Rajasthan: BJP बनाम कांग्रेस: कम वोटिंग से किसे फायदा और किसका नुकसान, दूसरे चरण में 13 सीटों पर 64.56% मतदान के जानिए मायने
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Rajasthan: BJP बनाम कांग्रेस: कम वोटिंग से किसे फायदा और किसका नुकसान, दूसरे चरण में 13 सीटों पर 64.56% मतदान के जानिए मायने

Rajasthan News: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के खत्म होने के बाद अब जीत हार का आंकलन किया जा रहा है. दूसरे चरण में 13 सीटों पर हुए मतदान प्रतिशत को लेकर भाजपा और कांग्रेस को घाटे और फायदे को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. कम या ज्यादा वोटिंग को लेकर कांग्रेस और भाजपा नेताओं के अपने अपने तर्क हैं.

Rajasthan:  BJP बनाम कांग्रेस: कम वोटिंग से किसे फायदा और किसका नुकसान, दूसरे चरण में 13 सीटों पर 64.56% मतदान के जानिए मायने

Rajasthan News: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के खत्म होने के बाद अब जीत हार का आंकलन किया जा रहा है. दूसरे चरण में 13 सीटों पर हुए मतदान प्रतिशत को लेकर भाजपा और कांग्रेस को घाटे और फायदे को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. कम या ज्यादा वोटिंग को लेकर कांग्रेस और भाजपा नेताओं के अपने अपने तर्क हैं. प्रदेश में दूसरे चरण की 13 लोकसभाओं में 104 विधानसभाएं शामिल हैं.

इनमें विधानसभावार देखा जाए तो कांग्रेस की तुलना में भाजपा भारी है, लेकिन जनता ने फैसला सुना दिया कि लोकसभा में किसको चुना है. इनमें किस विधायक की अपने लोकसभा प्रत्याशी को वोट दिलाने में परफोर्मेंश कितनी रही इसका पता चार जून को रिजल्ट के बाद ही चल पाएगा.

बता दें कि प्रदेश में दूसरे चरण की 13 लोकसभा सीटों में 104 विधानसभाएं शामिल हैं. इनमें 72 पर भाजपा और 23 पर कांग्रेस के विधायक हैं. शेष आठ सीटों पर अन्य विधायक शामिल हैं. दूसरे चरण की 13 सीटों में से तीन लोकसभाओं में वोट प्रतिशत 2019 के मुकाबले बढ़ा है. माना जा रहा है कि वोट प्रतिशत बढ़ने घटने से कांग्रेस को कम नुकसान और भाजपा के वोट बैंक पर अधिक असर देखने को मिलेगा. भाजपा जिन सीटों पर जीत रही है, वहां जीत का मार्जिन घटना तय माना जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर प्रदेश की जिन 3 लोकसभाओं में मतदान प्रतिशत 3 प्रतिशत तक बढ़ा है. इनमें भाजपा के 13 विधायक है. कांग्रेस के सात और  दो निर्दलीय विधायक इन सीटों पर है. ये दोनों ही निर्दलीय विधायक बाड़मेर से हैं.

लोकसभा सीटें                                     भाजपा              कांग्रेस        अन्य
टोंक-सवाईमाधोपुर                                   4                    4                0
अजमेर                                                  7                    1             0
पाली                                                     6                    2            0
जोधपुर                                                  7                  1               0        
बाड़मेर                                                  5                   1             2
जालोर                                                   4                   3             1
उदयपुर                                                 5                   1             2
बांसवाड़ा                                                3                    3             1
चित्तौड़गढ़                                               6                   1             1
राजसमंद                                                8                    0             0
भीलवाड़ा                                                6                   1             1
कोटा                                                     4                    4             0
झालावाड़                                                 7                  1             0

इन तीन में बढ़ा मतदान -

तीन लोकसभा सीटों पर पिछली बाद की तुलना में मतदान प्रतिशत बढ़ा है. बाड़मेर में वर्ष 2019 में 73.3% मतदान की तुलना में इस बार 76.5%, बांसवाड़ा में 72.9% के मुकाबले अबकी बार 74.41% तथा कोटा में70.22% की तुलना में इस बार 71.86% प्रतिशत मतदाता पोलिंग बूथ पर पहुंचे हैं.

पहले चरण में भी सभी विधानसभा सीटों पर गिरा वोट प्रतिशत –

प्रदेश में पहले चरण की 12 लोकसभाओं में 96 विधानसभा सीटें शामिल थी. इनमें से 94 विधानसभाएं ऐसी थी जहां पर वोट प्रतिशत एक से 14 प्रतिशत तक घटा था. ये हालात लगभग भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों पर काबिज विधायकों की सीटों पर रहे थे. भाजपा और कांग्रेस करीब 90 सीटों पर थी और दोनों ही दलों के पास बराबर सी सीटें थी. हालांकि चूरू की तारानगर और भरतपुर की कामां विधानसभा सीट पर वोट प्रतिशत बढ़ा था. उधर कांग्रेस की पिलानी और सूरजगढ़ विधानसभा में 14 प्रतिशत वोट प्रतिशत घटा था. उधर 10 या इससे अधिक वोट प्रतिशत घटने वाली सीटों में आमेर, चौमूं, हनुमानगढ़, बहरोड़, श्रीमाधोपुर, नदबई, खेतड़ी, मंडावा भी शामिल थी. कुल मिलाकर 10 प्रतिशत या इससे अधिक की कैटेगरी वाली सीटों में कांग्रेस की 5 सीटें शामिल थी, जबकि भाजपा की चार सीटें रही. एक पर अन्य है.

कम मतदान पर अपना अपना गणित

इधर, वोट प्रतिशत कम होने पर भाजपा का मार्जिन कम होना माना जा रहा है, वहीं कांग्रेस को सीधे सीधे फायदे का अनुमान लगाया जा रहा है. हालांकि वोटिंग प्रतिशत कम होने पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के अपने अपने तर्क और गणित है. विधानसभावार देखा जाए तो भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 115 सीटों पर कांग्रेस से ज्यादा वोट लिए थे, वहीं कांग्रेस ने भी 79 सीटों पर भाजपा से बढ़त बनाई थी. विधायकों की जिम्मेदारी तय की गई थी कि वो अपने अपने क्षेत्र में पार्टी के लिए खुद को मिले वोटों से कितने ज्यादा वोट का इजाफा कर सकते हैं. वोटिंग कम होने पर भाजपा नेताओं का कहना है कि भले ही पिछले चुनाव में उन्हें मिली जीत का मार्जिन कम हो जाए, लेकिन सभी सीटें जीतेंगे. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वोट प्रतिशत इंगित करता है कि इस बार कांग्रेस को बम्पर सीटें मिलेगी.

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