Jaipur: राजस्थान में नाबालिग लड़कियों को ढूंढना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती, जानें क्या हैं आंकड़े
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Jaipur: राजस्थान में नाबालिग लड़कियों को ढूंढना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती, जानें क्या हैं आंकड़े

Jaipur: राजस्थान में गुमशुदगी की रिपोर्ट में लड़कियों के लापता होने के केस सबसे ज्यादा हैं लेकिन बरामदगी मुश्किल से हो पाती है. आंकड़े बताते हैं कि पांच साल से 334 बच्चे लापता हैं..

 

नाबालिग लड़कियों

Jaipur: राजस्थान में नाबालिग और बालिग लड़कियों को खोज कर लाना पुलिस के बड़ी चुनौती बन चूका है. राजस्थान में गुमशुदगी की रिपोर्ट में लड़कियों के लापता होने के केस सबसे ज्यादा हैं, लेकिन उनको खोज कर घर तक पहुंचना मुश्किल बन चुका है. आंकड़े बताते हैं कि पांच साल से 334 बच्चे लापता हो चुके हैं. पुलिस को इसके लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है. 

आपको बता दें कि राजस्थान में 1 जनवरी 2020 से 31 जनवरी 2022 तक कुल 9315 गुमशुदगी की एफआईआर राज्य के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज हुई. इन मामलों में  9608 बच्चे लापता हुए हैं और इनमें से 8866 बच्चों को बरामद कर उनके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया गया है. बाकी 742 बच्चों की बरामदगी के लिए पुलिस प्रयास कर रही है.

साथ ही सेवानिवृत पुलिस प्रमुख एमएल लाठेर ने गुरुवार को कहा कि राजस्थान सरकार की अनिवार्य प्राथमिकी पंजीकरण की नीति ने एफआईआर की संख्या में बढ़ोतरी तो की है, लेकिन समाज के कमजोर वर्गों को न्याय भी प्रदान किया है. मालूम हो कि राजस्थान में महिलाओं पर बढ़ते अपराध के मामले में विपक्ष सरकार से लगातार सवाल कर रहा है. 

आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2021 से दिसंबर 2021 तक 792 नाबालिग लड़के लापता हुए जिसमें पुलिस ने 705 को तलाश कर उनके माता पिता के सुपुर्द कर दिया और 92 की तलाश जारी है. इसी साल 4085 नाबालिग लड़कियों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हुई. इसमें पुलिस ने 3604 की बरामदगी की, लेकिन 481 अब भी लापता हैं. साल 2021 में जनवरी से दिसंबर के बीच 5386 बालिग लड़के घरों से चले गए. उनकी गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने 3748 को बरामद कर लिया. इस दरम्यान 16492 केस बालिग लड़कियों के लापता होने के दर्ज हुए, इनमें भी पुलिस ने 12158 को बरामद किया, लेकिन 4334 लड़कियां अब भी गायब हैं. पुलिस इनकी तलाश कर रही है.

बता दें कि एक्सपर्ट एडवोकेट अशोक सिंघवी बताते हैं कि ज्यादातर बच्चों के मामलों में लड़के रास्ता भटक जाते हैं जो किसी न किसी के माध्यम से लौट आते हैं, लेकिन 13 से 16 साल की लड़कियों का शादी करने की नीयत से अपहरण कर लिया जाता है. बालिग होने पर वे खुद की मर्जी से जाना बता देती हैं. ऐसा नहीं होने पर पुलिस को बरामदगी में ज्यादा परेशानी नहीं होती है, लेकिन जो मामले लंबे समय से पेंडिंग चल रहे हैं, उनमें पुलिस को काम करने की जरूरत है. उनकी तलाश की जाए. जिंदा या मुर्दा हो उनका पता चलना चाहिए, इसमें अपहरण और हत्या के मामले भी हो सकते हैं.

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