तेंदुए भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुओं की तादाद झालना अभयारण्य में संरक्षण कार्यों के चलते बढ़ी है.
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Jaipur: झालना तेंदुआ अभयारण्य समेत दो जंगलों में तेंदुओं की आबादी बढ़ गई है और इसी वजह से आए दिन शहरी इलाकों में इंसान और जानवर के टकराव की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. 2022 में तेंदुओं की संख्या बढ़ी है और ये अब 40 हो गयी है.
बता दें कि 2012 में तेदुओं की संख्या 12 थी. 200 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी यह एक दशक में है.वन्यजीव प्रेमियों के लिए ये अच्छी खबर है. वहीं इस खबर ने आस-पास रहने वाले लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है. अक्सर आबादी वाले इलाकों में तेंदुआ घुस जाता है.
विशेषज्ञों की माने तो तेंदुओं को उनके प्राकृतिक पर्यावास में रखने में मदद जब मिल सकती है जब जंगलों में शिकार आधार बढ़े. अक्सर देखा गया है कि तेंदुए भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुओं की तादाद झालना अभयारण्य में संरक्षण कार्यों के चलते बढ़ी है.
झालना तेंदुआ अभयारण्य में रेंजर जनेश्वर चौधरी का कहना है कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक 40 तेंदुए जयपुर में झालना तेंदुआ अभयारण्य और अंबागढ़ तेंदुआ अभयारण्य में हैं. दूसरा तेंदुआ संरक्षण झालना के बाद जयपुर में अंबागढ़ है.
36 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में दोनों मिलाकर फैले हैं. साथ ही इन्हें जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग अलग करता है. झालना ज्यादा बड़ा और पुराना तेंदुआ संरक्षण क्षेत्र है क्योंकि दोनों में से ये 20 वर्ग किलोमीटर अधिक क्षेत्र के साथ है. यहां पर 40 में से ज्यादातर तेंदुए रहते हैं. उनका कहना है कि आदर्श रूप में 10-12 तेंदुए 36 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में होते हैं यहां पर 40 तेंदुए हैं. झालना में विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे वन्यजीव विशेषज्ञ धीरज कपूर का कहना है कि तेंदुओं का स्वभाव शर्मिला होता है अगर उन्हें कोई परेशान करता है तो वह अपने इलाके से बाहर चले जाते हैं.
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