मेयर डॉ. सौम्या की अध्यक्षता में करीब 4 घंटे चली इस बैठक में मेयर, डिप्टी मेयर में अदावत देखने को मिली. वहीं चैयरमेनों में भी आपसी फूट नजर आई. बैठक में रखे गए मूल एजेंडा के 31 में से 9 प्रस्तावों पर पास की मोहर लगाई गई.
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Jaipur News: नगर निगम ग्रेटर में डेढ़ साल बाद हुई कार्यकारी समिति की बैठक में अपनों की ही भौंहे तनी नजर आई. मेयर डॉ. सौम्या की अध्यक्षता में करीब 4 घंटे चली इस बैठक में मेयर, डिप्टी मेयर में अदावत देखने को मिली. वहीं चैयरमेनों में भी आपसी फूट नजर आई. आयुक्त अपने ही मातहत को बचाते नजर आए, तो दूसरी तरफ मेयर भी अधिकारियों के साथ खड़ी दिखी. मेयर ने बैठक में शब्द बाणों से विरोधियों को भी करारा जवाब दिया. चार घंटे चली कार्यकारिणी समिति की बैठक में 31 में से सिर्फ 9 प्रस्ताव ही पास हो पाए.
बैठक में रखे गए मूल एजेंडा के 31 में से 9 प्रस्तावों पर पास की मोहर लगाई गई. इसमें प्रस्ताव संख्या 1 से 5 तक कर्मचारियों की अनुकंपा नियुक्ति, स्थायीकरण के प्रस्ताव है. जबकि प्रस्ताव संख्या 27 से 30 तक प्रस्ताव सड़कों व चौराहों के नामकरण के है.
नगर निगम ग्रेटर की कार्यकारिणी समिति की 19 माह बाद हुई बैठक में आपसी कलह के चलते सभी एजेंडे पास नहीं हो पाए. प्रस्तावों पास करने को लेकर चेयरमैनो में आपसी खींचतान देखने को मिली. जिसके चलते 31 में से 9 प्रस्तावों पर ही मुहर लगी. बैठक में भाजपा के चेयरमैन ही दो धड़े में बंटे नजर आए. मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने भी खूब शब्दबाण चलाकर अपनों को मैसेज दे दिया. उन्होंने इतना तक कह दिया कि निगम में काम करना है तो सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को साथ लेकर चलना पड़ेगा. वहीं बैठक में मेयर ने मौजूद उन चैयरमेनों को अपनी शक्तियां याद दिलाते हुए मैसेज दिया कि जो अपने छोटे-छोटे काम-काज के लिए मेयर-डिप्टी मेयर के चैम्बर में जाते है वे आगे से न जाए.
उन्हें किसी भी काम के लिए हमारे पास आने की जरूरत नहीं है, उन्हें एक्ट में इतने अधिकार प्राप्त है कि वे अपनी समिति से संबंधित हर निर्णय करने के लिए स्वतंत्र है. बैठक में चैयरमेन राखी राठौड़ और जितेन्द्र श्रीमाली में टकराव नजर आया. श्रीमाली ने एजेंडा के सर्कुलेशन पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक दिन पहले ही हमे एजेंडा मिले हैं ऐसे में इसे कैसे पास किए जाए. इस पर राखी राठौड़ ने आपत्ति उठाई और कहा कि जिस पर आपको आपत्ति है उस पर बोल दो. हर प्रस्ताव को रोकना ठीक नहीं है.
- शहर में खतरनाक नस्ल के विदेशी कुत्तों की बढ़ती काटने की घटनाओं को देखते हुए इनके पालने पर जयपुर में बैन लगाने का प्रस्ताव पास। इसमें पिटबुल, हस्की समेत अन्य ब्रिड के डॉग शामिल है.
- नगर निगम में कार्यरत महिला कर्मचारियों के लिए फ्री नेपकिन वैडिंग मशीन लगाने के साथ ही उनके बच्चों के खेलने के लिए प्ले जोन (क्रेज) बनाने.
- खाली प्लॉट में कचरा, मलबा फेंकने वालों पर सख्ती करने और जुर्माना लगाने के लिए संबंधि प्रस्ताव.
- पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरोसिंह शेखावत के नाम से एक रोड का नामकरण किया गया। वीकेआई में रोड नं. 1 चौराहे से लेकर पापड़ वाले हनुमान जी मंदिर चौराहे तक की सड़क का नामकरण स्व. शेखावत के नाम से किया गया.
- विद्याधर नगर में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुधन के नाम से भी सड़क के नामकरण किए गए है.
वहीं सड़कों के नामकरण को लेकर डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावत, चैयरमेन रमेश सैनी और पार्षद दिनेश कावंट के बीच भी हॉट-टॉक हुई. पार्षद कांवट ने पूर्व उपराष्ट्रपति के नाम से सड़क का नामाकरण रखने का प्रस्ताव रखा, लेकिन इस प्रस्ताव पर डिप्टी मेयर और चैयरमेन रमेश सैनी ने आपत्ति उठा दी. उन्होंने कहा कि इतने बड़े व्यक्ति का नाम इतने छोटे मार्ग के लिए रखना ठीक नहीं होगा. इस पर कांवट ने जवाब देते हुए कहा कि मेरे क्षेत्र की चिंता आप करना छोड़ दीजिए. हालांकि बाद में वाद-विवाद के बाद मेयर ने इस प्रस्ताव को हरीझण्डी दी.
निगम ग्रेटर की कार्यकारिणी समिति की बैठक में डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावत ने प्रोजेक्ट एक्सईएन मनोज शर्मा पर सफाई की टेंडर प्रक्रिया में लापरवाही करने का आरोप लगाया. डिप्टी मेयर के इस आरोप से नाराज एक्सईएन ने भरी मिटिंग में खुद को इस प्रोजेक्ट से अलग करने की बात कही. अपनी अधीन अधिकारी पर लगे इस आरोप के बजाव में खुद कमिश्नर महेन्द्र सोनी उतरे और उन्होंने कहा कि आप इस तरह बेबुनिया आरोप नहीं लगा सकते.
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बैठक के बाद मेयर सौम्या गुर्जर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज हमने बैठक में सबसे अहम निर्णय शहर को कचरा डिपो फ्री करने का लिया है. शहर को अगले कुछ महीनों में हम ओपन कचरा डिपो फ्री कर देंगे. हालांकि ये काम कब से शुरू होगा और कब तक शहर को कचरा डिपो फ्री किया जाएगा इसको लेकर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. आपको बता दें कि इससे पहले जब डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम साल 2018 में शुरू हुआ था, तब शहर को ओपन डिपो फ्री करने का एलान किया था.
बहरहाल, करीब 19 माह बाद हुई बैठक में सार्थक चर्चा नहीं होने के चलते करीब 21 प्रस्ताव अटक गए. लेकिन इतना जरूर है की बैठक में जिन प्रस्तावों को मुहर लगी उनको इंप्लीमेंट कराना भी निगम प्रशासन के सामने किसी चुनौती से कम नहीं है.