Jaipur: अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम (Dawood Ibrahim) वैश्विक आतंकवाद की दुनिया का बड़ा नाम है. दाऊद का पाकिस्तान से कनेक्शन होने की वजह से वह कई बार पकड़ जाने से बचा. 1980 के दशक में दाऊद ने संगठित आपराधिक संस्था बनाई, जिसे मीडिया ने डी-कंपनी नाम दे दिया.
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Jaipur: अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम (Dawood Ibrahim) सालों से कई देश की सरकारों के लिए एक पहेली बना हुआ है. सरकारों के लिए दाऊद एक ऐसा रहस्य है, जिसकी तलाश में सालों से बड़ी-बड़ी एजेंसियां काम कर रही हैं, लेकिन आज तक उसका सुराग हाथ नहीं लग सका है.
जानकारों का मानना है कि पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद (Javed Miandad) का समघी होने की वजह से दाऊद इब्राहीम को वहां शह दी जाती है. वह पाकिस्तान (Pakistan) में सालों तक रहा, लेकिन उसे कभी पकड़ा नहीं जा सका. दाऊद के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वैश्विक आतंकवादी घोषित होने के बावजूद अभी तक किसी भी देश की सरकार के हाथ उसकी गिरेबान तक नहीं पहुंच सके हैं. दाऊद भारत सरकार के लिए मोस्ट वांटेट कैसे बना, और उसके अंडरवर्ल्ड डॉन बनने के पीछे क्या है कहानी, जानते हैं विस्तार से.
दरअस्ल, 12 मार्च 1993 को मुंबई में सीरियल बम धमाके हुए किए गए, जिसमें अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम को दोषी पाया गया. इस आतंकी घटना में 13 बम धमाके हुए थे, जिसमें 350 लोगों की मौत हो गई थी, और 1200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
भारत सरकार ने घोषित कराया ग्लोबल टेररिस्ट
दाऊद इस घटना के बाद से भारत सरकार के लिए मोस्ट वांटेड अपराधी बन गया. दाऊद पर शिकंजा कसते हुए 2003 में सरकार ने अमेरिका से मिलकर दाऊद को ग्लोबल टेररिस्ट (वैश्विक आतंकवादी) घोषित करा दिया था. इसके बाद फोर्ब्स पत्रिका की 2011 में जारी दुनिया की मोस्ट वांटेड टॉप-10 अपराधियों की सूची में दाऊद पहले नंबर पर था. इसके पहले 2008 में आई फोर्ब्स की दुनिया के मोस्ट वांटेड टॉप-10 अपराधियों की सूची में वह चौथे स्थान पर था. इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्टों में 2008 में हुए 26/11 हमलों में भी दाऊद का हाथ होना बताया गया था.
ईमानदार सिपाही का बेटा बना अंडरवर्ल्ड डॉन
दाऊद इब्राहीम मुंबई पुलिस के एक ईमानदार सिपाही का बेटा है जो शहर के डोंगरी इलाके में पला बढ़ा. 1980 के दशक में दाऊद मुबंई में चल रहे गैंगवार का हिस्सा बना गया और उसके लिए उसने हाजी मस्तान गैंग ज्वाइन कर ली, लेकिन कुछ दिन बाद ही दाऊद की हाजी मस्तान से दुश्मनी हो गई, जिससे दाऊद अपने कुछ साथियों के साथ हाजी मस्तान गैंग से अलग हो गया.
पठान गैंग और हाजी गैंग से टक्कर लेने के बाद दाऊद और शक्तिशाली हो गया. मुंबई में लोग दाऊद से खौफ खाने लगे. पठान गैंग से जुड़े ज्यादातर लोग अफगानिस्तान के प्रवासी थे. पठान गैंग ने दाऊद के भाई का कत्ल कर दिया इसके बाद दाऊद ने शहर पठान गैंग से बदला लेने की ठानी जिसके परिणाम स्वरूप शहर में भयानक खूनी गैंगवार शुरू हुआ. दाऊद ने हाजी गैंग के सभी सदस्यों को मारा, जिसके बाद हाजी राजनीति में जुड़ गया और दाऊद अंडरवर्ल्ड अपराधी बन गया.
1980 में ऐसे बनी डी-कंपनी
1980 के दशक में दाऊद ने संगठित आपराधिक संस्था बनाई जिसे मीडिया ने डी कंपनी नाम दे दिया. डी-कंपनी दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी भूमिगत बिजनेस संस्था मानी गई है, जिसके जरिए जबरन उगाही, सुपारी किलर, हथियार तस्करी, ड्रग तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है.
आपराधिक गतिविधियों के अलावा क्रिकेट में सट्टेबाजी और मैच फिक्स कराना दाऊद का बड़ा धंधा था. 1985 में दाऊद को दुबई में हुए क्रिकेट मैंचों के दौरान स्टेडियम में बैठे देखा गया है. इसके अलावा दाऊद ने बॉलीवुड में भी में अपना हाथ अजमाया है. रिपोर्ट के अनुसार, दाऊद दूसरे के नाम से फिल्मों में पैसा लगाता था. चोरी-चोरी छुपके-छुपके डी-कंपनी के पैसे ही बनी एक फिल्म है.