Cappten Anil Chowdhary: जयपुर के कैप्टन अनिल चौधरी पर राजस्थान समेत पूरे देश को गर्व है, जिस तरह से उन्होंने समुद्र में डूब रहे जहाज का रेस्क्यू करके 303 श्रीलंकाई नागरिकों की जान बचाई है.वो काबिले तारिफ है. जहाज में छेंद होने की वजह से वह समुद्र में डूबने लगा था. मौत से बच निकले इन लोगों के चेहरे पर कैप्टन अनिल का ये सफल रेस्क्यू मुस्कान लेकर आया.
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Cappten Anil Chowdhary: जयपुर के कैप्टन अनिल चौधरी ने समुद्र में अपनी बहादुरी का परिचय दिया है. जो हमेसा याद किया जाएगा. में जब सैकड़ों किलोमीटर पानी में जाने के बाद आपकी बोट डूबने लगे और मौत सामने दिखायी दे तो सोचिए ये कैसा ख़तरनाक मंजर होता होगा. लेकिन ऐसा ही मंजर कुछ दिनों पहले वियतनाम के पास देखा गया. जहां पर 300 लोगों को अपने सामने मौत दिखायी दे रही थी. लेकिन उसी दौरान जयपुर के एक जांबाज कैप्टन ने संकट मोचक की भुमिका निभायी और 300 लोगों की जान बचाकर उन्हे सुरक्षित घर पहुंचाया.
7 नवंबर को दोपहर करीब 3 बजे का समय था. करीब 25 लोगों को ले जा रहे कार्गो शिप को एक अलर्ट मैसेज मिलता है कि वंग ताऊ टाउन के दक्षिण-पूर्व में 258 नॉटिकल माइल्स पर फिशिंग बोट फंसी हुई है. जिसमें 300 से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं. बोट में छेंद होने की वजह से बोट धीरे-धीरे डूब रही है. मैसेज पर कार्गों शिप के लीडर कैप्टन अनिल चौधरी ने रिप्लाई दिया जो कि शीप को जो जापान से सिंगापुर ले जा रहे थे.
जयपुर के रहने वाले कैप्टन अनिल को ही अब यह तय करना था कि जहाज़ को घुमाना है या नहीं. लेकिन अनिल ने बिना समय गंवाए जहाज को घुमाने का मैसेज दिया और करीब डेढ़ घंटे बाद लोकेशन पर पहुंचे. रेस्क्यू के संसाधन नहीं थे फिर भी अपनी रिस्क पर कैप्टन चौधरी ने हाई रिस्क पर 303 श्रीलंकाई नागरिकों को बचाया और वियतनाम ले गए.
रेस्क्यू के लिए बोट के पास जाना भी मुश्किल था
कैप्टन अनिल चौधरी ने जी मीडिया से ख़ास बातचीत करते हुए कहा कि जब हम बोट के पास पहुंचे तो बोट तेजी से घूम रही थी. रेस्क्यू के लिए बोट के पास जाना भी मुश्किल था. क्योंकि बोट की टक्कर से उनके कार्गो शिप में छेंद भी हो सकता था और बोट भी तत्काल डूब सकती थी. उसके बाद शिप के बराबर लाकर बोट को बड़े रस्से से बोट को बांधा और रेस्क्यू शुरू किया. शुरुआत के समय में जब जहाज बोट के पास पहुंचा तो डरे हुए लोगों को हिम्मत मिली और पहले जहाज पर आने की जिद करने लगे. उन्हें समझाकर पहले महिलाएं और बच्चों को लाया गया और फिर बाकि लोगों का रेस्क्यू किया गया.
खाना भी 300 लोगों के मुक़ाबले काफ़ी कम था
कैप्टन का कहना है कि कार्गों शिप में केवल 30 लोगों को रखने की कैपेसिटी थी. खाना भी 300 लोगों के मुक़ाबले काफ़ी कम था. सबसे नजदिक वियतनाम पोर्ट जाने तक करीब डेढ़ दिन का समय लग रहा था. अब इन 303 लोगों को इलाज करना और उनके लिए खाना बनाना था. क्योंकि वो 2 दिन से भूखे थे. मेडिकल टीम ने पहले सभी का इलाज शुरू किया.
वियतनाम में गुमताउ पोर्ट पर पहुंचे.
शिप में 3 ही कुक थे. न ही ज्यादा राशन था. तीनों कुक ने जो भी शिप में राशन था. उसी से खाना तैयार किया. इसके बाद लंगर की तरह बैठाकर सभी को खाना खिलाया. कैप्टन अनिल चौधरी ने बताया कि 8 नवम्बर की सुबह करीब साढ़े 10 बजे वियतनाम में गुमताउ पोर्ट पर पहुंचे. प्रशासन के सहयोग से उन्हें वियतनाम के पोर्ट पर उतारा गया. उसके बाद जहाज़ अपने निश्चित समय से 3 दिन बाद सिंगापुर पहुंचा.
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