Love Story : जैसलमेर का मीर ऑस्ट्रेलिया की एंजला से कर बैठा प्रेम, एड्स से हुई मौत, पढ़ें अधूरे प्रेम की पूरी कहानी
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Love Story : जैसलमेर का मीर ऑस्ट्रेलिया की एंजला से कर बैठा प्रेम, एड्स से हुई मौत, पढ़ें अधूरे प्रेम की पूरी कहानी

Love Story : जैसलमेर के मीर को 50 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया की एंजला दिल दे बैठी, उसके साथ कई सपने बुने, मैं उससे प्यार करने लगी थी, लेकिन उसे मुझसे सिर्फ सेक्स चाहिए था. फिर सब बदल गया. पढ़ें अधूरे प्रेम की पूरी कहानी

Love Story : जैसलमेर का मीर ऑस्ट्रेलिया की एंजला से कर बैठा प्रेम, एड्स से हुई मौत, पढ़ें अधूरे प्रेम की पूरी कहानी

Love Story : दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में शुमार एक प्राचीन शहर जैसलमेर, जहां की धरा पर सूरज की किरणें पड़ते ही सबकुछ दमक उठता है. तब एहसास होता है कि इस शहर को स्वर्ण नगरी क्यों कहा जाता है. मैं स्वर्ण नगरी आई तो थी अपने जीवन की स्वर्ण पड़ाव पार करने पर कुछ पल खुश होने के लिए, कुछ शांति के लिए लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरा दिल यहीं बस जाएगा. जैसलमेर के सम धोरों में ऊंट की सवारी के लिए निकली तो मेरी मुलाकात मीर से हुई. वो वहां कैमल राइड और सफारी करवाता था, मैं उसकी के ऊंट पर सवार होकर मरुधरा के धोरों पर निकल पड़ी. 

जीवन के कई उतार चढाव के बाद मुझे वहां की फिजाओं में एक ठहराव महसूस हो रहा था. मीर की बातें सुन कई सालों बाद मैं दिल खोल कर हंस रही थी, टूटीफूटी अंग्रेजी में वो बक बक करता रहा और मैं हस्ती रही, लेकिन ऊंट की सवारी कर मेरी पीठ पूरी तरह अकड़ चुकी थी, वो अपने गांव ले गया जहां उसने चूल्हे पर लाल मांस बना कर खिलाया. मेरी अकड़ी पीठ की मालिश की. लेकिन अगले दिन भी मैं अकेले शहर जाने की स्थिति में नहीं थी. वो मेरे साथ वापस जैसलमेर आया. होटल में ही रुक कर मेरा ख्याल रखने लगा. मेरे पति की मौत हुए कई साल गुजर चुके थे, बेटे की भी शादी हो गई और भी अलग रहता था, कई सालों से कोई नहीं था जिसने मेरा ऐसा ख्याल रखा हो.

उससे मुझे प्यार हो गया

कुछ महीने ऐसे ही गुजर गए, उसके साथ वक्त गुजरना अच्छा लगने लगा, जिंदगी का अकेलापन कहीं ना कहीं दूर होने लगा, ऐसा लग रहा था कि इस जहां में भी कोई है, जो मेरे लिए है मेरा ख्याल रखता है. मेरे बारे में सोचता है. अब मैं भी यहीं रहना चाहती थी, मैंने ऑस्ट्रेलिया में अपने होटल का एक हिस्सा बेच कर उसके लिए यहां जैसलमेर में घर खरीदा, जहां से स्वर्ण नगरी जैसलमेर के कोहिनूर यानि सूर्यगढ़ और उसके पीछे से उगता हुआ सूरज दिखाई देता था, मुझे लगता था कि शायद सूर्य की किरण सालों बाद मेरे जीवन के अंधियारे को दूर करेगा. मेरा सपना था कि उसका साथ हमेशा बना रहे. लिहाजा बाद में उस घर को होटल में तब्दील कर दिया. मैं उसे संभालने लगी, लेकिन वो धीरे धीर बेपरवाह होता गया, मुझसे भी और जिम्मेदारियों से भी. मैं गांव में रह रही उसकी पत्नी और उसके बच्चे की अच्छी परवरिश के लिए पैसे भी दे दिया करती. महीने में कुछ वक्त वो वहां भी गुजारता था.मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं थी.

लेकिन उसे मुझसे सिर्फ सेक्स चाहिए था

वक्त गुजरने के साथ साथ वो बदलता गया, धीरे-धीरे मुझ पर हिंसक होता चला गया. वो मुझे नहीं बल्कि मेरे अरमानों को मार रहा था, मेरी खाव्हिशों को बेआबरू कर रहा था, मैं इसे नहीं सह सकती थी, मैं उससे प्यार करने लगी थी, लेकिन उसे मुझसे सिर्फ सेक्स चाहिए था. एक रोज वो कुछ दिनों के लिए अपने गांव गया था. मैंने फैसला कर लिया था, अब और नहीं. मैं भी फ्लाइट पकड़ कर वापस ऑस्ट्रेलिया आ आ गई. साथ में कुछ अच्छी तो कुछ कड़वी यादें थी, बाद में उसका कई बार फोन आया. मुझसे माफ़ी मांगी. मेरे आगे गिड़गिड़ाया, लेकिन मैंने ठान लिया था अब मैं कभी वापस नहीं जाउंगी. 

फिर एक फोन आया

मैं ऑस्ट्रलिया तो आ गई थी, कई साल गुजर गए थे लेकिन कहीं ना कहीं मेरा दिल आज भी जैसलमेर में ही बसा हुआ था. अब उससे कोई बात नहीं होती थी, लेकिन एक रोज जैसलमेर से एक दोस्त का फोन आया. उसने बताया मीर अब नहीं रहा. तुम्हारे जाने के बाद वो फिर से ऊंट की सवारी करवाने लगा. सैलानियों को अपने गांव ले जाता. जहां विदेशी बालाओं को मालिश देता और उनके साथ सम्बन्ध बनता. उससे उसे एड्स हो गया. उसके गांव वाले उसे पास के उपचार केंद्र पर छोड़ आए, जहां कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई. यह खबर सुन कर मन बेहद बैचेन हैं. फिर से एक खामोशी है, एक सन्नाटा है. मन में ख्याल आता है उसके परिवार का क्या होगा. उसके बीवी बच्चे कैसे रहेंगे. मैंने तय किया हर महीने उसके बैंक खाते में पैसे भेज दिया करूंगी. शायद यह अब मेरी जिम्मेदारी है... 

Note - यह कहानी सच्ची घटना से प्रेरित है. इसके किरदार के नाम बदल दिए गए हैं.

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