साहित्यिक वार्ता: टैगोर मेरे लिए एक विरासत की तरह हैं- प्रो. फाबियां शार्तिअर
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साहित्यिक वार्ता: टैगोर मेरे लिए एक विरासत की तरह हैं- प्रो. फाबियां शार्तिअर

Jaipur News: राजस्थान में जयपुर के जवाहर कला केंद्र में साहित्यिक वार्ता के दौरान फ्रांसीसी लेखक प्रो. फाबियां शार्तिअर ने टैगोर को विरासत की तरह हैं बताया. शार्तिअर ने कहा कि 'मेरे लिए टैगोर एक विरासत की तरह हैं और बचपन से गीतांजलि समेत उनकी अनेक रचनाओं को पढ़कर बड़ा हुआ हूं. इससे मुझे उन पर शोध करने और किताब लिखने की प्रेरणा मिली. 

साहित्यिक वार्ता: टैगोर मेरे लिए एक विरासत की तरह हैं- प्रो. फाबियां शार्तिअर

Jaipur News: राजस्थान में जवाहर कला केंद्र में साहित्यिक वार्ता का आयोजन किया गया. फ्रांसीसी लेखक प्रो. फाबियां शार्तिअर ने लेखक और अनुवादक सौदामिनी देव के साथ चर्चा में अनुवाद के तकनीकी पहलुओं और चुनौतियों पर भी चर्चा की है. प्रो. फाबियां शार्तिअर ने कहा कि 'मेरे लिए टैगोर एक विरासत की तरह हैं, बचपन से गीतांजलि समेत उनकी अनेक रचनाओं को पढ़कर बड़ा हुआ और यही कारण है कि रबीन्द्रनाथ टैगोर मेरे बहुत करीब है, इससे मुझे उन पर शोध करने और किताब लिखने की प्रेरणा मिली. 

रबीन्द्रनाथ टैगोर पर पीएचडी कर चुके प्रो. फाबियां ने टैगोर की रचनाओं का फ्रेंच में अनुवाद कर 1600 पन्नों की किताब तैयार की है. यह किताब यूरोप में काफी प्रचलित है. उन्होंने कहा कि साहित्य सीमाओं से परे है, किसी भी रचना का विश्व में प्रसार होने के लिए उसका उचित अनुवाद होना बेहद जरूरी है. अनुवाद भी एक कला की तरह है, शब्दकोश, प्रामाणिकता और अभिव्यक्ति का तरीका इसे बेहतर बना सकता है. 

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प्रो. फाबियां ने बताया कि उनके दादा और दादी के पास गीतांजलि की दो फ्रेंच प्रतियां रखी हुई थी,, जिसे पढ़कर वे बड़े हुए. हिंदी और बांग्ला पढ़ने के लिए वे दिल्ली यूनीवर्सिटी भी आए. उन्होंने बताया कि गुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर के वेश के कारण यूरोप में उनकी रचनाओं को एक साधु के उपदेश की तरह लिया गया, जबकि ये रचनाएं बहुत मायनों में खास है और विराट साहित्य है. 

आज भी रबीन्द्रनाथ टैगोर यूरोप में बड़े प्रसिद्ध है और उनकी रचनाओं को पसंद किया जाता है. क्या ऑटोमेटिक ट्रांसलेशन, ट्रांसलेटर्स के लिए चुनौती है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि तकनीक के इस दौर में ऑटो फंक्शन मददगार साबित हो सकते है, लेकिन ज्ञान बढ़ाने और प्रामाणिक अनुवाद के लिए किताब का सहारा लेना सबसे बेहतर है.

Reporter: Anup Sharma

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