यहां त्रस्त पतियों ने कर डाला 'जिंदा पत्नी का पिंडदान', एक ने तो मुंडन भी करवा लिया
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यहां त्रस्त पतियों ने कर डाला 'जिंदा पत्नी का पिंडदान', एक ने तो मुंडन भी करवा लिया

Pitru Paksh 2022: पिंडदान करने वाले पतियों का कहना है कि कई महिलाएं आजादी का गलत फायदा उठाती हैं और पति का शोषण करती हैं. पुरुष होने के नाते उनकी कहीं सुनवाई नहीं होती. पत्नी का रिश्ता उनके लिए मर चुका है. इसलिए पितृ पक्ष के मौके पर पिंडदान कर दिया है. इससे वह उनकी यादों से भी मुक्त हो सकेंगे.

यहां त्रस्त पतियों ने कर डाला 'जिंदा पत्नी का पिंडदान', एक ने तो मुंडन भी करवा लिया

Pitru Paksh 2022: सभी जानते हैं कि आजकल पितृपक्ष चल रहे हैं. लोग अपने मृत पूर्वजों की पूजा-पाठ कर उनकी आत्मा शांति के लिए तर्पण-श्राद्ध आदि कर रहे हैं. हिंदू धर्म में पितरों और मृत पूर्वजों के पिंडदान का बहुत महत्व है.

बता दें कि पितृपक्ष 15 सितंबर तक चलेंगे. कहते हैं कि पितरों का तारने और उन्हें मुक्ति दिलाने के लिए पिंडदान किया जाता है लेकिन किसी का जीते-जी पिंडदान शायद ही आपने देखा-सुना होगा. सुनने में यह भले ही बेहद अजीब लग रहा हो लेकिन यह सच है. मुंबई में एक पति अपनी पत्नी से इतना ज्यादा त्रस्त हो गया कि उसने तो अपना मुंडन ही करवा लिया. 

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जी हां, पितृपक्ष के मौके पर मुंबई के बानगंगा टैंक के किनारे कई पतियों ने अपनी जिंदा बीवियों के नाम का ही पिंडदान कर डाला. इन पतियों में कई का उनकी बीवियों से तलाक हो चुका था. वहीं, कुछ का अदालत में मामला लंबित है. ये लोग अपनी बीवियों से छुटकारा पाना चाहते हैं. उनका मानना है कि पिंडदान करने से मोहमाया छूटेगी और वह नई शुरुआत कर सकेंगे.

कितने पतियों ने किया पिंडदान
मुंबई में हुए इन अनोखे पिंडदान को जिसने देखा, वह हैरान रह गया. लोगों को तो यकीन नहीं हो रहा था कि ये पति अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान कर रहे थे. इस मौके पर करीब 50 पतियों ने अपनी शादीशुदा जिंदगी की बुरी यादों और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए अपनी जिंदा पत्नी का पिंडदान किया. एक तो इतना परेशान हो गया था कि उसने बीवी का पिंडदान ही कर दिया. उसने विधि-पूर्वक सारी रस्में निभाई और फिर मुंडन करवाया. बाकी लोगों ने सिर्फ पिंडदान ही किया.

बीवियों से हो गए थे त्रस्त
जानकारी के मुताबिक, ये सभी लोग उस संस्था के मेंबर हैं, जो कि पीड़ित पतियों के लिए काम करती है. इस संस्था का नाम वास्तव फाउंडेशन है. संस्था के अध्यक्ष का कहना है कि पिंडदान करने वाले सभी लोग अपनी पत्नियों से परेशान हैं और उनसे मुक्ति पाना चाहते हैं. इनमें से कई तो अपनी पत्नी को छोड़ भी चुके हैं. कई की पत्नी ने तो उन्हें गलत केसेस में फंसा रखा है. वह उनकी बुरी यादों से भी मुक्ति पाना चाहते हैं. इसलिए संस्था ने यह आयोजन किया. 

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क्या कहना है पिंडदान करने वाले पतियों का
पिंडदान करने वाले पतियों का कहना है कि कई महिलाएं आजादी का गलत फायदा उठाती हैं और पति का शोषण करती हैं. पुरुष होने के नाते उनकी कहीं सुनवाई नहीं होती. पत्नी का रिश्ता उनके लिए मर चुका है. इसलिए पितृ पक्ष के मौके पर पिंडदान कर दिया है. इससे वह उनकी यादों से भी मुक्त हो सकेंगे.

बता दें कि वास्तव फाउंडेशन हर साल अलग-अलग शहरों में पीड़ित पतियों के लिए यह आयोजन करवाता है और जो पति अपने बुरे रिश्ते को ढोने में असमर्थ हैं, उन्हें इससे निजात दिलवाता है.

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