प्रो. मुरली मनोहर पाठक-गोपाल शर्मा-अनूप बरतरिया को मिली ''डी.लिट.'' की मानद उपाधि, राज्यपाल ने कहा ये
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प्रो. मुरली मनोहर पाठक-गोपाल शर्मा-अनूप बरतरिया को मिली ''डी.लिट.'' की मानद उपाधि, राज्यपाल ने कहा ये

जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय का आज पांचवा दीक्षान्त समारोह आयोजित किया गया. दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र और शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला सहित अनेक शिक्षाविद मौजूद रहे. दीक्षांत समारोह में 8 हजार 842 विद्यार्थियों को उपाधियों दी गई.

प्रो. मुरली मनोहर पाठक-गोपाल शर्मा-अनूप बरतरिया को मिली ''डी.लिट.'' की मानद उपाधि, राज्यपाल ने कहा ये

Jaipur News : जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय का आज पांचवा दीक्षान्त समारोह आयोजित किया गया. दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र और शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला सहित अनेक शिक्षाविद मौजूद रहे. दीक्षांत समारोह में 8 हजार 842 विद्यार्थियों को उपाधियों दी गई. इसी के साथ गोल्ड मेडल और 14 शोधार्थियों को डिग्री प्रदान करी गई.

राज्यपाल मिश्र ने समारोह में लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक, जयपुर महानगर टाइम्स के संस्थापक संपादक गोपाल शर्मा, प्रख्यात शिल्प शास्त्री अनूप बरतरिया एवं अंतरराष्ट्रीय शूटर अपूर्वी चन्देला को विद्या वाचस्पति ''डी.लिट.'' की मानद उपाधि प्रदान करी. चन्देला किन्ही कारणवश कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सकी. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने में संस्कृत भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है . उन्होंने प्राचीन भारतीय साहित्य एवं संस्कृति से नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए संस्कृत को नए संदर्भ देते हुए बढ़ावा दिए जाने पर बल दिया है.

उन्होंने कहा कि जीवन व्यवहार और आदर्श लोकाचार की शिक्षा संस्कृत भाषा में बहुत सहज एवं सुंदर रूप में दी गई है. संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से आंतरिक सुसंगति वाली भाषा है, जो विचारों के आदान-प्रदान के लिए बहुत सरल और मधुर है. राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत भाषा सनातन सांस्कृतिक मूल्यों की संवाहक है. यंत्र विज्ञान, रसायन शास्त्र, जीवविज्ञान, प्रणालीविज्ञान, गणित शास्त्र, मनोविज्ञान आदि के ज्ञान का संस्कृत में अथाह भंडार है.

उन्होंने कहा कि संस्कृत में रचे गए महती साहित्य, ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी पुस्तकों को हिंदी के साथ दूसरी भारतीय भाषाओं में अनुवादित कराने की पहल की जाए ताकि संस्कृत का प्राचीन ज्ञान नई पीढ़ी को उपलब्ध हो सके. उन्होंने इस अवसर पर संस्कृत के प्राचीन ज्ञान के आधार पर भारतीय संस्कृति से जुड़ा कोष भी तैयार करने का सुझाव दिया. शिक्षा, कला एवं संस्कृति तथा संस्कृत शिक्षा मन्त्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि संस्कृत वेद भाषा है और कई भारतीय भाषाओं की जननी है. यही नहीं, कई विदेशी भाषाओं में भी संस्कृत के शब्द पाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा की संक्षिप्तीकरण की शैली इतनी अद्भुत है जो अन्य किसी भाषा में नहीं है.

उन्होंने कहा कि राजस्थान में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए हाल ही प्रदेश में 20 महाविद्यालय खोले जाने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार नए प्राथमिक, माध्यायिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के दस प्रतिशत संस्कृत विद्यालय खोले जा रहे हैं. उन्होंने संस्कृत शिक्षा को डिजिटल एवं आधुनिक तकनीकों से जोड़े जाने की आवश्यकता जताई . उन्होंने विश्वविद्यालय में संगीत, ललित कला आदि संकायों की शिक्षा शुरू करवाए जाने का सुझाव भी दिया.

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