Saraswati Puja 2023: बसंत पंचमी पर इस बार 4 शुभ योग, जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त
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Saraswati Puja 2023: बसंत पंचमी पर इस बार 4 शुभ योग, जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

Basant Panchami 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार बंसत पंचमी, माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर प्रत्येक वर्ष मनायी जाती है. इस दिन मां सरस्वती के जन्मदिन पर विशेष रुप से पूजा अर्चना की जाती है.

Saraswati Puja 2023: बसंत पंचमी पर इस बार 4 शुभ योग, जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

Basant Panchami 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार बंसत पंचमी, माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर प्रत्येक वर्ष मनायी जाती है. इस दिन मां सरस्वती के जन्मदिन पर विशेष रुप से पूजा अर्चना की जाती है.

साल 2023 में इस बार बसंत पंचमी पर 4 शुभ योग इसे और भी महत्वपूर्ण बना रहे हैं. चलिए आपको बताते हैं इन चार योग के बारें में साथ ही शुभ मुहूर्त भी.

बसंत पचंमी 2023 तिथि (Basant Panchami 2023 And Tithi) 
हिंदू पंचांग के अनुसार 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से बसंत पंचमी आरंभ हो रही है, जो अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक इसे मनाया जा सकेगा. हिंदू मान्यता के अनुसार उदयातिथि के आधार पर  बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनायी जाएगी. जब गणतंत्रता दिवस भी होगा.

सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी को सुबह 07 बजकर 06 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहने वाला है. याद रखें, मां सरस्वती की पूजा पीले वस्त्रों को धारण कर करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है.

बसंत पंचमी पर शुभ योग
वैदिक पंचांग में इस बार सरस्वती पूजन के दिन शिव योग, सिद्ध योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहे है. 
रवि योग - 26 जनवरी की शाम 06 बजकर 56 मिनट से आरंभ हो रहा है और ये अगले दिन 27 जनवरी को सुबह 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. जिसे सबसे ज्यादा शुभ योग माना जाता है.

सर्वार्थ सिद्धि योग- 26 जनवरी की शाम 06:58 बजे से आरंभ हो रहा है, जो 27 जनवरी को सुबह 07:11 बजे तक रहने वाला है. इस योग में किया गया हर काम सिद्ध हो जाता है.

शिव योग- सुबह से दोपहर 03:28 मिनट तक रहने वाला है. इस योग में पूजा करने का दोगुना फल मिलेगा. साथ ही इसके बाद सिद्ध योग के शुरु होने से इस समय पर पूजन किया जा सकता है.
 
सरस्वती पूजन के दिन इन मंत्रों का करें जाप
1)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा

2) शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌

(डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है. Zee.Media इसकी पुष्टि नहीं करता है. )

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