Jaipur: वनाधिकार दावों का किया जाए शत-प्रतिशत निस्तारण- मुख्य सचिव उषा शर्मा
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Jaipur: वनाधिकार दावों का किया जाए शत-प्रतिशत निस्तारण- मुख्य सचिव उषा शर्मा

Jaipur: मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि वनाधिकार अधिनियम- 2006 के तहत राज्य में प्राप्त वनाधिकार दावों का शत-प्रतिशत निस्तारण किया जाए. उन्होंने कहा कि वनाधिकार प्रकरणों का 3 माह की समय सीमा में आवश्यक रूप से निस्तारण सुनिश्चित किया जाए.

Jaipur: वनाधिकार दावों का किया जाए शत-प्रतिशत निस्तारण- मुख्य सचिव उषा शर्मा

Jaipur: मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि वनाधिकार अधिनियम- 2006 के तहत राज्य में प्राप्त वनाधिकार दावों का शत-प्रतिशत निस्तारण सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि वनाधिकार प्रकरणों का 3 माह की समय सीमा में आवश्यक रूप से निस्तारण सुनिश्चित किया जाए.

31 अक्टूबर 2022 तक एक लाख 13 हजार 899 दावे प्राप्त हुए. इन दावों में प्राप्त व्यक्तिगत 1 लाख 11 हजार 208 दावों में से एक लाख 9 हजार 534 (98.49 प्रतिशत) और 2 हजार 691 सामुदायिक दावों में से 2 हजार 570 (95.50 प्रतिशत) दावों का निस्तारण किया गया है.

मुख्य सचिव सचिवालय में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से वनाधिकार अधिनियम-2006 के तहत गठित राज्य स्तरीय निगरानी समिति की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित 16वीं बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं.

शर्मा ने प्रतापगढ़ और बारां जिले में लंबित वनाधिकार प्रकरणों की अधिक संख्या होने पर जिला कलेक्टर को समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि वनाधिकार के प्रकरणों की प्रविष्टि एमआईएस पोर्टल पर दर्ज की जाए.

मुख्य सचिव ने जिला कलक्टरों से कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की पालना में वनाधिकार के निरस्त किए गए प्रकरणों में प्रार्थी को सूचना दिया जाना सुनिश्चित कर सुनवाई का अवसर भी प्रदान किया जाए. निरस्त योग्य प्रकरणों के कारण स्पष्ट करते हुए उन्हें श्रेणीबद्ध किया जाए. सभी निरस्त प्रकरणों की उपखंड और जिला स्तर पर पुनर्समीक्षा के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि स्वीकृत वन अधिकार पत्रों के राजस्व रिकॉर्ड में अंकन करने का कार्य भी शत-प्रतिशत पूर्ण किया जाए.

बैठक में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव आलोक गुप्ता ने बताया कि वनाधिकार के निरस्त किए गए. प्रकरणों में प्रार्थी को सूचना दिया जाना जरूरी है. और उसका दावा किन कारणों से खारिज किया गया है, यह भी प्रार्थी को बताया जाए. उन्होंने कहा कि यदि कोई भी छोटे-मोटे कारण हों तो दावेदार को बुलाकर उस कार्य को पूर्ण कराया जाना चाहिए. जिससे दावेदार को वनाधिकार का लाभ मिल सके.

इस अवसर पर जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के आयुक्त राजेंद्र भट्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्रस्तुतीकरण के माध्यम से राज्य में वनाधिकार दावों की स्थिति, जारी अधिकार पत्रों की संख्या, स्वीकृत व्यक्तिगत वनाधिकार पत्रों की राजस्व रिकॉर्ड में अंकन की जिलेवार स्थिति के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया.

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