जयपुर में डेरा डाले प्रदेशभर के सरपंच अपनी-अपनी पंचायतों में चले गए है, लेकिन कामकाज तब तक ठप रहेगा जब तक सरपंच संघ की पूरी मांगे नहीं मानी जाती और इन मांगो से अलग अब सरपंचों को आंदोलन के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने और सियासी जमीन तलाशने का बहाना जरूर मिल गया.
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Jaipur : राजस्थान के सरपंचो के महापड़ाव स्थगित कर दिया है, लेकिन आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया है. जयपुर में डेरा डाले प्रदेशभर के सरपंच अपनी-अपनी पंचायतों में चले गए है, लेकिन कामकाज तब तक ठप रहेगा जब तक सरपंच संघ की पूरी मांगे नहीं मानी जाती और इन मांगो से अलग अब सरपंचों को आंदोलन के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने और सियासी जमीन तलाशने का बहाना जरूर मिल गया.
पंचायतीराज मंत्री रमेश मीना ये आरोप लगा चुके है कि राजनीतिक चमकाने के लिए नागौर के सरपंच आंदोलन कर रहे है. एमएलए बनना चाहते है, जिस वजह से आंदोलन को आड़ में लिया जा रहा वहीं दूसरी तरफ सरपंच संघ कहता है कि पहले मंत्री खुद के विधानसभा क्षेत्र करौली की पंचायतों की जांच करवाए, उसके बाद नागौर और बाडमेर की बारी आएगी.
नागौर पर लगे आरोपों के बाद नागौर जिला सरपंच संघ अध्यक्ष अशोक का कहना है इसमें मैं किसी की राजनीति नहीं कर रहा हूं, केवल सरपंचो की मांगों को लेकर ही आंदोलन किया जा रहा है. मंत्री रमेश मीना ने बिना नाम लिए अशोक गोलियां पर आंदोलन की आड़ में एमएलए बनने के आरोप लगाए थे.
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अभी भी क्यों अटका हुआ है पेंच
सरपंच संघ की मंत्री के इस्तीफे की मांग अभी भी जारी है. इसके अलावा ग्राम पंचायतों में बीएसआर दर पर पट्टा देने का अधिकार 50 हजार की जगह 1 लाख रूपए किए जाने की मांग की जा रही है, इसके अलावा जल जीवन मिशन में ठेकेदार की गारंटी 1 साल से बढ़ाकर तीन साल किया जाए. सरपंचो का मानदेय बढ़ाया जाए, आगंनबाड़ी केंद्र में चयन की प्रक्रिया पूर्व की तरह ग्राम सभा के माध्यम से ही की जाए. खाद्य सुरक्षा में वंचित परिवारों को जोड़ा जाए.
24 को फिर जयपुर कूच की घोषणा
7 अगस्त को जयपुर में प्रदेश कार्यकारिणी, जिला अध्यक्षों की बैठक होगी. सरपंच संघ अध्यक्ष बंशीधर गडवाल ने चेतावनी दी है कि अगर पूरी मांगे नहीं मानी जाती है तो 24 अगस्त के बाद फिर सरपंच जयपुर कूच करेंगे, जब तक कार्य बहिष्कार, ग्राम पंचायतों तालाबंदी जारी रहेगी.
ऐसे में अब देखना यह होगा कि सरपंच संघ का आंदोलन किस करवट लेगा, क्योंकि मंत्री के विरोधी गुट के सरपंचो में ही दो गुट बन चुके है. ऐसे में अब देखना होगा की गांव की सरकार का अगला कदम क्या होगा.
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