फिर विवादों में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, पूनिया-कटारिया समेत पूरी भाजपा ने खोला मोर्चा
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फिर विवादों में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, पूनिया-कटारिया समेत पूरी भाजपा ने खोला मोर्चा

Jaipur News: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल इस बार फिर से विवादों में आ गया है. जेएलएफ में एक डोम का नाम मुगल टेंट रखने पर बीजेपी ने आपत्ती उठाई है.

फिर विवादों में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, पूनिया-कटारिया समेत पूरी भाजपा ने खोला मोर्चा

Jaipur News: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल इस बार फिर से विवादों में आ गया है. जेएलएफ में एक डोम का नाम मुगल टेंट रखने पर बीजेपी ने आपत्ती उठाई है. बीजेपी नेताओं ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जिन मुगलों ने देश की संस्कृति पर हमला किया उनके नाम से टेंट नाम रखना गलत मानसिकता का परिचय है. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल वर्षों से आयोजित किया जा रहा है . यह पहली बार भी नहीं कि इस फेस्टिवल में एक हॉल का नाम मुगल टेंट भी रखा जाता है, लेकिन इस बार इसके मुगल नाम पर बीजेपी नेताओं को नागवार गुजरा है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि मुगलों ने देश की संस्कृति पर हमला किया था. फिर भी आयोजकों ने हॉल का नाम मुगलों के नाम पर रखा है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मुगलों के नाम से टेंट के नाम होने पर सवाल पूछा गया तो सतीश पूनिया ने बेबाकी से कहा कि यह सोच का फर्क है. यह आयोजकों की सोच है, डिग्गी हाउस में भी विवाद के कई प्रकरण होते आए हैं. मुगल टेंट के बजाय एपीजे अब्दुल कलाम नाम होता तो अच्छा होता, लेकिन यह उनकी सोच है.

बात यहीं खत्म नहीं हुई नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया भी मुगल काल के खिलाफ खुलकर बोले. उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षों तक भारत को गुलाम बनाते हुए भारत की संस्कृति पर हमला करने वाले मुगल नाम की जगह अशफाक उल्ला खान या फिर अन्य किसी व्यक्ति विशेष पर महापुरुष के नाम पर टेंट का नाम होता तो अच्छा लगता. क्योंकि इस देश की जनता मुगल नाम को स्वीकार नहीं करती है.

दूसरी ओर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी कहा कि जब राजस्थान में इतना बड़ा आयोजन होता है तो मुगल टेंट की जगह स्टैंड का नाम महाराणा प्रताप के नाम पर होना ज्यादा ठीक था. क्योंकि पूरी दुनिया जानती है कि मुगल आक्रमणकारियों ने देश की सभ्यता और संस्कृति पर हमला किया था. वही रामलाल शर्मा ने खुलकर कहा कि अन्य नाम भी हो सकते थे जिनमें महाराणा प्रताप या फिर महाराजा सूरजमल का नाम क्यों नहीं.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कई बार अलग-अलग कारणों से विवाद उत्पन्न हुए हैं. हालांकि हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण यह विवाद शांत भी हो गए. अब राज्य के प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं ने आपत्ति उठाइ है.

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