संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पूरे मामले को अनुशासन समिति के विचाराधीन बताया तो नोटिस पाने वाले नेताओं के भी सुर बदल गए. सवाल यह की क्या इन नोटिस की राख के नीचे कोई चिंगारी दबी है?
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KC Venugopal Big Statement: कांग्रेस पार्टी में तीन नेताओं को नोटिस के मामले में ''माफी काफी, या ना–काफी'' को लेकर असमंजस की स्थिति हो गई है. दरअसल 25 सितंबर को जयपुर में आहूत की गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद हुए घटनाक्रम में बगावती तेवर दिखाने वाले तीन वरिष्ठ नेताओं को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से नोटिस जारी किए गए थे.
नोटिस के जवाब के बाद पहले तो तीनों नेताओं को पार्टी आलाकमान की तरफ से माफी की खबर आई, लेकिन संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पूरे मामले को अनुशासन समिति के विचाराधीन बताया तो नोटिस पाने वाले नेताओं के भी सुर बदल गए. सवाल यह की क्या इन नोटिस की राख के नीचे कोई चिंगारी दबी है? और अगर ऐसा है तो कांग्रेस उसे दबाएगी या बुझाएगी?
कांग्रेस पार्टी में राजस्थान के तीन वरिष्ठ नेताओं को दिए गए नोटिस का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है. नोटिस के जवाब मिलने के बाद इन नेताओं को अभयदान दिया या नहीं इसे लेकर पहले तो कन्फ्यूजन की स्थिति बनी, लेकिन संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस संशय को दूर कर दिया.
कांग्रेस के दिल्ली के सूत्र जिन नेताओं को पार्टी से माफी मिलने की बात कर रहे थे उन नेताओं के नोटिस के संदर्भ में केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पूरा मामला अभी भी अनुशासन कमेटी के विचाराधीन है वेणुगोपाल ने कहा कि अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है.
उधर, पार्टी नेतृत्व की तरफ से नोटिस मिलने के बाद संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल नोटिस का जवाब तो दे चुके हैं, लेकिन वे भी इस मुद्दे पर ज्यादा बातचीत करने की इच्छुक नहीं दिखे. क्लीन चिट के सवाल पर धारीवाल ने कहा कि इस मामले पर तो एआईसीसी से ही पूछा जाना चाहिए.
जलदाय मंत्री महेश जोशी का भी कुछ ऐसा ही रुख रहा. उन्होंने अपने आप को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से मिले निर्देशों में बंधा हुआ बताया. जोशी ने कहा कि आईसीसी ने इस मामले पर किसी तरह की बयानबाजी नहीं करने के लिए कह रखा है, लिहाजा वे इस पर चुप ही रहेंगे.
नोटिस पाने वाले आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने मंगलवार को एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मुलाकात की थी. उसके बाद माना जा रहा था की राठौड़ ने अपनी इस मुलाकात से आलाकमान को तरफ से मिले अभयदान पर मुहर भी लगवा दी है. हालांकि इस मामले में धर्मेंद्र राठौड़ से भी बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन ही स्विच ऑफ था.
उधर बीजेपी भी नोटिस के बाद कांग्रेस नेताओं को माफ किए जाने को लेकर चल रहे झूठ–सच के खेल पर चुटकी लेने से बाज नहीं आई. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह सब क्लीनचिट दिखावा है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसी बात थी, तो राजस्थान दौरे पर सोनिया गांधी ने पार्टी के कुछ नेताओं से मुलाकात क्यों नहीं की?
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कांग्रेस में बगावती तेवर दिखाने वाले नेताओं का मामला अभी भी अनुशासन समिति के विचाराधीन बताकर केसी वेणुगोपाल ने इन नेताओं समेत दोनों खेमों के कान खड़े कर दिए हैं. अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा इसी बात की हो रही है कि क्या नोटिस की राख के नीचे दबी चिंगारी भारत जोड़ो यात्रा की राजस्थान से रवानगी का इंतजार कर रही है?