Rajasthan News: BJP का राजस्थान में लोकसभा चुनाव में 11 सीटें हारने के बाद महामंथन, लेकिन 'नीलकंठ' कौन ?
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Rajasthan News: BJP का राजस्थान में लोकसभा चुनाव में 11 सीटें हारने के बाद महामंथन, लेकिन 'नीलकंठ' कौन ?

Jaipur News: भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर लोकसभा चुनावों में हुई पार्टी की हार पर लगातार दो दिन तक मंथन चला. पहले दिन शनिवार को करीब 9 घंटे सात लोकसभा सीटों पर मिली हार के कारणों को खंगाला गया. 

Rajasthan News: BJP का राजस्थान में लोकसभा चुनाव में 11 सीटें हारने के बाद महामंथन, लेकिन 'नीलकंठ' कौन ?

Jaipur News: राजस्थान भाजपा में लोकसभा चुनाव में मिली हार को लेकर महामंथन किया गया. दो दिन करीब 14 घंटे चले महामंथन में 11 सीटों पर हुई हार के कारणों की समीक्षा की गई. इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच यह सवाल उठता रहा कि महामंथन के बाद नीलकंठ कौन होगा अर्थार्त चुनावों में हार की जिम्मेदारी कौन लेगा ? हालांकि इस सवाल पर महामंथन के दौरान या बाद कोई भी नेता कुछ भी नहीं बोले. वहीं नेताओं को आगामी दिनों में संगठन को मजबूत करने की नसीहत दी गई.

भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर लोकसभा चुनावों में हुई पार्टी की हार पर लगातार दो दिन तक मंथन चला. पहले दिन शनिवार को करीब 9 घंटे सात लोकसभा सीटों पर मिली हार के कारणों को खंगाला गया. इनमें टोंक सवाई माधोपुर, नागौर, बाड़मेर, चूरू, सीकर, झुंझुनूं और दौसा लोकसभा सीट पर नेताओं से चर्चा की गई. वहीं आज करीब पांच घंटें चार सीटों पर हार की समीक्षा की गई.

इनमें भरतपुर, बांसवाडा, करौली-धौलपुर और श्रीगंगानगर सीट को लेकर मंथन किया गया. हार की समीक्षा के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, प्रदेश चुनाव प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, सहप्रभारी प्रवेश वर्मा, विजया राहटकर मौजूद रहे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शनिवार और रविवार को दोनों दिन समीक्षा बैठक में शामिल हुए. इस बीच आज उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा भी समीक्षा के दौरान मौजूद रहे.

क्या कोई बनेगा नीलकंठ ?

ऐसा कहा जा रहा है कि हार के कारणों पर रिपोर्ट तैयार करने के बाद इसे राष्ट्रीय संगठन को भेज दिया जाएगा. इसके आधार पर राष्ट्रीय संगठन आने वाले दिनों में अपने स्तर पर किसी भी तरह से निर्णय में सक्षम होगा. वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रदेश कार्यालय में इस बात को लेकर भी चर्चा हुई कि जिनके कंधों पर प्रदेश के चुनाव की जिम्मेदारी थी, वो ही समीक्षा कर रहे हैं तो फिर जिम्मेदारी कौन लेगा. साथ ही सामूहिक चर्चा के दौरान कोई भी दूसरे नेता के सामने सही बात बोलने की भी हिम्मत नहीं करेगा. ऐसे में एक एक कर रायशुमारी की तर्ज पर समीक्षा की जानी चाहिए थी ताकि वो अपने मन की बात बता सकते.

मंथन में मुद्दे आए, लेकिन नेता बचते रहे 

भले ही बीजेपी के नेता मीडिया में इस बैठक को लेकर बात करने से कतराते दिखे,लेकिन इतना जरूर स्वीकार किया कि पार्टी कई मुद्दों पर बेअसर रही. बैठक में सुझाव के दौरान नेताओं ने कहा कि भाजपा के 400 पार नारे को कांग्रेस ने रिजर्वेशन ख़त्म होने के डर से जोड़ कर एससी एसटी वोट पर विपरीत असर डाला. जबकि जातीय समीकरण बीजेपी के अनुरूप नहीं रहे. टिकट वितरण से लेकर स्थानीय मु्द्दों का मसला भी प्रमुख रहा. हालांकि बैठक के बाद भरतपुरा लोकसभा से बीजेपी के प्रत्याशी रहे रामस्वरूप कोली ने कहा कि हार के कारणों को लेकर भी बताया तो साथ ही अब यह भी कहा कि पार्टी ने आगामी निकाय और पंचायत चुनावों के लिए मजबूती को लेकर मेसेज दिया है.

बीजेपी प्रदेश कार्यालय में हुई इस समीक्षा बैठक में लोकसभा प्रभारी मंत्री, जिला अध्यक्ष, विधायक, प्रत्याशी से फीडबैक और सुझाव लिए गए.हालांकि दो दिनों के दौरान कई सीटों पर प्रभारी मंत्री, प्रत्याशी तक समीक्षा के लिए नहीं पहुंचे. आज हुई चार सीटों पर समीक्षा में बांसवाड़ा सीट से चुनाव लड़े प्रत्याशी महेंद्रजीत मालवीय नहीं पहुंचे. इधर प्रत्याशियों ने समीक्षा के दौरान नेताओं का उचित सहयोग नहीं मिलने के साथ ही कार्यकर्ताओं की बेरूखी की भी बात कही.

बीजेपी के चुनाव प्रभारी विनय सहस्त्र बुद्दे ने कहा कि किसी भी चुनाव के बाद पारंपारिक रूप से समीक्षा को लेकर एक बैठक की जाती है. उसमें पार्टी विभिन्न मसलों पर बात करती हैं. चुनाव की जीत हार पर डिस्कशन होता हैं. दो दिन तक सारगर्भित बैठक रही. हालांकि जिम्मेदारी और कार्रवाई की बात उनके मुंह से नहीं निकली.

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