पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में पारित हुए नौ संकल्प, जानें क्या होगा इसका असर
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1525957

पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में पारित हुए नौ संकल्प, जानें क्या होगा इसका असर

पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के आखिरी दिन नौ संकल्प पारित किए गए हैं. इसमें लोकसभा स्पीकर ने ओम बिरला ने कहा कि राजस्थान विधान सभा में #83AIPOC एक लैंडमार्क सम्मेलन सिद्ध हुआ है.

पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में पारित हुए नौ संकल्प, जानें क्या होगा इसका असर

जयपुर: पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के आखिरी दिन नौ संकल्प पारित किए गए हैं. इसमें लोकसभा स्पीकर ने ओम बिरला ने कहा कि राजस्थान विधान सभा में #83AIPOC एक लैंडमार्क सम्मेलन सिद्ध हुआ है. देश भर से आए विधान सभा तथा परिषदों के माननीय अध्यक्षों ने बदलते परिपेक्ष्य में लोकतांत्रिक संस्थाओं को और अधिक जवाबदेह बनाने तथा जनता के अधिकतम कल्याण के लिए समर्पित भाव से कार्य करने का संकल्प दोहराया.आइए जानते हैं पारित हुए नौ संकल्पों के बारे में.

पहला संकल्प - भारत की G20 अध्यक्षता

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की 83वीं बैठक भारत सरकार और भारत की संसद को G-20 राष्ट्रों के समूह और संसद -20 की अध्यक्षता ग्रहण करने पर अभिनंदन करती है. भारत को 'लोकतंत्र की जननी' के रूप में प्रस्तुत करने और समता, समावेशिता, बंधुत्व, शांति और संवहनीय जीवन शैली के लिए वैश्विक नेतृत्व को पूर्ण समर्थन देने का संकल्प करती है.

दूसरा संकल्प  -शक्तियों के पृथक्करण

शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत में आस्था 83वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन राष्ट्र के विधायी निकायों निकायों के माध्यम से कानून बनाने में भारत की जनता की प्रधानता में अपना पूर्ण विश्वास व्यक्त करता है. और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत में अपनी आस्था व्यक्त करते हुए राज्य के सभी अंगों को हमारे संविधान में निर्दिष्ट संवैधानिक सीमाओं का सम्मान करने का आह्वान करता है. पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में पारित हुए नौ संकल्प.

तीसरा संकल्प- संविधान सभा के सदस्यों के अनुकरणीय आचरण
आदर्श समरूप नियम प्रक्रियाएं नव स्वतंत्र राष्ट्र के समक्ष ज्वलंत विषयों के समाधान के संदर्भ में संविधान सभा के सदस्यों के अनुकरणीय आचरण को ध्यान में रखते हुए. सहयोग, सामंजस्य एवं विभिन्न विचारधाराओं के समन्वय की भावना के अनुरूप, अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन की बैठक यह संकल्प करती है,कि विधायी निकायों के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों की, व्यापक रूप से समीक्षा की जाएगी, और सदस्यों की अधिक भागीदारी तथा विधानमंडलों की, सभाओं के सार्थक कार्यकरण को सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करते हुए, आदर्श समरूप नियम प्रक्रियाएं बनाई जाए, अमर्यादित तथा असंसदीय आचरण पर प्रभावी नियंत्रण हेतु, नियम प्रक्रियाओं में सदस्यों के लिए आचार संहिता को शामिल किया जाए.

यह भी पढ़ें: Swami Vivekananda: राजस्थान के राजा ना होते तो नरेंद्र नहीं बन पाते स्वामी विवेकानंद! जानिए क्या है पूरी कहानी

चौथा संकल्प- कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित
विधानमंडलों की सभाओं में व्यवधान हमारे विधायी निकायों में कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, सदस्यों द्वारा सरकार से प्रश्न पूछे जाने के, समयसिद्ध साधन के महत्व को स्वीकार करते हुए, अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन की बैठक, सभी राजनैतिक दलों का आह्वान करती है कि, वे आम सहमति से यह निर्णय लें, कि विधानमंडलों की सभाओं में विशेष रूप से प्रश्न काल के दौरान व्यवधान उत्पन्न न किया जाए .

पांचवां संकल्प - समितियों की भूमिका और कार्यपालिका के कार्य की समीक्षा 
समितियों की भूमिका और कार्यपालिका के कार्य की समीक्षा हमारे विधानमण्डल के संचालकों के रूप में, समितियों की भूमिका को पहचानते हुए, अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की 83वीं बैठक, समिति प्रणाली को सशक्त करने और कार्यपालिका के कार्य की समीक्षा की सीमा, और दायरे को बढ़ाने के लिए, भारत में सभी विधायी निकायों से सार्थक कदम उठाने का आह्वान करती है.

छठा संकल्प- राज्य विधानमंडलों के कार्य प्रबंधन में वित्तीय स्वायतता

संघ और राज्य विधानमंडलों के कार्य प्रबंधन में वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए, संकल्प लिया गया कि लोक सभा अध्यक्ष को संबंधित राज्य सरकारों से, विस्तृत विचार-विमर्श हेतु अधिकृत किया जाता है.

सातवां संकल्प- राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड

भारत में सभी विधायी निकाय अधिक दक्षता, पारदर्शिता और परस्पर संपर्क की दृष्टि से, विधायी निकायों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड में भाग भाग लेने हेतु सभी कदम उठाएंगे.

आठवां संकल्प- उत्कृष्ट विधायिका पुरस्कार
सदस्यों की प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण भागीदारी को बढ़ावा देने, और विधायिका के कार्यकरण की कार्योत्पादकता बढ़ाने के लिए, प्रयासों को मान्यता देने के उद्देश्य से, एक निष्पक्ष के माध्यम से, चुने गए विधायी निकायों के लिए वार्षिक आधार पर एक उत्कृष्ट विधायिका पुरस्कार की शुरुआत की जाये.

नौवां संकल्प- संवैधानिक प्रावधानों के प्रति जवाबदेही
समाज के सभी वर्गों को संवैधानिक प्रावधानों तथा विधायी नियमों और प्रक्रियाओं की शिक्षा समाज के सभी वर्गों विशेषकर महिलाओं और युवाओं को, संवैधानिक प्रावधानों तथा विधायी नियमों और प्रक्रियाओं की, जानकारी देने के सभी संभव प्रयास किए जाएं.

Trending news