शांति ही शांति! 50 सालों के बाद दंगों में आई कमी, भारत में शुरू हुआ सुख शांति का दौर
Advertisement

शांति ही शांति! 50 सालों के बाद दंगों में आई कमी, भारत में शुरू हुआ सुख शांति का दौर

Riots in India: भारत में दंगों से उपजी हिंसा में लगातार काफी कमी आई है.1990 में तो उस समय दंगों की संख्या 90,000 से अधिक पाई गई थीं तो वहीं  1995 के बाद से  देश में होने वाले दंगों की घटनाओं में लगातार कम हुई हैं.

Riots in india

Riots in India: दंगों के कारण भारत में   कई सालों तक अशांति का दौर रहा है, लेकिन अब इससे अलग एक नई तस्वीर उभर कर सामने आ रही है जिसमें देखा गया है कि भारत में दंगों से उपजी हिंसा में लगातार काफी कमी आई है. देश में पिछले 50 सालों  के आंकड़ों  पर अगर नजर घुमाएगे  तो पाएंगे कि 1995 के बाद से  देश में होने वाले दंगों की घटनाओं में लगातार कम हुई हैं. 

यह भी पढ़ेंः Alwar: घर से निकली थी टॉयलेट करने, जबरनदो ने किया रेप, मुंह खोलने पर भाईयों को दी थी जान से मारने की धमकी

 1990 दंगों की संख्या 90,000 से अधिक पाई गई 
अगर बात करे 1995 से पहले साल 1990 में तो उस समय दंगों की संख्या 90,000 से अधिक पाई गई थीं तो 9 साल बाद यानी 1999 में यह संख्या 80,000 पर  कर गई थी, लेकिन 2004 में अचानक इसकी संख्या घटकर 60,000 हो गई थी.  यानी तकरीबन 20 हजार का गैप. जो अपने में ही एक शांति बनाए रखने की एक चुनौती था, लेकिन 2004 में  मनमोहन सरकार में  इन दंगों में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखी गई. जो 2013   तक रहा. जिसका आंकड़ा  60,000 से बढ़कर 70,000 तक पहुंच गया था. लेकिन उसके बाद 2021 में फिर तेजी से गिरावट दर्ज की गई. इस समय इनकी  संख्या लगभग 40,000 दर्ज की गई. ये वे मामले हैं, जिनको पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था. एनसीआरबी ने भी अपने डेटा में दंगों की संख्या में कमी को पुख्ता किया है.

1981 में हुए सबसे अधिक दंगे

इन आंकड़े  पर नजर घुमाएं तो पाएंगे कि  1998 के बाद से भारत में दंगे और उसमें उपजी हिंसा के मामलों में  तेजी से कमी आई . देश में सबसे अधिक दंगे 1981 में हुए थे, जब पुलिस रिकॉर्ड में उस समय 1,10,361 केस रजिस्टर्ड किए गए थे. तब से लेकर आजतक के हालात की तुलना की जाए तो यह साबित होता है कि आज हम कितने सुरक्षित हालात में जीवन जी रहे हैं.

आपको यह भी बता दें कि एनडीए वन यानी जब अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र में सरकार बनी थी, तब भी दंगों के केसों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई थी और उसके बाद एनडीए 2 की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी तब भी दंगों की संख्या में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिल रही है.

1980 के बाद 1990 के दशक में दंगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई लेकिन 1994 के बाद इसमे  धीरे धीरे कमी  आने लगी. 1996 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनने के बाद से  दंगों में भारी कमी दर्ज की गई थी. 2004 में केंद्र में सरकार बदली, उसके बाद दंगों की संख्या में 2013 तक लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई लेकिन 2014 में मोदी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से लेकर अब तक इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. 

दंगों की परिभाषा 
IPC यानी भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 159 में दंगे की परिभाषा को सपष्ट करते हुए बताया है कि धारा 159 के अनुसार, 2 या उससे अधिक लोग सार्वजनिक स्थान पर लड़कर शांति में  बाधा पैदा करते हैं तो उसे दंगा कहते हैं.या  आपस में लड़ते-झगड़ते हुए उग्र हो जाते  हैं और आगजनी या सार्वजनिक संपत्तियों का नुकसान करने लगते है तो उसे दंगा कहते हैं.

यह भी पढ़ेंः नगौर में लव मैरिज को लेकर पिता ने बेटी पर बीच सड़क पर उतारा गुस्सा तो दामाद ने किया ये काम

Trending news