Mangalwar ke Upay: हनुमानजी का ये चमत्कारिक रूप हर कष्ट को दूर करेंगे, कलियुग में बजरंगबली हैं प्रभावशाली
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Mangalwar ke Upay: हनुमानजी का ये चमत्कारिक रूप हर कष्ट को दूर करेंगे, कलियुग में बजरंगबली हैं प्रभावशाली

Mangalwar Ke Upay: कलियुग में हनुमानजी सबसे जाग्रत देव माने गए हैं. हनुमान चालीसा में इस का वर्णन भी है. हनुमानजी की पूजा का चमत्कारिक असर होता है. बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमानजी की किस रूप की पूजा करने से क्या फल मिलता है.आईये जानते है.

Mangalwar ke Upay: हनुमानजी का ये चमत्कारिक रूप हर कष्ट को दूर करेंगे, कलियुग में बजरंगबली हैं प्रभावशाली

Mangalwar Ke Upay: हनुमान जी को कलियुग में सबसे प्रभावशाली देवता के रुप में जाने और पूजे जाते हैं. कहा गया है कि भक्त सच्ची भक्ति से हनुमान जी को याद करे तो साक्षात दर्शन देते है. कलियुग में हनुमानजी सबसे जाग्रत देव माने गए हैं. हनुमान चालीसा में इस का वर्णन भी है. 'और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई'. हनुमानजी की पूजा का चमत्कारिक असर होता है. बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमानजी की किस रूप की पूजा करने से  क्या फल मिलता है.आईये जानते है.

1. पूर्वमुखी हनुमान
पूर्व की तरफ जो मुंह है उसे 'वानर' रुप कहा गया है. जिसकी प्रभा करोड़ों सूर्यो के समान तेज  हैं. इस रुप का पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश होता है. इस पूर्वमुखी हनुमान का पूजन करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है.

2.पश्चिममुखी हनुमान
पश्चिम की तरफ जो मुंह है उसे 'गरूड़' कहा गया है. यह हनुमान जी का रूप संकटमोचन माना गया है. जिस प्रकार भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ अजर-अमर हैं उसी तरह इन्हें भी अजर-अमर माना गया है.

3.उत्तरामुखी हनुमान 
उत्तर दिशा देवी-देवताओं का निवास स्थान होता है. यही कारण है कि शुभ और मंगल की कामना उत्तरामुखी हनुमान की उपासना से पूरी होती है. उत्तर की तरफ जो मुंह है उसे 'शूकर' कहा गया है. इनकी उपासना करने से  धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु तथा निरोगी काया प्राप्त होती है.

4.दक्षिणामुखी हनुमान 
दक्षिण की तरफ जो मुंह है उसे 'भगवान नृसिंह' कहा गया है. यह रूप अपने भक्तों को भय, चिंता और परेशानियों से मुक्त करवाता है. दक्षिण दिशा में सभी तरह की बुरी शक्तियों के अलावा काल की दिशा मानी जाती है. यदि आप अपने घर में उत्तर की दीवार पर हनुमानजी का चित्र लगाएंगे तो उनका मुख दक्षिण की दिशा में होगा. दक्षिण में उनका मुख होने से वह सभी तरह की बुरी शक्तियों से हमें बचाते हैं. इसलिए दक्षिणामुखी हनुमान की साधना काल, भय, संकट और चिंता का नाश करने वाली होती है.

5.ऊर्ध्वमुख हनुमान 
 हनुमानजी का ऊर्ध्वमुख रूप 'घोड़े' के समरूप है. यह स्वरूप ब्रह्माजी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था. मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए थे.

6.पंचमुखी हनुमान
राम लक्ष्मण को अहिरावण से मुक्त कराने के लिए हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया था. पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया. उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख.

7.एकादशी हनुमान 
हनुमानजी रुद्र यानी शिव के ही ग्यारहवें अवतार माने गए हैं. ग्यारह मुख वाले कालकारमुख नामक एक भयानक शक्तिशाली राक्षस का वध करने के लिए श्रीराम की आज्ञा से हनुमानजी ने एकादश मुख रूप ग्रहण करके चैत्र पूर्णिमा (हनमान जयंती) को शनिश्चर के दिन उस राक्षस का उसकी सेना सहित वध कर दिया था. एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा से सभी देवी और देवताओं की उपासना के फल मिलते हैं.

8.वीर हनुमान 
जैसा की नाम से ही विदित है कि इस नाम से हनुमानजी की प्रतिमा की पूजा जीवन में साहस, बल, पराक्रम और आत्मविश्वास प्रदान कर सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करती है.

9.रामभक्त हनुमान 
राम की भक्ति करते हुए हनुमान जी का रुप अद्भूत फल दिलाता है. इस रुप वाले मूर्ति की पूजा से जीवन के लक्ष्य को पाने में आ रहीं अड़चनें दूर होती है. साथ ही यह भक्ति एकाग्रता और लगन देने वाली होती है. इस मूर्ति या चित्र में हनुमानजी हाथ में करताल लेकर राम की भक्ति करते हुए धुन में नजर आएंगे.

10.दास हनुमान 
हनुमानजी रामजी के भक्त हैं. सदा रामकाज करने को आतुर रहते हैं. दास हनुमान की आराधना से व्यक्ति के भीतर सेवा और समर्पण की भावना का विकास होता है. धर्म, कार्य और रिश्तों के प्रति समर्पण और सेवा होने से ही सफलता मिलती है. इस मूर्ति या चित्र में हनुमानजी प्रभु श्रीरामजी के चरणों में बैठे हुए हैं. इनकी पूजा से सभी कार्य सरल रुप से पूरे होते हैं.

11.सूर्यमुखी हनुमान 
शास्त्रों के मुताबिक श्रीहनुमान के गुरु सूर्यदेव हैं. सूर्य पूर्व दिशा से उदय होकर जगत को प्रकाशित करता है. सूर्यमुखी हनुमान की उपासना से ज्ञान, विद्या, ख्याति, उन्नति और सम्मान मिलता है. सूर्यमुखी हनुमान को ही पूर्वमुखी हनुमान कहते हैं.

12. लाल देह वाले हनुमानजी

ध्यान मुद्रा में बैठे लाल रंग के हनुमान जी बेहद शुभ फल देते हैं. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हनुमानजी का चित्र इसलिए अधिक शुभ है क्योंकि हनुमानजी ने अपना प्रभाव सर्वाधिक इसी दिशा में दिखाया है. हनुमानजी का चित्र लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत हनुमानजी का चित्र देखकर लौट जाती है. इससे घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है.

वास्तुदोष हो तो लगाएं पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति 

वास्तुविज्ञान के अनुसार पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति जिस घर में होती है वहां उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन संपत्ति में वृद्धि होती है. यदि आपको लगता है कि आपके घर पर नकारात्मक शक्तियों का असर है तो आप पंचमुखी हनुमानजी का चित्र मुख्य द्वारा के ऊपर लगा सकते हैं या ऐसी जगह लगाएं जहां से यह सभी को नजर आए. ऐसा करने से घर में किसी भी तरह की बुरी शक्ति प्रवेश नहीं करेगी. चिरंजीवी माने जाने वाले हनुमान जी की पूजा से साधक के सभी बिगड़े काम शीघ्र ही बन जाते हैं और उसे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है. 

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