये फर्म कचरा संग्रहण के अलावा घरों के बाहर आरएफआईडी कार्ड लगाने का काम भी कर रही हैं. जिससे सर्वे पूरा होने के बाद इन घरों से यूजर चार्ज की वसूली की जा सके.

हालांकि यूजर चार्ज कब से वसूला जाएगा इसका फैसला नहीं हो पाया है लेकिन फर्म ने मुरलीपुरा और मालवीय नगर जोन के करीब 1.80 लाख घरों पर आरएफआईडी कार्ड लगा चुकी है. नगर निगम डिजिटल तरीके से ही यह पेमेंट लेना चाहता है. जिस वजह से वसूली में देरी हो रही है. बैंक स्तर पर कुछ कार्रवाई बाकी है. जिसके बाद यह वसूली शुरू की जाएगी.

 

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