बल,धन के साथ मिलता है संतान सुख, यदि ये सब चाहिए तो ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा
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बल,धन के साथ मिलता है संतान सुख, यदि ये सब चाहिए तो ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा

Skandamata: राजस्थान में शारदीय नवरात्रि पर धूम है, छोटी काशी जयपुर में भी दुर्गा माता के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा सकती है. आमेर स्थित शिला माता,  राजा पार्क स्थित वैष्णों देवी माता मंदिर समेत सभी मंदिरों में मां के भक्त पहुंच रहे हैं.

 

बल,धन के साथ मिलता है संतान सुख, यदि ये सब चाहिए तो ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा

Skandamata: देशभर में शारदीय नवरात्रि बड़ी ही धूमधाम से मनाई जा रही है, छोटी काशी जयपुर में भी दुर्गा माता के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. आमेर स्थित शिला माता हो या राजा पार्क स्थित वैष्णों देवी माता मंदिर सभी मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. वैष्णों देवी माता मंदिर के पुजारी ने बताया आज शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित होता है.

 स्कंदमाता का पूजन किया जाता है

इस दिन विधि-विधान से मां स्कंदमाता का पूजन किया जाता है, और ऐसी मान्यता है कि इससे माता रानी प्रसन्न होकर संतान की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं, जो दंपति संतान प्राप्ति की कामना कर रहे हैं. उन्हें पांचवे नवरात्रि के स्कंदमाता का पूजन अवश्य करना चाहिए.इससे संतान सुख प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है.

 संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं

इसके साथ ही मां अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें यश,बल,धन के साथ संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत ही निराला है और इनकी चार भुजाएं हैं. मां की दो भुजाओं में कमल के पुष्प हैं.एक भुजा से मां आशीर्वाद दे रही हैं, जबकि चौथी भुजा से पुत्र स्कंद को गोद में लिया हुआ है.

 कार्तिकय की मां के रूप में पूजा जाता है

मां स्कंदमाता की सवारी है और मान्यता है कि पुत्र कार्तिकय यानि स्कंद की मां होने ही वजह से ही इनकी मां स्कंदमाता है. इसका मतलब इन्हें भगवान कार्तिकय की मां के रूप में पूजा जाता है.मंदिर के महंत ने बताया सुबह मंगला आरती से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही हैं. मंदिर के पट खुलते ही मंगला आरती के समय बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु मौजूद रहें.

मंगला आरती के बाद करें ये

 इसी के साथ मंगला आरती के बाद भोग के समय मंदिर के पट बंद कर माता को भोग लगाया गया. भोग लगने के बाद नौ कन्याओं की पूजा कर उन्हें सबसे पहले प्रसाद ग्रहण करवाया, उसके बाद भक्त जनों को प्रसाद वितरित किया गया. मंदिर में आने वाले भक्तों ने बताया वह विशेष तौर पर चैत्र और शारदीय नवरात्रों में मां वैष्णो देवी मंदिर में देवी के दर्शन करने आते हैं, मां वैष्णो देवी से वह जो भी मनोकामना माँगते हैं वह उनकी पूरी होती है, इस कारण इस मंदिर का बड़ा ही महत्व है.

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