गिलोय पर शोध को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता देना गौरवपूर्ण- राज्यपाल मिश्र
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गिलोय पर शोध को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता देना गौरवपूर्ण- राज्यपाल मिश्र

Jaipur News: राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि आयुर्वेद संपूर्ण जीवन विज्ञान है और यह स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करने के साथ ही रोग से मुक्ति में भी बहुत प्रभावी है.

 

गिलोय पर शोध को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता देना गौरवपूर्ण- राज्यपाल मिश्र

Jaipur: राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि आयुर्वेद संपूर्ण जीवन विज्ञान है और यह स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करने के साथ ही रोग से मुक्ति में भी अत्यन्त प्रभावी है.

राज्यपाल मिश्र डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के दीक्षांत समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय के नवनिर्मित सुश्रुत सभागार में संबोधित कर रहे थे . राज्यपाल ने इस अवसर पर सुश्रुत सभागार का लोकार्पण भी किया. राज्यपाल ने आयुर्वेद के ज्ञान पर आधुनिक दृष्टि से शोध की आवश्यकता पर सर्वाधिक बल देते हुए कहा कि 'रोग निदान' का जो सिस्टम आयुर्वेद में है, वह अन्यत्र किसी विज्ञान में नहीं है. आयुर्वेद विज्ञान से जुड़े प्राचीन ज्ञान का आधुनिक संदर्भों में अधिकाधिक शोध कर हमें आगे बढा़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कोविड के विकट दौर में आयुर्वेद की हमारी भारतीय चिकित्सा पद्धति से रोगोपचार को विश्वभर में मान्यता मिली थी.

नाड़ी परीक्षण ज्ञान पर अध्ययन करें

राज्यपाल मिश्र ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे रोग परीक्षा और रोग निदान के लिए आयुर्वेद के नाड़ी परीक्षण ज्ञान को आत्मसात करें और आधुनिक संदर्भों में गहराई से उसका अध्ययन करें. उन्होंने आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा आयुष शिक्षण और अनुसन्धान के क्षेत्र के अंतर्गत गिलोय पर किये गये शोध-कार्य को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्रदान करने को गौरवपूर्ण बताते हुए प्रसन्नता जाहिर की .

उन्होंने कहा कि इन्टर डिसिप्लीनरी लर्निंग के अंतर्गत आयुर्वेद विद्यार्थियों को विभिन्न ज्ञान स्रोतों से रूबरू करवाने के लिए भी विश्वविद्यालय राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों से अधिकाधिक जुड़कर कार्य करें. उन्होंने कहा कि इस सबंध में जोधपुर आईआईटी, एम्स, कृषि विश्वविद्यालय आदि से सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर के साथ कार्य होना अच्छी पहल है.

राज्यपाल ने भगवान धन्वन्तरि से लेकर महर्षि सुश्रुत, चरक, वाग्भट, नागार्जुन इत्यादि आयुर्वेद के महान आचार्यों की देन का जिक्र करते हुए कहा कि नवीन तकनीक के जरिए आयुर्वेद ज्ञान के आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों में उपयोग की संभावनाओं को साकार करने की दिशा में अधिकाधिक कार्यों की जरूरत है. उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों से आह्वान किया कि स्वास्थ्य प्रहरी के नाते आयुर्वेद और आयुष पद्धतियों के माध्यम से देश और प्रदेशवासियों की स्वास्थ्य-सेवा पूर्ण मनोयोग से करने का संकल्प लें.

आयुष विकास के लिए सरकार हरसंभव प्रयासरत

विशिष्ट अतिथि आयुष मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस की बधाई देते हुए सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा में आयुष के विकास के लिए गई महत्त्वपूर्ण घोषणाएं की हैं. उन्होंने कहा आयुष क्षेत्र को बहुत करीब से देखते हुए इसके समग्र विकास के लिए निरन्तर प्रयास जारी हैं. आयुष मंत्री ने कहा कि आईआईटी संस्थानों की तरह ही प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पुस्तकालय और प्रयोगशालाएं चौबीस घंटे खुली रहनी चाहिए, ताकि शिक्षा के द्वार हमेशा खुले रहें.

समारोह में विशिष्ट अतिथि और पूर्व कुलपति प्रो. बनवारीलाल गौड़ ने दीक्षांत-भाषण देते हुए आयुर्वेद को आज के युग और समय की मांग बताते हुए कहा कि आयुर्वेद द्वारा दी जाने वाली शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधा आज विश्व में विख्यात हो रही है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.

दीक्षांत समारोह में 942 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान करने के साथ ही 6 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक से सम्मानित किया गया. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कार्यक्रम के आरंभ में संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्त्तव्यों का वाचन किया. उन्होंने दीक्षांत समारोह में आयुर्वेद से संबंधित छह पुस्तकों का विमोचन किया. इनमें आयुर्वेदिक फोर्मूलरी ऑफ यूनिवर्सिटी फॉर्मेसी, आयुर्वेद परिचय एव सिद्धान्त और धनंजय आयुर्वेद संग्रह के साथ ही स्टूडेन्ट स्किल डवलपमेंट मॉड्युल की तीन पुस्तकें (प्रथम, द्वितीय और तृतीय प्रोफेशनल) सम्मिलित हैं. समारोह में राज्यसभा सदस्य राजेंद्र गहलोत, जनप्रतिनिधिगण, प्रबन्ध मण्डल के सभी सदस्यगण, विद्या परिषद् के सदस्यगण, विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, गणमान्यजन और विद्यार्थीगण मौजूद रहे.

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