Gau Sanrakshan Adhiniyam: जानिए, बूचड़खानों और बीफ बैन पर क्या कहता है राजस्थान गो सरंक्षण अधिनियम?
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Gau Sanrakshan Adhiniyam: जानिए, बूचड़खानों और बीफ बैन पर क्या कहता है राजस्थान गो सरंक्षण अधिनियम?

Gau Sanrakshan Adhiniyam: जानिए क्या कहता है 'राजस्थान गो संरक्षण अधिनियम', सवालों से समझिए बूचड़ खानों और बीफ खाने को लेकर पाबंदी है भी या नहीं?

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Gau Sanrakshan Adhiniyam slaughterhouse and Beef Ban: अक्सर ये सवाल जरूर मन में आता है कि बीफ खाया जा सकता है या नहीं? राजस्थान में बूचड़ खानों को लेकर क्या नियम है? आपको कुछ सवालों के जरिए समझाते हैं कि इस मामले को लेकर क्या नियम बनाए गए हैं. राजस्थान के वरिष्ठ वकील राजेंद्र पी. चौधरी जो कि राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर और सिविल कोर्ट अजमेर में कई केस लड़ चुके हैं. इन्होंने SC/ST, टाडा और पॉक्सो कोर्ट में भी कई केस लड़े हैं. इनका वकालत का अनुभव 22 साल का है. इन सवालों के जवाब इन्होंने दिये हैं. 

सवाल- क्या राजस्थान में में बीफ खाया जा सकता है या नहीं

जवाब- नहीं, क्योंकि राजस्थान गो संरक्षण अधिनियम और पशु क्रुरता अधिनियम 1960 जिसका संख्यांक 59 जो भारतीय जनतंत्र के 11वें वर्ष में अधिनियत किया है जो चेपटर फर्स्ट है. जिसमें इसको तीन भागों में बांटा गया है...

- शिकायत कहां कर सकते हैं
-नागरिक का क्या कर्तव्य क्या है
-पशु दुर्व्यवहार बाबत सहायता

ये संपूर्ण भारत में प्रभावी रहेगा. केंद्रीय सरकार द्वारा राजपत्र में नोटिफिकेशन (अधिसूचना) द्वारा विभिन्न राज्यों के उपबंधों (सब क्लॉज) के विभिन्न तारीख नियत की जा सकेगी. जो पशु की परिभाषा, जीवीत प्राणी के समतुल्य के समान हो.
 
पशु क्रूरता की शिकायत कहां करें-

पशु कल्याण बोर्ड धारा 4 में स्थापित है और धारा 5 और 6 के अधीन समय-समय पर पुर्नगठित बोर्ड है. इस बोर्ड में पहला बंधुआ पशु (डिटेन किया हुआ, पालतु ना हो), दूसरा- स्थायी या अस्थायी बंधुआ हालात में हो, परिरोध (योजन) बंधुआ हालत में हो उसकी पशु कल्याण बोर्ड से शिकायत की जा सकती है. 

राजस्थान की बात करें तो राजस्थान में 26 जनवरी 1962 के चेपटर 1 और 2 राजस्थान राज्य के संबंध में अधिसूचना संख्यांक का अधिनियम  25-12-1961 भारत के राजपत्र से प्रभावी है. जिसमें स्पष्ट किया गया है कि हर राज्य जिले में बोर्ड का स्थानीय अधिकारी होगा.

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इस अधिनियम के बनाए गए नियम

पशु कल्याण बोर्ड,मार्ग (जो आम रास्ता हो, जिस पर जनता की पहुंच हो) ऐसे रास्तों पर पशु की पीड़ा या दर्द का बोर्ड निवारण करेगा जो भारतीय पशु कल्याण कहलाएगा. जहां शिकायत और वाद लड़ा जा सकेगा.

नारगिक का कर्तव्य

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कोई भी नागरिक सिर्फ शिकायत कर सकता है आरोपी के खिलाफ एक्शन नहीं ले सकता. 1982 के अधिनियम की खंड 26 की धारा, 3,4,5 के अनुसार ये बातें (वन्य जीव का शिकार नहीं, मानसिक पीड़ा, यातना)कही गई हैं. जिमसें सजा का प्रावधान भी है, इस अधिनियम के अनुसार धार 27, 28 में फोर्सेज को निहित किया गया है. इस समतुल्य धारा 12 के अधीन ये गंभीर अपराध है. जिसमें केस किया जा सकता है.

सवाल-अगर, राजस्थान में बीफ नहीं खाया जा सकता तो क्यों हैं बूचड़खाने

पशु क्रूरता अधिनियम के साथ नियम और अधिनियम बने हुए हैं जो कि ये साफ करते है कि बूचड़खानों में गो वंश को नहीं काटा जा सकता. 

सवाल- बूचड़खाने अवैध हैं तो शिकायत कहां और किस अधिनियम में की जाएगी?

बूचड़ खाना अवैध नहीं, लेकिन इसके लिए लाइसेंस होना जरूरी है. उक्त अधिनियम के अनुसार इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की जा सकती है.

सवाल- अगर बीफ काटते हुए या खाते पकड़े जाने पर कितने साल की सजा और कितने रुपये का जुर्माना

जवाब- 7 साल तक सजा या 500 रुपये से लेकर 25000 तक का जुर्माना इसमें  लगाया जा सकता है या दोनों. इस एक्ट में अपराध कारित करने के लिए प्रतिबंधित वन्य जीव या पशु को गाड़ी से टक्कर मारना, जख्मी करना या जहर देना या पशु को  मारने की नियत से कृत्य करना अपराध है. जिसकी शिकायत पशु कल्याण बोर्ड या पुलिस को सूचना दी जा सकती है.  इसके लिए यहां पशु सुरक्षा की जिम्मेदारी हर नागरिक की है.

पशु सुरक्षा के लिए सरकार के नियम

पशु कल्याण संगठन बोर्ड या पुलिस को आम नागरिक सूचना दे सकता है. नागरिक आरोपी को कृत्य करने से रोक सकता है स्वयं कोई एक्शन आरोपी के खिलाफ नहीं ले सकता है.

Disclaimer:  ये सारी जानकारी वरिष्ठ एडवोकेट राजेंद्र पी. चौधरी  से संपर्क कर लिखी गई हैं. अत: इस लेख में लिखी गई जानकारी की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की है

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