लोकसभा चुनाव 2024: सीजर की कार्रवाई में चुनाव आयोग ने बनाया रिकॉर्ड, राजस्थान बना पहले नंबर पर
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लोकसभा चुनाव 2024: सीजर की कार्रवाई में चुनाव आयोग ने बनाया रिकॉर्ड, राजस्थान बना पहले नंबर पर

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव आते ही पार्टी और प्रत्याशी धनबल का इस्तेमाल हर बार मतदाताओं को लुभाने के लिए करते हैं.चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के दौरान 75 साल के इतिहास में 4,658 करोड़ कीमत के अवैध नकद, फ्री बीज आइटम, शराब, नशीले पदार्थ और बहुमूल्य धातुओं को जब्त करने का रिकॉर्ड बनाया है. 

लोकसभा चुनाव 2024: सीजर की कार्रवाई में चुनाव आयोग ने बनाया रिकॉर्ड, राजस्थान बना पहले नंबर पर

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव आते ही पार्टी और प्रत्याशी धनबल का इस्तेमाल हर बार मतदाताओं को लुभाने के लिए करते हैं. इस बार भी ऐसा ही माहौल बना हुआ है. हालांकि लोकतंत्र का उत्सव कहे जाने वाले चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए होने वाले धनबल को रोकने के लिए निर्वाचन आयोग सख्ती से निपट रहा है. चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के दौरान 75 साल के इतिहास में 4,658 करोड़ कीमत के अवैध नकद, फ्री बीज आइटम, शराब, नशीले पदार्थ और बहुमूल्य धातुओं को जब्त करने का रिकॉर्ड बनाया है. देश में हर दिन औसतन 100 करोड़ रुपए की सीजर की कार्रवाई की जा रही है. जब्ती के आंकड़ों पर नजर डाले तो देश में राजस्थान पहले नंबर पर है.

लोकसभा चुनाव में वोटों की फसल काटने के लिए अब हर हथकंडा अपनाया जाने लगा है. पहले शराब का बोलबाला ज्यादा रहता था, लेकिन इस लोकसभा चुनाव में मादक पदार्थों ने दारू, रुपया पैसा और सोना-चांदी सबको पीछे छोड़ दिया है. नशीले पदार्थों के सामने दूसरे साधनों की चमक फीकी पड़ गई है. चुनाव आयोग ने 1 मार्च से 13 अप्रैल तक 2,068 करोड़ रुपये से ज्यादा के मादक पदार्थ जब्त किए हैं. पिछले आम चुनाव के मुकाबले इस बार ड्रग्स और मुफ्त सामग्री में अधिक जब्ती हुई है. 

75 साल के इतिहास में पहली बार  नया रिकॉर्ड बनाते हुए इलेक्शन कमीशन ने चुनाव में काले धन और धनबल के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए देशभर में 1 मार्च से हर दिन औसतन 100 करोड़ रुपये की सीजर की कार्रवाई की है. यानी कि 1 मार्च से अब तक 4,658 करोड़ कीमत के अवैध नकद, फ्री बीज आइटम, शराब, नशीले पदार्थ और बहुमूल्य धातुओं को जब्त किया गया है. यदि स्टेट वाइज आंकड़े देखे तो जब्ती के मामले में 778.52 करोड़ रुपए मूल्य की वस्तुएं सीजर करने के साथ देश में राजस्थान पहले नंबर पर है. देशभर के सभी राज्यों में 1 मार्च से 13 अप्रैल तक पकड़ी गई

 इन चीजों में सर्वाधिक कीमत का ड्रग या नशीली आइटम है. देशभर में पिछले 43 दिन के अंदर 2,068 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत की नशीले पदार्थ (अफीम, गांजा, डोडा, स्मैक या नशे में उपयोग आने वाले अन्य पदार्थ) पकड़े गए हैं. वहीं 1,142 करोड़ रुपए से ज्यादा की ऐसी सामाग्री बरामद की है, जिसे देकर वोटर को लुभाया जा सके. राजस्थान की बात करें तो यहां 119.37 करोड़ की ड्रग पिछले 43 दिनों के अंदर पकड़ी जा चुकी है. जबकि 533 करोड़ रुपए से ज्यादा की ऐसी सामाग्री जो वोटिंग के दौरान या उससे पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए बांटी जानी हो, इसमें साड़ियां, सिलाई की मशीन या अन्य सामाग्री शामिल है. इसके अलावा 49.21 करोड़ रुपए कीमत का कीमति धातु (सोना-चांदी व अन्य धातु) और 35.85 करोड़ रुपए का कैश बरामद किया जा चुका है.

राजस्थान में चुनाव आचार संहिता के दौरान सर्वाधिक शराब बरामद की गई है. जिसकी बाजार कीमत 40.78 करोड़ रुपए से ज्यादा है. पूरे प्रदेश में पुलिस, आबकारी और दूसरी एजेंसियों ने करीब 37.98 लाख लीटर शराब जब्त की है. राजस्थान में शराब के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है, जबकि पहले नंबर पर कर्नाटक है, जहां पिछले 43 दिन के अंदर 1.30 करोड़ लीटर से भी ज्यादा शराब पकड़ी जा चुकी है, जिसकी मार्केट वैल्यू 124 करोड़ रुपए है. वहीं सबसे ज्यादा कैश तमिलनाडु में 53 करोड़, तेलंगाना में 49 करोड़, महाराष्ट्र में 40 करोड़, कर्नाटक और राजस्थान में 35-35 करोड़ रुपए और आंध्रप्रदेश में 32 करोड़ रूपए सीजर की कार्रवाई की गई है. यदि टॉप फाइव स्टेट की कार्रवाई पर नजर डाले तो राजस्थान 778 करोड़ की जब्ती के साथ टॉप पर है. इसी तरह दूसरे स्थान पर गुजरात 660 करोड़, 460 करोड़ की जब्ती के साथ तमिलनाडु तीसरे स्थान पर, चौथे स्थान पर महाराष्ट्र 431 करोड़ और 311 करोड़ की सीजर की कार्रवाई के साथ पंजाब पांचवे नंबर पर है. गौरतलब है की पूरे 2019 के चुनावों के दौरान 3,475 करोड़ रुपये की जब्ती की गई थी.

बहरहाल, धन बल के इस्तेमाल को रोक पाना चुनाव आयोग के सामने बड़ी चुनौती है. चुनावों में धनबल के इस्तेमाल पर रोक कितनी लगी यह कहना मुश्किल है, लेकिन इस दिशा में चुनाव आयोग की कोशिशें कुछ रंग लाती जरूर दिख रही हैं. चुनावों में धन बल के इस इस्तेमाल को रोकने को लेकर चुनाव आयोग अब पहले के मुकाबले काफी सतर्क है. आयोग ने इसे रोकने के लिए इलेक्शन एक्सपेंडिचर मॉनीटरिंग सिस्टम तैयार किया है. इसमें केंद्र और राज्य की एजेंसियां मिलकर काम करती हैं. आयोग का मानना है कि स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि धनबल की जगह चुनाव में सभी के लिए एक लेवल प्लेइंग फील्ड यानी समान धरातल हो.

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